अगस्त में अमेरिका जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 15% घटी, जो लगातार तीसरे महीने की गिरावट है। टैरिफ विवाद और जियोपॉलिटिकल तनाव के चलते अमेरिकी पर्यटन उद्योग को सिर्फ गर्मियों में करीब 340 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। वीज़ा में देरी और ट्रंप सरकार की नीतियों ने भी इस गिरावट को बढ़ाया है।
Indian tourists: अमेरिका की नेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म ऑफिस (NTTO) के अनुसार अगस्त 2025 में भारतीय पर्यटकों की संख्या पिछले साल की तुलना में 15% कम रही, जिससे अमेरिकी पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है। यह लगातार तीसरा महीना है जब गिरावट दर्ज की गई है। जून और जुलाई में क्रमशः 8% और 6% की कमी आई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद, रूस से तेल खरीद और वीज़ा में देरी जैसी चुनौतियों ने भारतीय यात्रियों का उत्साह कम कर दिया है।
तीन महीने से लगातार गिरावट
जून 2025 में अमेरिका जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 8% कम हो गई थी। जुलाई में यह कमी 6% तक पहुंच गई। अगस्त आते-आते गिरावट और बढ़कर 15% पर पहुंच गई। यह रुझान अमेरिकी पर्यटन उद्योग के लिए चिंता का विषय है क्योंकि भारतीय पर्यटक अमेरिका में सबसे ज्यादा खर्च करने वाले यात्रियों में गिने जाते हैं। इस कमी से अकेले गर्मियों में ही अमेरिकी व्यवसायों को करीब 340 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है।
पिछले साल था जबरदस्त उछाल
अगर 2024 की बात करें तो उस समय भारत से अमेरिका जाने वाले सैलानियों की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी हुई थी। जून 2024 में 35%, जुलाई में 26% और अगस्त में 9% की वृद्धि देखी गई थी। लेकिन इस बार का परिदृश्य बिलकुल अलग रहा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लगाने और दोनों देशों के बीच बढ़ते जियोपॉलिटिकल तनाव ने भारतीय सैलानियों का रुख बदल दिया है।
भारतीय सैलानी क्यों हैं अहम
अमेरिका के पर्यटन क्षेत्र के लिए भारतीय यात्री बेहद खास हैं। 2024 में अमेरिका जाने वाले हर भारतीय यात्री ने औसतन 5,200 डॉलर खर्च किया था। यह खर्च दुनिया के औसत पर्यटकों के मुकाबले लगभग तीन गुना ज्यादा है। सामान्य तौर पर एक विदेशी पर्यटक अमेरिका में करीब 1,802 डॉलर खर्च करता है। आंकड़े बताते हैं कि भारतीय सैलानी अमेरिका के लिए एक बड़ा और भरोसेमंद ग्राहक वर्ग हैं। अमेरिका आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारत चौथे स्थान पर है। पहले तीन स्थानों पर कनाडा, मेक्सिको और यूनाइटेड किंगडम हैं।
भारतीय यात्रियों को आकर्षित करने के लिए अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में कई बड़े कदम उठाए थे। जनवरी 2025 में ब्रांड USA ने हैदराबाद में अब तक का सबसे बड़ा प्रमोशन इवेंट किया था। इस इवेंट में 48 अमेरिकी कंपनियां और 67 एग्जिबिटर शामिल हुए थे। उस दौरान किए गए सर्वे में 86% भारतीय यात्रियों ने कहा था कि वे अगले दो साल में अमेरिका घूमने का प्लान बना रहे हैं। लेकिन हालिया टकराव और टैरिफ विवाद ने इन योजनाओं पर पानी फेर दिया है।
बढ़ते खर्च और वीज़ा प्रोसेस भी है बाधा
भारतीय सैलानियों के लिए अमेरिका का वीज़ा भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। मौजूदा समय में अमेरिकी टूरिस्ट वीज़ा के लिए औसतन चार महीने का इंतजार करना पड़ता है। इसके मुकाबले यूनाइटेड किंगडम में यह समय सिर्फ तीन हफ्ते और कनाडा में चार से छह हफ्ते का है। यही वजह है कि कई भारतीय यात्री अमेरिका की बजाय इन देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते आउटबाउंड टूरिज्म मार्केट्स में शामिल है। अनुमान है कि 2030 तक भारतीय यात्री हर साल विदेश यात्राओं पर 144 बिलियन डॉलर खर्च करेंगे। इस लिहाज से अमेरिका के लिए भारतीय बाजार बहुत बड़ा है। लेकिन मौजूदा हालात में वीज़ा की दिक्कतें और राजनीतिक खींचतान भारतीय यात्रियों को अमेरिका से दूर कर रही हैं।
अमेरिकी इंडस्ट्री पर सीधा असर
भारतीय यात्रियों की संख्या घटने का सीधा असर अमेरिकी टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ा है। होटल, एयरलाइन, शॉपिंग और मनोरंजन कारोबारियों की कमाई प्रभावित हुई है। अमेरिकी कारोबारियों को उम्मीद थी कि भारतीय यात्रियों से इस गर्मी में बड़ी आमदनी होगी, लेकिन लगातार तीन महीने से गिरावट ने उनकी योजनाओं पर असर डाल दिया है।