हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास हर वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद प्रारंभ होता है। यह महीना केवल मौसम परिवर्तन का नहीं, बल्कि धार्मिक जागरूकता और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक भी है। वर्ष 2025 में आषाढ़ माह 12 जून से 10 जुलाई तक रहेगा। इस विशेष कालखंड में भगवान विष्णु की उपासना, व्रत, दान और संयमित जीवनशैली अपनाने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
आषाढ़ माह का आध्यात्मिक महत्व
आषाढ़ का महीना उस समय की ओर संकेत करता है जब देवता 'योगनिद्रा' में चले जाते हैं, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत भी मानी जाती है, जो अगले चार महीनों तक चलता है। इस अवधि में साधना, सेवा, दान, व्रत और संयम का पालन अत्यंत लाभकारी माना गया है।
इस माह में आने वाले प्रमुख पर्व:
- देवशयनी एकादशी
- जगन्नाथ रथयात्रा
- गुरु पूर्णिमा
ये सभी पर्व भगवान विष्णु और गुरु तत्व की उपासना से जुड़े हुए हैं, जो जीवन में मार्गदर्शन और आत्मिक उन्नति का प्रतीक माने जाते हैं।
आषाढ़ मास में करें ये धार्मिक कार्य
1. भगवान विष्णु का पूजन और मंत्र जाप
हर दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मानसिक शांति, बाधा निवारण और आत्मबल बढ़ाने में सहायक है।
2. व्रत और उपवास
आषाढ़ माह में आने वाली एकादशी, विशेषकर देवशयनी एकादशी, का व्रत रखना अति शुभ होता है। इससे पाप कर्मों का क्षय होता है और मन शुद्ध होता है।
3. दान और सेवा कार्य
- इस महीने में वस्त्र, अन्न, छाता, जलपात्र और पंखे का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाना एक उत्तम सेवा कार्य है।
- जल दान विशेष रूप से इस माह में लाभकारी माना गया है।
4. तुलसी सेवा और विशेष उपाय
- रोज तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें।
- आषाढ़ माह में तुलसी के पौधे में पीले रंग के कलावे से 108 गांठ बांधने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
5. सात्विक और सुपाच्य आहार
इस माह में मौसम के अनुसार सुपाच्य और हल्का भोजन करें, जैसे:
- चावल, मूंग की दाल, हरी सब्जियां, मौसमी फल आदि।
- इससे शरीर स्वस्थ रहता है और संक्रमण से भी बचाव होता है।
आषाढ़ मास में इन चीजों से करें परहेज
1. तामसिक भोजन से परहेज
लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा जैसे तामसिक भोजन से दूरी बनाए रखें। इससे आत्मिक शुद्धता बनी रहती है और शरीर भी रोगमुक्त रहता है।
2. वृक्षों की कटाई से बचें
पेड़-पौधों को काटना इस माह में वर्जित माना गया है। प्रकृति की रक्षा करना भी धर्म का ही एक रूप है।
3. क्रोध और असत्य से दूरी
आषाढ़ माह में संयम, शांति और सत्य का पालन करना चाहिए। किसी से कटु शब्द न बोलें और न ही कोई छल-कपट करें।
क्यों विशेष है आषाढ़?
- यह महीना मानसून की शुरुआत का समय होता है। जहां वातावरण में नमी और हरियाली आती है, वहीं यह भी समय होता है आत्मचिंतन और आत्मविकास का।
- चातुर्मास के चार महीनों में आषाढ़ सबसे पहला है, जिसमें जीवनशैली में बदलाव, भोजन में सादगी और कर्मों में पवित्रता लाने की परंपरा रही है।
आषाढ़ माह न केवल प्रकृति के बदलाव का संकेत देता है, बल्कि हमारे जीवन में भी आध्यात्मिक अनुशासन लाने का अवसर देता है। इस माह में भगवान विष्णु की आराधना, व्रत, दान, साधना और सेवा कार्यों से जहां आत्मिक लाभ मिलता है, वहीं जीवन की परेशानियां भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।