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AI आपके मोबाइल की जासूसी कर रहा है? जानिए किन टूल्स और डिवाइसेज़ से हो रहा है डेटा चोरी और कैसे रखें डेटा सुरक्षित

AI आपके मोबाइल की जासूसी कर रहा है? जानिए किन टूल्स और डिवाइसेज़ से हो रहा है डेटा चोरी और कैसे रखें डेटा सुरक्षित

AI टूल्स आपकी गतिविधियों और निजी जानकारी को ट्रैक कर सकते हैं। स्मार्ट डिवाइसेज़ और ऐप्स से जुड़ी सेटिंग्स सावधानी से इस्तेमाल करें और अपनी प्राइवेसी की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें।

AI: आज का दौर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का है। हम हर दिन अनजाने में कई AI टूल्स से घिरे रहते हैं—चाहे वो ChatGPT हो, Microsoft Copilot, Google Gemini या फिर आपकी स्मार्टवॉच और होम स्पीकर। ये सभी तकनीकें हमारी जिंदगी को स्मार्ट बनाती हैं, लेकिन एक सवाल भी उठता है—क्या ये आपकी जासूसी कर रही हैं?

वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में साइबरसिक्योरिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर क्रिस्टोफर रमज़ान ने इस गंभीर मुद्दे पर रिसर्च की है। उनके मुताबिक, AI टूल्स न सिर्फ आपके डेटा को इकट्ठा करते हैं, बल्कि उस डेटा के आधार पर आपकी डिजिटल प्रोफाइल भी तैयार करते हैं। यह सीधे तौर पर आपकी प्राइवेसी को खतरे में डालता है।

कैसे डेटा जुटाते हैं AI टूल्स?

ChatGPT, Google Gemini, Microsoft Copilot जैसे जनरेटिव AI टूल्स में यूज़र जो भी टाइप करता है—प्रश्न, जवाब या कमेंट—वह सिस्टम द्वारा रिकॉर्ड कर लिया जाता है। कंपनियों का दावा है कि वे इस डेटा का उपयोग अपने सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए करती हैं।

हालांकि, OpenAI जैसे प्लेटफॉर्म अब यूज़र्स को ऑप्शन देते हैं कि उनका डेटा मॉडल ट्रेनिंग में उपयोग न किया जाए, लेकिन फिर भी आपकी इनपुट की गई जानकारी सिस्टम में सेव जरूर हो जाती है। कुछ कंपनियां डेटा को 'अनाम' यानी anonymised करने का दावा करती हैं, पर रिस्क हमेशा बना रहता है कि उसे दोबारा पहचान योग्य बनाया जा सकता है।

सोशल मीडिया और स्मार्ट डिवाइस कैसे कर रहे हैं निगरानी

Facebook, Instagram, TikTok जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म न सिर्फ आपकी एक्टिविटी ट्रैक करते हैं, बल्कि आपकी हर क्लिक, कमेंट, वीडियो व्यू टाइम और लोकेशन को भी एनालाइज करते हैं।

स्मार्टवॉच, फिटनेस बैंड, होम स्पीकर्स जैसी डिवाइसें भी बायोमेट्रिक डेटा, आवाज़ और मूवमेंट के जरिए आपकी आदतों को रिकॉर्ड करती हैं। इन जानकारियों के ज़रिए कंपनियां आपके बारे में एक सटीक डिजिटल प्रोफाइल बनाती हैं जो विज्ञापन और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होती है।

क्लाउड में स्टोर डेटा और साइबर खतरा

AI टूल्स द्वारा एकत्र किया गया डेटा क्लाउड पर स्टोर किया जाता है। क्लाउड सर्वर अक्सर थर्ड पार्टी से जुड़े होते हैं, जिसका मतलब है कि आपका डेटा उन तक भी पहुंच सकता है। यदि कोई हैकर इन सर्वरों को टारगेट करता है, तो आपकी संवेदनशील जानकारी चोरी हो सकती है।

AI कंपनियां कई बार पारदर्शिता नहीं बरततीं। एक रिपोर्ट के अनुसार, आम यूजर्स सिर्फ 73 सेकंड में किसी ऐप की टर्म्स एंड कंडीशंस पढ़े बिना ही "Agree" कर देते हैं, जबकि इसे सही से समझने में 30 मिनट तक लग सकते हैं। यही जल्दबाज़ी आपको खतरे में डाल सकती है।

आपकी सुरक्षा के लिए क्या कर सकते हैं?

प्रोफेसर रमज़ान कुछ जरूरी सुझाव देते हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बना सकते हैं:

  • AI टूल्स में निजी जानकारी न डालें: जैसे कि नाम, पता, आधार या बैंक डिटेल्स।
  • ऑफिस से जुड़ी संवेदनशील जानकारी AI से दूर रखें: क्लाइंट डेटा या व्यापारिक गोपनीयता AI से साझा न करें।
  • स्मार्ट डिवाइसेज़ को ज़रूरत न हो तो बंद कर दें: Sleep Mode में रहकर भी ये डिवाइस बैकग्राउंड में सुन सकते हैं।
  • प्राइवेसी सेटिंग्स की समीक्षा करें: समय-समय पर जांचें कि आपने किन ऐप्स को क्या अनुमति दी है।

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और पासवर्ड मैनेजर का इस्तेमाल करें: इससे आपके अकाउंट की सुरक्षा बढ़ेगी।

क्या कहती है सरकार और साइबर लॉ?

भारत सरकार ने हाल ही में कुछ AI आधारित ऐप्स पर बैन लगाया है, जो फर्जी लोन देने के बहाने यूज़र्स का डेटा चुराते थे। साथ ही, डेटा प्रोटेक्शन बिल पर भी काम चल रहा है ताकि नागरिकों की जानकारी सुरक्षित रखी जा सके। हालांकि, AI के तेज़ी से बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए यह प्रयास नाकाफी लग सकते हैं जब तक यूज़र खुद सजग न हों।

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