एक समय की बात है, एक हरा-भरा जंगल था, जहां ढेर सारे जानवर रहते थे। इस जंगल में एक ऊंचे पेड़ की टहनी पर एक चालाक कौवा अपनी दिनचर्या जीता था। कौवा अपनी बुद्धिमत्ता के लिए मशहूर था और अपने भोजन को चुराने से लेकर बचाने तक के हर काम में माहिर था। उसकी चोंच में हर वक्त स्वादिष्ट भोजन होता था, और वह जंगल के सबसे शातिर और चालाक जीवों में से एक माना जाता था।
चालाकी में माहिर कौवा
एक दिन, कौवा अपनी चोंच में एक स्वादिष्ट रोटी दबाए पेड़ की एक ऊंची टहनी पर बैठा हुआ था। उसकी चोंच में रोटी देखकर उसकी भूख शांत हो रही थी और वह खुशी-खुशी उसे खाने की योजना बना रहा था। तभी नीचे से एक भूखी लोमड़ी गुजर रही थी, जो किसी शिकार की तलाश में थी। उसकी नज़र कौवे पर पड़ी और रोटी देखकर उसकी चालाकी ने उसे एक विचार दिया।
लोमड़ी की मीठी बातों का जाल
लोमड़ी ने अपनी मीठी आवाज में कौवे से कहा, "कौवा भाई, तुम कितने सुंदर और बुद्धिमान हो! तुम्हारी काली चमचमाती पंख और तेज चोंच देखकर तो ऐसा लगता है कि तुम जंगल के राजा हो। पर एक बात समझ नहीं आती।" कौवा ने अपनी गर्दन घुमाई और चौंकते हुए पूछा, "क्या बात समझ नहीं आती, लोमड़ी बहन?"
लोमड़ी ने चतुराई से जवाब दिया, "इतने सुंदर और बुद्धिमान कौवे की आवाज कैसी होगी, यह तो मैंने कभी सुनी ही नहीं। क्या आप मुझे अपनी मीठी आवाज में एक गाना सुनाएंगे?" कौवा पहले तो सोच में पड़ गया, लेकिन लोमड़ी की तारीफ सुनकर उसका अहंकार बढ़ गया। उसने सोचा, "लोमड़ी सच कह रही है, मेरी आवाज सबको सुननी चाहिए।"
कौवा की गलती और लोमड़ी की चतुराई
कौवा ने अपनी रोटी चोंच से गिरा दी और गाने के लिए तैयार हो गया। जैसे ही उसने गाना गाने के लिए अपना मुँह खोला, लोमड़ी ने तुरंत रोटी को चुपके से उठा लिया। कौवा गुस्से में बोला, "तुमने मेरी रोटी चुरा ली! यह तो धोखा है।" लोमड़ी मुस्कुराई और बोली, "कौवा भाई, यह मेरी भूख और तुम्हारी बेवकूफी का नतीजा है। अगली बार दूसरों की झूठी तारीफों में मत फंसना।" यह कहकर लोमड़ी चतुराई से वहां से चली गई।
कौवा की गलती का एहसास
कौवा को अब अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सोचा कि वह लोमड़ी की झूठी तारीफों में आकर न केवल अपनी रोटी गंवा बैठा, बल्कि उसे ये भी सीखने को मिला कि झूठी प्रशंसा करने वाले लोग केवल अपने फायदे के लिए ऐसा करते हैं। कौवा ने मन ही मन कसम खाई कि अब वह कभी भी किसी के झूठे शब्दों का शिकार नहीं बनेगा।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
झूठी तारीफों से हमेशा बचना चाहिए। कुछ लोग दूसरों की कमजोरी का फायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। हमें अपनी बुद्धिमानी और समझदारी से हमेशा ऐसे झांसे से बचना चाहिए। इस कहानी में कौवा ने सीखा कि खुद को दूसरों की निंदा या तारीफ से प्रभावित होने से बचाना चाहिए, ताकि वह हमेशा अपनी चतुराई और सजगता से हर स्थिति का सामना कर सके।