GSAT-20: फालकॉन-9 की मदद से स्पेस में भेजा भारत का नया सैटेलाइट, GSAT-20 से मिलेगा शानदार ब्रॉडबैंड कवरेज, जानिए इसकी विशेषता और फायदे

GSAT-20: फालकॉन-9 की मदद से स्पेस में भेजा भारत का नया सैटेलाइट, GSAT-20 से मिलेगा शानदार ब्रॉडबैंड कवरेज, जानिए इसकी विशेषता और फायदे
Last Updated: 19 नवंबर 2024

भारत ने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट का उपयोग करते हुए GSAT-20 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। यह प्रक्षेपण न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और स्पेसएक्स के बीच पहली साझेदारी का परिणाम है। GSAT-20 उपग्रह का मुख्य उद्देश्य भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना हैं।

इसरो: भारत ने 18 नवंबर, 2024 को स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से GSAT-20 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। यह एक महत्वपूर्ण कदम था क्योंकि यह पहली बार था जब ISRO की कमर्शियल ब्रांच, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), ने स्पेसएक्स के साथ साझेदारी की। इस प्रक्षेपण के 34 मिनट बाद उपग्रह रॉकेट से अलग हो गया और उसे सफलतापूर्वक अपनी जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया गया।

GSAT-20 उपग्रह भारत के दूरदराज क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में सुधार लाने और इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं का समर्थन करने के उद्देश्य से भेजा गया है। यह उपग्रह NSIL का दूसरा मांग-आधारित उपग्रह है और इससे भारतीय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलने की उम्मीद हैं।

इसरो की नई पहल 

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के चेयरमैन और एमडी राधाकृष्णन डी ने TOI को दिए गए एक बयान में इस सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्पेसएक्स को पिछले साल जारी किए गए RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) के आधार पर चुना गया था, और इस प्रक्रिया में अन्य बोलीदाता भी शामिल थे। यह साझेदारी एक नई शुरुआत है क्योंकि भारत की ओर से यह पहला मौका है जब एक अमेरिकी रॉकेट द्वारा उपग्रह को लॉन्च किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा समझौता सिर्फ इस प्रक्षेपण के लिए है, और भविष्य में आवश्यकताओं के आधार पर अन्य लॉन्च साझेदारों पर विचार किया जाएगा।

जीसैट-20 की प्रमुख विशेषताएं

जीसैट-20 उपग्रह भारत के उपग्रह संचार क्षेत्र में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है, जो विशेष रूप से देश की बढ़ती कनेक्टिविटी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके प्रमुख फीचर्स में शामिल हैं:

1. उच्च डेटा क्षमता: जीसैट-20 में 32 बीमों के साथ 48 जीबीपीएस की थ्रूपुट क्षमता है, जो इसे उच्च गति के डेटा ट्रांसमिशन के लिए सक्षम बनाता है।

2. दूरदराज के क्षेत्रों में कवरेज: यह उपग्रह भारत के अंडमान, निकोबार और लक्षद्वीप जैसे द्वीपसमूहों में मजबूत ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है, जो भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण स्थान हैं।

3. Ka-बैंड तकनीकी: जीसैट-20, Ka-बैंड फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है, जो इसे इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं और स्मार्ट सिटी पहल जैसे आधुनिक अनुप्रयोगों का समर्थन करने में सक्षम बनाता हैं।

4. स्थायित्व और दक्षता: इस उपग्रह का मिशन जीवन 14 साल का है, और इसमें अत्याधुनिक सामग्री जैसे सीएफआरपी संरचनाओं और ली-आयन बैटरी का उपयोग किया गया है, जिससे इसकी स्थायित्व और दक्षता सुनिश्चित होती हैं।

डिमांड के आधार पर किया अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का विस्तार

जीसैट-20 उपग्रह का प्रक्षेपण भारत सरकार के 2020 के अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों का हिस्सा है। यह सुधार NSIL (न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड) को उपग्रहों के विकास, स्वामित्व, संचालन और वित्तपोषण के अधिकार प्रदान करता है, जो सेवा की मांग के आधार पर होते हैं। GSAT-20, GSAT-24 के बाद NSIL का दूसरा उपग्रह है जिसे मांग के आधार पर लॉन्च किया गया है। GSAT-24 के विपरीत, जो एकल ग्राहक के लिए था (टाटा प्ले को लीज पर दिया गया था), GSAT-20 कई यूज़र्स को सेवा प्रदान करेगा, जिससे यह एक डेडिकेटेड उपग्रह होते हुए भी एक ही कंपनी तक सीमित नहीं रहेगा।

यह लॉन्च भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यवसायीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कई विभिन्न कंपनियों के लिए उपग्रह सेवाएं प्रदान करेगा। NSIL के तहत भारत सरकार का उद्देश्य डिजिटल डिवाइड को पाटना और पूरे देश में कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है, खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में।NSIL के इस कदम से भारत के अंतरिक्ष उद्योग में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी बढ़ेगी, जैसा कि GSAT-24 के लॉन्च के दौरान देखा गया था।

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