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आजम खां की मुश्किलें बरकरार, तीन अहम मामलों में जल्द होगा फैसला

आजम खां की मुश्किलें बरकरार, तीन अहम मामलों में जल्द होगा फैसला

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां भले ही लंबे कारावास के बाद जेल से बाहर आ गए हों, लेकिन उनकी कानूनी मुश्किलें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं। सीतापुर जेल से रिहाई के बाद रामपुर लौटे आजम खां को जहां जनता का समर्थन मिला।

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां जेल से रिहा हो गए हैं, लेकिन उनके सामने मुश्किलें अभी भी कायम हैं। उनके लिए 1 अक्टूबर का दिन विशेष महत्व रखता है, वहीं उनके तीन मामलों के फैसले भी नजदीक हैं और जल्द ही इन पर निर्णय हो सकता है। मंगलवार को आजम खां सीतापुर जेल से रिहा होकर रामपुर पहुंचे। 

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से उनके लिए चुनौतियां कम होती नहीं दिख रही हैं। 27 माह और फिर 23 माह जेल में बिताने के बाद रिहा हुए आजम खां के चेहरे पर खुशी नजर आई, लेकिन उनके सामने समस्याएं अब भी बनी हुई हैं।

104 मामले दर्ज, पांच में सजा और तीन बड़े फैसलों का इंतजार

2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से आजम खां के खिलाफ कानूनी शिकंजा लगातार कसता गया। उन पर कुल 104 आपराधिक मामले दर्ज हुए। इनमें से 12 मामलों में अदालत ने फैसला सुना दिया है — पांच मामलों में उन्हें सजा हुई है, जबकि सात में बरी कर दिया गया। फिलहाल 59 मामले सेशन कोर्ट और 19 मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान में तीन ऐसे अहम मामले हैं जिनमें अदालत जल्द ही अपना निर्णय सुना सकती है।

1. भड़काऊ भाषण का मामला

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान आजम खां पर आरोप लगा कि उन्होंने रामपुर में आयोजित एक जनसभा में मतदाताओं को पुलिस के खिलाफ भड़काया और मतदान अवधि खत्म होने के बाद भी वोट डालने के लिए प्रेरित किया। उस समय यह भाषण इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया था। इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए तत्कालीन एसडीएम ने एफआईआर दर्ज कराई। इस केस में बहस पूरी हो चुकी है और फैसला जल्द आने वाला है।

2. अमर सिंह परिवार पर टिप्पणी

पूर्व सांसद अमर सिंह के परिवार पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी भी आजम खां के लिए संकट बनी हुई है। 23 अगस्त 2018 को एक न्यूज चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने अमर सिंह और उनके परिवार को लेकर विवादित बयान दिया था। इस पर लखनऊ के गोमतीनगर थाने में केस दर्ज हुआ, जिसे बाद में रामपुर स्थानांतरित कर दिया गया। यह मामला एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में चल रहा है और अब निर्णय के करीब है।

3. शत्रु संपत्ति विवाद

शत्रु संपत्ति से जुड़े एक अन्य केस में अदालत ने आजम खां को 1 अक्तूबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है। पुलिस ने इस मामले में तीन अतिरिक्त धाराएं जोड़ी हैं। बचाव पक्ष ने इस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसके चलते उन्हें तत्काल हिरासत में नहीं लिया गया।

अन्य मुकदमे भी लंबित

आजम खां पर सेना के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने और किसानों की जमीन कब्जाने जैसे मामले भी अदालतों में विचाराधीन हैं। यतीमखाना बस्ती से जुड़े मुकदमे में हाल ही में गवाह की जिरह हुई थी, जिसकी अगली सुनवाई 25 सितंबर को तय की गई है। सपा नेता का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय भी जांच एजेंसियों के घेरे में है। दो साल पहले आयकर विभाग ने देशभर में आजम खां और उनके सहयोगियों के 30 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। जांच में विश्वविद्यालय के निर्माण में 350 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं।

इसके बाद विभाग ने जौहर ट्रस्ट पर जुर्माना और ब्याज मिलाकर लगभग 550 करोड़ रुपये वसूलने की प्रक्रिया शुरू की। ईडी ने भी आजम खां, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की संपत्तियों की जांच शुरू की है। विश्वविद्यालय को धन देने वाले कई नेता, सरकारी विभाग, ठेकेदार और आर्किटेक्ट भी अब जांच एजेंसियों के दायरे में हैं।

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