79वें स्वतंत्रता दिवस पर मोहन भागवत ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने और विश्व को नेतृत्व देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास ज़रूरी हैं और भारत के सांस्कृतिक मूल्यों से दुनिया को स्थायी शांति का मार्ग मिल सकता है।
नई दिल्ली: देशभर में 79वां स्वतंत्रता दिवस उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने भुवनेश्वर में ध्वजारोहण कर देशवासियों को संबोधित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता केवल प्राप्त करने की चीज नहीं है, बल्कि इसे बनाए रखने के लिए निरंतर परिश्रम, त्याग और सजगता आवश्यक है।
भागवत ने उत्कल बिपन्ना सहायता समिति में आयोजित समारोह में कहा कि भारत केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सुख और शांति के लिए कार्य करने वाला देश है। उन्होंने कहा, 'भारत एक विशिष्ट और पूर्ण राष्ट्र है, जिसका उद्देश्य विश्व में सद्भाव और धर्म का प्रसार करना है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज के केंद्र में स्थित अशोक चक्र धर्म और न्याय का प्रतीक है, जो सभी को साथ लेकर चलने का संदेश देता है।'
स्वतंत्रता पर आत्मसंतोष नहीं, निरंतर प्रयास ज़रूरी
मोहन भागवत ने चेताया कि आजादी के बाद हम आत्मसंतोष में न डूबें। स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक आजादी नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मजबूती भी है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अदम्य साहस और बलिदान देकर हमें यह आजादी दिलाई। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे सहेजें और आने वाली पीढ़ियों के लिए और सशक्त बनाएं।
उन्होंने जोर देकर कहा, 'आज दुनिया अनेक संकटों से जूझ रही है। विज्ञान, तकनीक और राजनीति में हजारों प्रयोगों के बाद भी वैश्विक समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं मिल पाया है। यह भारत का दायित्व है कि वह अपने प्राचीन मूल्यों और धर्म आधारित दृष्टिकोण से दुनिया को समाधान दे। हमें ‘विश्व गुरु’ के रूप में उभरना होगा।'
आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक नेतृत्व
भागवत ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें। उन्होंने कहा कि आर्थिक और सामाजिक मजबूती ही हमें दुनिया का मार्गदर्शक बनाएगी। 'हमारे पास ऐसा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाना है, जो पूरी दुनिया को दिशा दे सकता है। हमें केवल इसे आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करना है,' उन्होंने जोड़ा।
संघ मुख्यालय में भी मनाया गया पर्व
इसी दिन नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में भी स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन हुआ। यहां संघ के वरिष्ठ नेता राजेश लोया ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले वीरों को याद करते हुए कहा कि उनका बलिदान हमेशा देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा।
लोया ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना करते हुए कहा, 'आजादी के बाद जब-जब किसी ने भारत की ओर गलत नजर डाली, हमारे जवानों ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया। यह हमारे स्वाभिमान और शक्ति का प्रमाण है।' उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि भारत ने अपने संसाधनों का सदुपयोग कर न केवल अपनी रक्षा की, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि आत्मनिर्भरता ही असली शक्ति है।
विश्व के लिए भारत का संदेश
भागवत के भाषण में यह स्पष्ट था कि भारत का लक्ष्य केवल अपने विकास तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम स्वतंत्र इसलिए हुए ताकि हमारे देश के हर नागरिक को सुख, सुरक्षा, सम्मान और शांति मिल सके। लेकिन इसके साथ ही, हमें दुनिया को भी दिखाना होगा कि स्थायी शांति और खुशी का मार्ग हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और धर्म में निहित है।'
उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे न केवल तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आगे बढ़ें, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़े रहें। 'आधुनिकता और परंपरा का संतुलन ही भारत की असली पहचान है।'