इंसानों की चांद पर पहुंचने की चाहत कई दशकों से पूरी नहीं हो पाई है, और अब नासा के मून मिशन (आर्टेमिस) की असफलता के बाद यह उम्मीद और भी टलती नजर आ रही है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, मून मिशन अब 2027 तक टलने की संभावना हैं।
NASA: चांद पर इंसानों को भेजने की नासा की निरंतर कोशिशें अब तक सफल नहीं हो पाई हैं, और अब इसे और भी देर हो सकती है। नासा के "आर्टेमिस" मिशन के तहत, 50 सालों बाद इंसानों को चांद की सतह पर भेजने की योजना है, लेकिन हर बार कोई न कोई तकनीकी खामी इस राह में बाधक बन रही है।नासा के प्रशासक, बिल नेल्सन ने हाल ही में इस मिशन की और देरी होने की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के अगले मिशन, जिसमें चार अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के चारों ओर भेजने का लक्ष्य है, अब अप्रैल 2026 तक टल सकता है। इसका उद्देश्य चांद के चारों ओर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजकर उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इस मिशन के लिए कई बार तैयारियां की गई हैं, लेकिन तकनीकी और सुरक्षा कारणों से इसे हर बार टाला गया है। चांद पर इंसानों की वापसी की राह में कई जटिलताएं हैं, जिससे यह साफ है कि चांद पर इंसान का कदम रखना इतना आसान नहीं हैं।
2027 तक टला मून मिशन
नासा के आर्टेमिस मिशन के तीसरे चरण को अब 2027 तक टालने का निर्णय लिया गया है। इस मिशन के तहत दो और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य था, लेकिन अब इसे 2027 तक स्थगित कर दिया गया है। पहले नासा ने 2026 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन तकनीकी और सुरक्षा कारणों के चलते यह समयसीमा बढ़ा दी गई हैं।
नासा का यह आर्टेमिस कार्यक्रम चंद्रमा पर मानव यात्रा की वापसी को सुनिश्चित करने के लिए है, और यह अपोलो कार्यक्रम के बाद चंद्रमा पर इंसान की वापसी का पहला प्रयास है। अपोलो कार्यक्रम के दौरान, 1969 से 1972 तक, 24 अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा की यात्रा की थी, जिनमें से 12 ने चंद्रमा पर कदम रखा था।
अब नासा का ध्यान आर्टेमिस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने के लिए आवश्यक तकनीकी और सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने पर है, ताकि भविष्य में इस महत्वाकांक्षी मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके।