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अंतरिक्ष में मिला धूमकेतु जैसा ग्रह, 5.5 लाख किमी लंबी पूंछ और 40 पृथ्वी समा सकता है, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

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WASP-69 b, जो पृथ्वी से 160 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है, एक गैसीय ग्रह है। यह ग्रह अपने तारे के बेहद करीब 3.9 दिनों में एक पूरा चक्कर लगाता है। ग्रह की अत्यधिक गर्मी के कारण, यह हर सेकंड में लगभग 2 लाख टन गैस खो रहा है, जिससे इसके वातावरण पर गहरा असर पड़ सकता है। वैज्ञानिक इस घटना को लेकर हैरान हैं, क्योंकि यह ग्रह के अस्तित्व और उसके बदलते वातावरण को लेकर महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है।

वॉशिंगटन

वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के पास एक नया एलियन वर्ल्ड खोजा है, जो अपनी विशाल धूमकेतु जैसी पूंछ के लिए सुर्खियों में है। यह ग्रह, WASP-69 b, एक गैसीय ग्रह है जो पृथ्वी से 160 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है। इस ग्रह की पूंछ इतनी विशाल है कि इसमें 40 पृथ्वी समा सकती हैं। इस पूंछ का निर्माण ग्रह के वायुमंडल से लीक होने वाली गैस से हुआ है, जिसे तारकीय हवाएं (विंडसॉक) उड़ाती हैं।

WASP-69 b अपने तारे के बेहद करीब है, और इसी कारण यह केवल 3.9 दिनों में अपनी परिक्रमा पूरी करता है। इसका आकार बृहस्पति के समान है, लेकिन इसका द्रव्यमान एक तिहाई से भी कम है। 2014 में इसकी खोज के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि यह ग्रह हर सेकंड में लगभग 2 लाख टन गैस छोड़ता है, जिसमें मुख्य रूप से हीलियम और हाइड्रोजन होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह की अत्यधिक गर्मी के कारण यह गैसें निकल रही हैं।

धूमकेतु की तरह मिली पूछ

लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, WASP-69 b ग्रह से गैस का प्रवाह पिछले 7 अरब साल से निरंतर जारी है। जिस दर से यह गैस निकल रही है, उसके आधार पर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस एक्सोप्लैनेट ने अपने जीवनकाल में करीब 7 पृथ्वी के बराबर द्रव्यमान खो दिया है।

पहले वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि इस ग्रह के पास एक धूमकेतु जैसी पूंछ हो सकती है, जो गैसों से बनी हो, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी। लेकिन हाल ही में 9 जनवरी को एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में हवाई स्थित वेधशाला के डेटा का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने ग्रह और उसके वातावरण का विश्लेषण किया। अध्ययन में यह पाया गया कि इस ग्रह की पूंछ सच में 5.6 लाख किलोमीटर लंबी है, जो पृथ्वी की चौड़ाई से लगभग 44 गुना अधिक है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एस्ट्रोफिजिक्स डॉक्टरेट छात्र और अध्ययन के प्रमुख लेखक डकोटा टायलर ने बताया, "पिछले अवलोकनों में यह संकेत मिले थे कि WASP-69 b ग्रह की एक छोटी पूंछ हो सकती है, या फिर शायद कोई पूंछ ही नहीं हो। लेकिन हमारे अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि इस ग्रह की हीलियम से बनी पूंछ का आकार इतना विशाल है कि यह त्रिया से सात गुना ज्यादा फैली हुई है।"

यह पूंछ तब बनती है जब तारकीय हवाएं लीक हो रही गैस को ग्रह से बाहर धकेल देती हैं, जिससे एक निशान बन जाता है। तारकीय हवाएं, जो हमारे सूर्य से निकलने वाली सौर हवाओं जैसी होती हैं, के बिना यह पूंछ गायब हो जाएगी।

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