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राजस्थान का काबा मंदिर: भक्तों से ज्यादा चूहे, जानें करणी माता मंदिर की अनोखी परंपरा

राजस्थान का काबा मंदिर: भक्तों से ज्यादा चूहे, जानें करणी माता मंदिर की अनोखी परंपरा

राजस्थान के बीकानेर स्थित करणी माता मंदिर, जिसे काबा वाला मंदिर कहा जाता है, अपने हजारों चूहों के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता है कि चूहे चारण परिवारों के मृतकों का पुनर्जन्म हैं। सफेद चूहे के दर्शन से विशेष शुभफल मिलता है और व्यक्ति की किस्मत चमकती है।

Rat Temple of India: बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर, जिसे काबा वाला मंदिर भी कहा जाता है, अपने अनोखे चूहों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में प्रतिदिन भक्तों से अधिक चूहे आते हैं, जिन्हें काबा कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ये चूहे चारण परिवारों के मृतकों का पुनर्जन्म हैं। यहां सफेद चूहे के दर्शन से सुख, सफलता और शुभफल की प्राप्ति होती है।

करणी माता कौन हैं

हिंदू धर्म में करणी माता को शक्ति का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि उनका जन्म चारण जाति में हुआ था। राजस्थान के कई रजवाड़ों में करणी माता को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। कई लोग उन्हें हिंगलाज देवी के रूप में भी पूजते हैं। करणी माता के मंदिर में भक्त उनकी पूजा और दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

मंदिर में चूहों का महत्व

करणी माता मंदिर में चूहों की इतनी बड़ी संख्या का धार्मिक और पौराणिक महत्व है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, जब किसी चारण की मृत्यु होती है, तो उनकी आत्मा अगले जन्म में माता के मंदिर में चूहे के रूप में आती है। इन्हें काबा कहा जाता है और मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इन चूहों को तंग नहीं करते। चूहों के लिए विशेष स्थान और भोजन की व्यवस्था की जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे भक्तों के लिए पवित्र माना जाता है।

सफेद चूहा और शुभ संकेत

मंदिर में अधिकांश चूहे काले या भूरे रंग के होते हैं, लेकिन यदि किसी श्रद्धालु को सफेद चूहा दिखाई दे तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सफेद चूहे के दर्शन से व्यक्ति की किस्मत चमकती है और उसे सुख, सौभाग्य और सफलता प्राप्त होती है। यही कारण है कि सफेद चूहे को देखना श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सौभाग्यशाली घटना मानी जाती है।

मंदिर की अनोखी परंपरा

करणी माता मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां चूहों की सुरक्षा और भरण-पोषण का विशेष ध्यान रखा जाता है। भक्त चूहों को दाना, रोटियां और भोग अर्पित करते हैं। मंदिर के अंदर और आसपास चूहों की फौज लगातार टहलती रहती है। किसी भी भक्त या आगंतुक को इन चूहों को चोट पहुंचाने की अनुमति नहीं है। इस परंपरा के चलते करणी माता का मंदिर अन्य मंदिरों से अलग और अनोखा दिखाई देता है।

करणी माता मंदिर बीकानेर के इतिहास और संस्कृति का भी हिस्सा है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। राजस्थान के चारण समाज ने सदियों से माता करणी की पूजा और मंदिर की देखभाल की है। मंदिर के आसपास आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु चूहों के अद्भुत दृश्य और पूजा की परंपरा देखकर चकित रह जाते हैं।

आस्था और चमत्कार

करणी माता मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के लिए आते हैं। यहां पर भक्तों का विश्वास है कि माता की कृपा से उनके दुख दूर होते हैं और इच्छाएं पूरी होती हैं। मंदिर में चूहों की संख्या, सफेद चूहे का विशेष महत्व और माता के प्रति भक्ति का यह अद्भुत संगम इसे देश के सबसे अनोखे और रहस्यमय मंदिरों में से एक बनाता है।

धार्मिक परंपरा

मंदिर में आने वाले श्रद्धालु केवल दर्शन और पूजा के लिए नहीं आते, बल्कि यह देखना भी चाहते हैं कि कितने चूहे कितनी शांति और भक्ति के साथ मंदिर में घूम रहे हैं। मंदिर में भक्तों के लिए यह अनुभव अनूठा और आस्था से भरा होता है। करणी माता मंदिर का यह अनोखा रूप इसे राजस्थान और भारत के धार्मिक पर्यटन में प्रमुख बनाता है।

करणी माता मंदिर में भक्तों की अपेक्षा चूहों की संख्या अधिक होने के कारण इसे ‘काबा वाला मंदिर’ कहा जाता है। इस मंदिर की अनोखी परंपरा, इतिहास और आस्था की कहानियां हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

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