मुंबई में लाउडस्पीकर की सीमा के बाद मस्जिदों ने 'Online Azan' ऐप से डिजिटल अजान शुरू की, जिससे लोग मोबाइल पर लाइव अजान सुन सकते हैं।
Digital Azan: मुंबई में लाउडस्पीकर से अजान पर लगी कानूनी पाबंदियों के बाद, मस्जिदों ने एक अनोखा डिजिटल समाधान अपनाया है। अब अजान सीधे आपके मोबाइल पर सुनी जा सकेगी, वो भी बिना शोर-शराबे के। एक खास मोबाइल ऐप—Online Azan—की मदद से यह संभव हुआ है। मुंबई की कई मस्जिदें अब इस ऐप के ज़रिए अजान को लाइव स्ट्रीम कर रही हैं, जो खासकर बुजुर्गों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है।
लाउडस्पीकर पर पाबंदी और डिजिटल पहल
मुंबई में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार लाउडस्पीकर के ध्वनि स्तर को नियंत्रित किया गया है। दिन में अधिकतम 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल की सीमा तय की गई है। हालांकि कोर्ट ने लाउडस्पीकर पूरी तरह से हटाने का आदेश नहीं दिया, फिर भी कई मस्जिदों को पुलिस की ओर से नोटिस मिला कि अगर साउंड लिमिट का पालन नहीं हुआ तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इसी चेतावनी के बाद महिम जामा मस्जिद जैसी प्रतिष्ठित मस्जिदों ने अपनी ओर से लाउडस्पीकर का उपयोग बंद करने का फैसला किया और डिजिटल समाधान की ओर रुख किया।
क्या है Online Azan ऐप?
‘Online Azan’ एक स्मार्टफोन ऐप है जो मस्जिदों में होने वाली अजान को लाइव ऑडियो के रूप में यूज़र्स के मोबाइल तक पहुंचाता है। इसे तमिलनाडु के आईटी एक्सपर्ट्स ने डेवलप किया है और यह Android और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। इसकी मदद से यूज़र्स अपने स्मार्टफोन पर रियल टाइम में अजान सुन सकते हैं, जैसे वह मस्जिद के पास खड़े हों।
मुंबई की महिम जामा मस्जिद इस डिजिटल पहल की अगुवाई कर रही है। वहां के मैनेजिंग ट्रस्टी फहाद खलील पठान के अनुसार, पुलिस से लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा के पालन को लेकर चेतावनी मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया कि अब अजान डिजिटल माध्यम से दी जाएगी।
ऐप कैसे करता है काम?
Online Azan ऐप मस्जिद से सीधा लाइव ऑडियो स्ट्रीम करता है। जैसे ही मस्जिद में अजान दी जाती है, ऐप उस ध्वनि को रियल टाइम में यूज़र के फोन तक पहुंचा देता है। इसके लिए यूज़र को बस एक बार ऐप डाउनलोड करना होता है और अपनी नजदीकी पंजीकृत मस्जिद को चुनना होता है।
मुख्य फीचर्स:
- लाइव अजान ऑडियो
- नमाज समय अलर्ट
- बैकग्राउंड में स्वत: स्ट्रीमिंग
- आसान सेटअप
- भारत में होस्टेड सर्वर
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और सुरक्षा
Online Azan ऐप में मस्जिदों को जोड़ने के लिए एक प्रामाणिक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अपनाई गई है। इसके तहत:
- मस्जिद का आवेदन फॉर्म
- पता प्रमाण
- अजान देने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड
- जांच के बाद ही मस्जिद को प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जाता है। कंपनी के अनुसार, अब तक तमिलनाडु की 250 से ज्यादा मस्जिदें पहले ही इस नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं और अब मुंबई की भी 6 मस्जिदें इसमें शामिल हो चुकी हैं।
तीन दिन में 500+ यूजर्स
महिम जामा मस्जिद के पास रहने वाले 500 से अधिक लोगों ने मात्र तीन दिनों में इस ऐप पर रजिस्ट्रेशन कर लिया। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि लोग इस डिजिटल पहल को न केवल स्वीकार कर रहे हैं, बल्कि सराह भी रहे हैं।
खासकर रमजान और ईद जैसे पर्वों पर जब सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर सीमित कर दिए जाते हैं, ऐसे में यह ऐप मुस्लिम समुदाय को धार्मिक गतिविधियों से जुड़े रहने में बेहद सहायक बनता है।
मस्जिदों और टेक्नोलॉजी का मिलन
महिम जामा मस्जिद के ट्रस्टी फहाद खलील पठान का कहना है कि यह ऐप बुजुर्गों और तकनीक से कम जुड़े लोगों के लिए भी काफी आसान है। वे बताते हैं कि पुलिस की ओर से बार-बार ध्वनि सीमा पर ध्यान देने की अपील के बाद मस्जिदों ने खुद ही स्वेच्छा से यह कदम उठाया है।
वहीं, Online Azan ऐप के को-फाउंडर मोहम्मद अली के मुताबिक कंपनी पिछले तीन वर्षों से इस तकनीक पर काम कर रही है। उनका उद्देश्य है कि भारत की अधिक से अधिक मस्जिदें डिजिटल माध्यम से अपने समुदाय से जुड़ी रहें।
डेटा प्राइवेसी और भरोसा
यूज़र्स की प्राइवेसी को लेकर कंपनी का कहना है कि ऐप किसी भी यूज़र का व्यक्तिगत डेटा संग्रह नहीं करता और सभी सर्वर भारत में ही होस्ट किए गए हैं। ऐप न तो कॉल्स एक्सेस करता है और न ही लोकेशन डेटा लेता है, जिससे यूज़र्स को सुरक्षा का भरोसा भी मिलता है।