हरे-भरे जंगल में हर दिन खुशी और मस्ती का माहौल था। भोलू भालू, चिंटू बंदर, गप्पू खरगोश और मिठू तोता जैसे कई प्यारे दोस्त जंगल में मिलकर रहते थे। एक दूसरे के साथ खेलते, मस्ती करते और हर दिन नए अनुभव हासिल करते थे। यह जंगल एक आदर्श था, जहां हर जानवर बिना किसी भय के रह सकता था। लेकिन अचानक एक नई समस्या आ गई, जो सबकी खुशियों में खलल डालने वाली थी।
कल्लू सांप की धमाचौकड़ी
जंगल में एक नया संकट पैदा हुआ – 'कल्लू सांप'। यह सांप बहुत ही शरारती था और जंगल के रास्तों पर बैठकर जानवरों को डराता था। कल्लू सांप का डर इतना बढ़ गया था कि भोलू भालू, जो सामान्यतः आलसी था, वह डर के मारे गिर पड़ता था। चिंटू बंदर को पेड़ों पर चढ़ना पड़ता था, जबकि गप्पू खरगोश तो डर के मारे अपनी जान बचाने के लिए कूदकर भागता था।
समस्या का हल मगर कैसे?
जंगल में सभी जानवरों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा था, और हर कोई सोच रहा था कि इसे कैसे हल किया जाए। एक दिन सभी जानवर इकट्ठा हुए और उन्होंने फैसला किया कि वे कल्लू सांप को सबक सिखाएंगे, लेकिन बिना उसे नुकसान पहुँचाए।
चिंटू बंदर का आइडिया
चिंटू बंदर, जो हमेशा से अपनी चतुराई के लिए जाना जाता था, ने अचानक एक आइडिया दिया। उसने कहा, "हम कल्लू सांप को डराने के लिए एक नकली नागराज बनाएंगे!" यह आइडिया सुनकर सभी जानवर खुश हो गए और योजना बनाने में जुट गए।
नकली नागराज की योजना
गप्पू खरगोश ने सूखी लकड़ियों से और भोलू भालू ने कीचड़ और पत्तों से एक डरावना नकली नागराज तैयार किया। मिठू तोते ने अपनी आवाज में "फुफ्फ्फ्फ़!" की नकल करने की प्रैक्टिस की ताकि वह बिल्कुल असली जैसे आवाज निकाले।
रात का समय और कल्लू सांप का डर
रात को सभी जानवरों ने नकली नागराज को जंगल के रास्ते पर रख दिया, जहां से कल्लू सांप गुजरता था। जैसे ही कल्लू सांप वहां पहुँचा, मिठू ने ज़ोर से "फुफ्फ्फ्फ़!" की आवाज लगाई और बोला, "मैं जंगल का असली नाग हूँ!" इस डरावनी आवाज को सुनकर कल्लू सांप इतना डर गया कि वह बिना सोचे-समझे नदी में कूद पड़ा और वहां से भाग निकला।
खुशियों की बारिश
अब जंगल में शांति लौट आई थी। सभी जानवर खुशी से जीने लगे और बिना किसी डर के जंगल में घूमने लगे। कल्लू सांप ने भी यह सिख लिया कि दूसरों को डराना और परेशान करना सही नहीं है। धीरे-धीरे वह भी सबका दोस्त बन गया और जंगल में खुशी का माहौल बना रहा।
मिठू तोते को मिला सम्मान
सबने मिलकर खूब जश्न मनाया और मिठू तोते को ‘जंगल का सबसे चतुर पक्षी’ का खिताब दिया। उसका चतुर दिमाग और दिलेरी ने जंगल के सभी जानवरों को एक बड़ा सबक दिया।
सांप भी मरे, लाठी भी न टूटे
इस कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण संदेश मिलता है कि किसी भी समस्या का हल बिना किसी नुकसान के निकाला जा सकता है। जैसे इस कहानी में कल्लू सांप को डराकर और उसे कोई नुकसान पहुँचाए बिना समस्या का समाधान निकाला गया। यही है असली चतुराई – "सांप भी मरे, लाठी भी न टूटे!"