अलास्का में पुतिन से मुलाकात से पहले ट्रंप ने चेतावनी दी कि शांति वार्ता में रुकावट पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। भारत और दुनिया की नजरें बैठक पर।
Trump-Putine Meeting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में 15 अगस्त को होने वाली बैठक को लेकर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। इस बैठक का उद्देश्य रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए ठोस समाधान निकालना है। हालांकि, मुलाकात से ठीक पहले ट्रंप ने पुतिन को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि मॉस्को ने शांति वार्ता में बाधा डाली तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। भारत भी इस बातचीत पर कड़ी नजर रख रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का अब तक का हाल
फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध अब तक खत्म नहीं हो सका है। हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं। यूरोप में यह संघर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा माना जा रहा है। पश्चिमी देशों, अमेरिका और यूरोपीय संघ की तमाम कोशिशों के बावजूद युद्धविराम पर सहमति नहीं बन पाई है। रूस ने यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों और क्रीमिया के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा रखा है।
ट्रंप का पुतिन को अल्टीमेटम
अलास्का बैठक से पहले मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अगर बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता है, तो मॉस्को के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने संकेत दिया कि इसमें आर्थिक प्रतिबंध भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि प्रतिबंध किस प्रकार के होंगे और कब से लागू किए जाएंगे। ट्रंप के अनुसार, यह बैठक आगे होने वाली एक दूसरी बैठक की तैयारी है, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी शामिल होंगे।
बाइडेन पर ट्रंप का हमला
ट्रंप ने एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष बाइडेन की नीतियों का नतीजा है। अगर वे राष्ट्रपति होते तो यह स्थिति कभी पैदा नहीं होती। उन्होंने कहा कि अब वे इस संकट को खत्म करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि पिछले छह महीनों में उन्होंने पांच युद्ध रुकवाए हैं और ईरान की परमाणु क्षमता को खत्म कर दिया है।
यूरोपीय देशों का रुख
जर्मनी द्वारा आयोजित एक वर्चुअल बैठक में ट्रंप, जेलेंस्की और कई यूरोपीय नेता शामिल हुए। बैठक में युद्धविराम से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि अगर अलास्का बैठक में रूस कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो अमेरिका और यूरोपीय देश दबाव बढ़ाएंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दोहराया कि यूक्रेन की सहमति के बिना उसकी जमीन रूस को नहीं दी जाएगी।
रूस की रणनीति
रूस अब तक यूक्रेन के लगभग 1,14,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है, जो यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का करीब 19 प्रतिशत है। रूस की कोशिश है कि युद्ध की वर्तमान स्थिति को बरकरार रखा जाए, ताकि कब्जाए गए क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण बना रहे। इसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क और लुहांस्क जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
ट्रंप का शांति प्रस्ताव
ट्रंप की योजना है कि इस युद्ध को जल्द खत्म किया जाए, भले ही इसके लिए यूक्रेन के कुछ हिस्सों को छोड़ना पड़े। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने साफ कहा है कि वे अपने कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि ऐसा करना असंवैधानिक होगा और इससे रूस को भविष्य में आक्रमण का बहाना मिल जाएगा।