ISRO and Elon Musk deal: इसरो और एलन मस्क की कंपनी के बीच होगी बड़ी डील, भारत की सबसे एडवांस सैटेलाइट को लॉन्च करेगी Spacex

ISRO and Elon Musk deal: इसरो और एलन मस्क की कंपनी के बीच होगी बड़ी डील, भारत की सबसे एडवांस सैटेलाइट को लॉन्च करेगी Spacex
Last Updated: 5 घंटा पहले

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और स्पेसएक्स के बीच कई सहयोग हुए हैं, GSAT-20 (या GSAT-N2) एक संचार उपग्रह है जिसे ISRO ने डिज़ाइन और विकसित किया है। इसका उद्देश्य भारत की संचार सेवाओं को बढ़ावा देना है, जिसमें दूरसंचार, प्रसारण और अन्य उपग्रह-आधारित सेवाएं शामिल हैं।

Isro: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और स्पेसएक्स के बीच सहयोग हुआ है. भारत के  GSAT-20 (या GSAT-N2) उपग्रह को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। बता दें ISRO ने अपनी स्वदेशी रॉकेट प्रणाली, जैसे PSLV और GSLV, के माध्यम से भारतीय संचार उपग्रहों को लॉन्च किया है।स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट आम तौर पर अन्य देशों के उपग्रहों को लॉन्च करता है, और ISRO के छोटे उपग्रहों को भी कभी-कभी स्पेसएक्स द्वारा लॉन्च किया जाता हैं। 

क्यों हुई इसरो और एलन मस्क की कंपनी के बीच डील?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और स्पेसएक्स के बीच कई डील्स हुई हैं। विशेष रूप से, जब भारत के भारी उपग्रहों को लॉन्च करने की बात आती है, तो ISRO के पास अपनी कुछ सीमाएं होती हैं, क्योंकि भारत के लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (GSLV Mk III) की क्षमता 4000 से 4100 किलोग्राम तक की है। इस कारण से, भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए ISRO ने स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी की हैं।

जैसा कि आपने उल्लेख किया है, GSAT-N2 उपग्रह का वजन 4700 किलोग्राम है, जो भारत के मौजूदा रॉकेट के लिए बहुत भारी था, इसलिए इसे स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। भारत अब तक अपने भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए एरियनस्पेस (यूरोप आधारित कंपनी) पर निर्भर था, लेकिन वर्तमान में स्पेसएक्स एक प्रमुख विकल्प बन चुका हैं।

क्यों खास है भारत का जीसैट-एन2 उपग्रह?

इसरो ने जीसैट-एन2 उपग्रह का निर्माण किया है, जिसका वजन 4700 किलोग्राम है और इसका मिशन जीवन 14 वर्ष निर्धारित किया गया है। यह उपग्रह भारत के संचार नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे विशुद्ध रूप से एक व्यावसायिक प्रक्षेपण के रूप में लॉन्च किया जा रहा है, जिसका संचालन एनएसआईएल (National Space India Limited) द्वारा किया जाएगा।

जीसैट-एन2 उपग्रह में 32 उपयोगकर्ता बीम होते हैं, जिनमें से आठ संकीर्ण स्पॉट बीम पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए निर्धारित हैं, जबकि शेष 24 बीम भारत के अन्य हिस्सों में विस्तृत क्षेत्रीय कवरेज प्रदान करते हैं। यह उपग्रह भारत की मुख्य भूमि में स्थित हब स्टेशनों द्वारा समर्थित किया जाएगा, जो इसके संचालन में सहायता करेंगे और भारत में विभिन्न क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएंगे।

ऐसा अनुमान है कि फाल्कन 9 रॉकेट के इस एकल समर्पित वाणिज्यिक प्रक्षेपण पर 60-70 मिलियन डॉलर (लगभग 591 करोड़ 34 लाख रुपये) का खर्च आएगा। यह प्रक्षेपण जीसैट-एन2 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने के लिए है, और इसमें भारतीय संचार क्षेत्र को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी।

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