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Akshaya Navami 2025: जानें अक्षय नवमी की सही तारीख और पूजा विधि

Akshaya Navami 2025: जानें अक्षय नवमी की सही तारीख और पूजा विधि

अक्षय नवमी 2025 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जो कार्तिक मास की शुक्ल नवमी तिथि पर पड़ती है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन दान, पूजा, व्रत और आंवले के पेड़ की आराधना से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है, जो जीवनभर सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आधार बनता है।

Akshaya Navami 2025: इस साल अक्षय नवमी 31 अक्टूबर को पड़ रही है और इसे कार्तिक मास की शुक्ल नवमी तिथि पर मनाया जाएगा। यह पर्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है। इस दिन भक्त आंवले के पेड़ की पूजा, दान-पुण्य और व्रत करते हैं, जिससे जीवन में अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-शांति, धन-धान्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसे पूरे भारत में श्रद्धालु धार्मिक विधियों के साथ मनाते हैं।

शुभ तिथि और सही मुहूर्त

अक्षय नवमी 2025 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार यह तिथि 30 अक्टूबर सुबह 08:27 बजे प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर सुबह 10:03 बजे समाप्त होगी। उदीयातिथि के नियम के अनुसार, चूंकि नवमी तिथि का सूर्योदय 31 अक्टूबर को हो रहा है और इस दिन पूजा के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध है, इसलिए 31 अक्टूबर 2025 को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है।

अक्षय नवमी का धार्मिक महत्व

अक्षय नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य, पूजा, व्रत और स्नान का अक्षय फल कभी खत्म नहीं होता। हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है और इस महीने के पर्व धार्मिक अनुयायियों के लिए पुण्य और समृद्धि का प्रतीक हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से घर में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है।

आंवले के पेड़ की आराधना

अक्षय नवमी पर विशेष रूप से आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है: पहले आंवले के पेड़ के तने को जल से सींचें और चारों ओर कच्चा सूत (कलावा) बांधें। इसके बाद फल, फूल, रोली, चंदन, दीप और धूप से पूजा करें। 108 बार परिक्रमा करने के बाद अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें। इसके अलावा, सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, अन्न, सोना, चांदी और फल-सब्जियों का दान करना चाहिए। दान करने से पुण्य अक्षय हो जाता है। पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है।

व्रत और पालन नियम

जो लोग अक्षय नवमी का व्रत रखते हैं, उन्हें दिन भर व्रत नियमों का पालन करना चाहिए। व्रत के दौरान फल और जल का सेवन किया जा सकता है, लेकिन शाम को आंवले के पेड़ की पूजा के बाद ही फलहार करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को संतान की उन्नति, दीर्घायु और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है।

अक्षय पुण्य

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन किए गए स्नान, पूजा, दान और सेवा कार्य का पुण्य कभी खत्म नहीं होता। इसे जन्म-जन्मांतर तक व्यक्ति के साथ रहने वाला माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और इसके महत्व को अक्षय तृतीया के समान ही माना जाता है। आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी कार्य सफल होते हैं।

आंवले के पेड़ और स्वास्थ्य लाभ

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि को आंवले के पेड़ के रूप में स्थापित किया था। आंवले का पेड़ स्वास्थ्य और रोगमुक्ति का प्रतीक है। पूजा के बाद पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

अक्षय नवमी का विशेष महत्व मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी माना जाता है। इस दिन दान और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि और परिवार में शांति का वातावरण बनता है।

अक्षय नवमी 2025 का पर्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए दान, पूजा और व्रत का पुण्य अक्षय माना जाता है। आंवले के पेड़ की पूजा, ब्राह्मणों को भोजन कराना और सही समय पर पूजा संपन्न करना इस दिन की खास परंपरा है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने का मार्ग भी खोलता है।

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