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94 वर्षीय ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर की अपील पर झुका यमन, मौत की सजा पर लगी रोक

94 वर्षीय ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर की अपील पर झुका यमन, मौत की सजा पर लगी रोक

नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा मिली थी। ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर की पहल पर यमन के मौलवियों ने सजा टाल दी। इंसानियत की मिसाल बनी यह कोशिश।

Nimisha Priya: केरल की रहने वाली 34 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी संकट में थी। यमन की अदालत ने उन्हें एक व्यक्ति की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई थी और 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी। लेकिन ऐन मौके पर एक अच्छी खबर सामने आई। भारत के वरिष्ठ इस्लामिक धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर कंथापुरम की कोशिशों से यमन ने सजा को अस्थायी रूप से टाल दिया है। इस पहल ने न सिर्फ निमिषा बल्कि उनके परिवार और समर्थकों में नई उम्मीद जगाई है।

शेख अबू बकर की मध्यस्थता से टली सजा

शेख अबू बकर कंथापुरम ने यमन के इस्लामिक विद्वानों से संपर्क कर इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की थी। उन्होंने बताया कि इस्लाम में ऐसे मामलों में दीया (ब्लड मनी) या क्षमा की व्यवस्था है। यदि पीड़ित के परिवार वाले क्षमा करें या मुआवजा स्वीकार करें, तो दोषी को राहत मिल सकती है।

उन्होंने मीडिया से कहा, “इस्लाम में कानून का तरीका अलग है। मैंने यमन के जिम्मेदार मौलवियों से संपर्क किया और उनसे इस मामले को इंसानियत के नजरिए से देखने की अपील की। उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और हमें सूचित किया कि फिलहाल मौत की सजा को स्थगित कर दिया गया है।”

केंद्र सरकार और पीएम को भेजा संदेश

शेख अबू बकर ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इस प्रक्रिया और बातचीत की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह इंसानियत से जुड़ा मसला है और इसमें धर्म या जाति की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में सभी धर्मों के लोग एक मंच पर रहते हैं और यही हमारी एकता की पहचान है।

इस्लामिक कानून के अनुसार, हत्या के मामलों में सजा से बचने का एक तरीका दीया (मुआवजा) देना होता है। इसके तहत पीड़ित के परिजन यदि अपराधी को क्षमा कर दें और आर्थिक मुआवजा स्वीकार कर लें, तो फांसी की सजा रोकी जा सकती है। शेख अबू बकर ने यमन के मौलवियों से अनुरोध किया कि वे इस विकल्प पर विचार करें क्योंकि भारत में लोग इसके लिए तैयार हैं।

कौन हैं शेख अबू बकर कंथापुरम

शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुस्लियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दसवें और मौजूदा ग्रैंड मुफ्ती हैं। 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड में जन्मे शेख अबू बकर एक प्रमुख सूफी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव और जामिया मरकज के चांसलर हैं।

उन्होंने 2014 में आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ पहला फतवा जारी किया था। इसके अलावा वे अंतरधार्मिक संवाद, सामाजिक सद्भाव और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उनकी संस्था मरकज नॉलेज सिटी जैसी पहल से हजारों लोग लाभान्वित हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने जताई सराहना

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह खबर राहत देने वाली है। उन्होंने कहा कि निमिषा प्रिया की सजा टलने से उनके परिवार को कुछ समय और मिला है ताकि वे कानूनी प्रक्रिया पूरी कर सकें। मुख्यमंत्री ने मुफ्ती अबू बकर कंथापुरम और एक्शन काउंसिल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह मानवीय पहल की मिसाल है।

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