अमेरिका में एक व्यक्ति ने अस्पताल के 1.6 करोड़ रुपये के गलत बिल को AI चैटबॉट की मदद से चुनौती दी. चैटबॉट ने बिल में गड़बड़ी पकड़कर कानूनी पत्र तैयार किया, जिसके बाद अस्पताल को अपनी गलती माननी पड़ी और बिल घटाकर सिर्फ 29 लाख रुपये कर दिया गया.
AI Chatbot: अमेरिका में एक व्यक्ति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट की मदद से अस्पताल के ओवरचार्जिंग का मामला उजागर किया. दरअसल, हार्ट अटैक के बाद उसके जीजा की मौत ICU में हुई थी, जिसके बाद अस्पताल ने चार घंटे के इलाज का 1.6 करोड़ रुपये का बिल भेजा. जब व्यक्ति ने Claude AI चैटबॉट से जांच कराई, तो उसमें डुप्लिकेट और गलत चार्ज सामने आए. AI की सहायता से तैयार कानूनी पत्र भेजने पर अस्पताल ने गलती स्वीकार की और नया बिल जारी कर सिर्फ 29 लाख रुपये वसूले.
AI चैटबॉट ने पकड़ी बिल की गड़बड़ी
अमेरिका के एक यूजर, जिसने X (पूर्व में ट्विटर) पर अपना नाम nthmonkey बताया, ने बताया कि उसके जीजा को हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करीब चार घंटे तक ICU में इलाज के बाद उनकी मौत हो गई. कुछ समय बाद अस्पताल ने 1.6 करोड़ रुपये (करीब 190,000 डॉलर) का बिल भेज दिया.
जब यूजर ने बिल का बारीकी से अध्ययन किया, तो उसमें कई अस्पष्ट और दोहराए गए चार्ज मिले. उसने एंथ्रोपिक की Claude AI चैटबॉट की मदद ली, जिसने पूरे बिल का विश्लेषण किया. चैटबॉट ने बताया कि अस्पताल ने एक ही सर्जरी के पैसे दो बार वसूले एक बार ऑपरेशन फीस के रूप में और फिर हर मेडिकल आइटम के लिए अलग-अलग. इस वजह से करीब 90 लाख रुपये तक का अतिरिक्त खर्च जोड़ दिया गया था.

AI की मदद से तैयार हुआ लीगल नोटिस
गलतियां सामने आने के बाद उस व्यक्ति ने AI चैटबॉट की मदद से एक कानूनी पत्र तैयार किया, जिसमें अस्पताल को ओवरचार्जिंग के खिलाफ चेतावनी दी गई थी. पत्र में बिल की त्रुटियों को तथ्यात्मक ढंग से दर्शाया गया और कानूनी कार्रवाई की बात कही गई.
इसके बाद अस्पताल ने अपनी गलती मानी और तुरंत नया बिल जारी किया, जो सिर्फ 29 लाख रुपये (करीब 35,000 डॉलर) का था. इस कदम के बाद मरीज के परिजन को एक करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई.
‘AI अब सिर्फ टेक टूल नहीं, रक्षक है’
इस मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग AI चैटबॉट की तारीफ कर रहे हैं. कई यूजर्स ने लिखा कि यह उदाहरण दिखाता है कि AI सिर्फ जानकारी देने वाला टूल नहीं, बल्कि लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वाला उपकरण बनता जा रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में बिलिंग की पारदर्शिता अभी भी एक बड़ी चुनौती है, और AI जैसी तकनीकें इस प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं.













