पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान मूल रूप से एक ही घर थे। भाषा, संस्कृति और खानपान समान हैं। बंटवारा सिर्फ राजनीतिक था, दिलों और साझा तहजीब का रिश्ता आज भी कायम है।
UP News: पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने पाकिस्तान और हिंदुस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान मूल रूप से एक ही घर थे, लेकिन दुर्भाग्यवश बंटवारा हो गया। उनका कहना था कि यह हमारी बदकिस्मती रही कि राजनीतिक कारणों से यह विभाजन हुआ। डॉ. हसन ने कहा कि भाषा, संस्कृति, खानपान और रहन-सहन में दोनों देशों में कोई विशेष अंतर नहीं है। यही कारण है कि जब कोई भारतीय पाकिस्तान जाता है तो वहां उसे अजनबीपन नहीं लगता, बल्कि ऐसा महसूस होता है मानो वह अपने ही घर में मौजूद हो।
भाषा, संस्कृति और खानपान में समानता
डॉ. हसन ने विस्तार से बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप की गंगा-जमुनी तहजीब (composite culture) आज भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान में समान रूप से देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बंटवारा केवल राजनीतिक सीमाओं का था, दिलों और तहजीब (culture) का नहीं। पाकिस्तानी गलियों, बाजारों और लोगों के व्यवहार में भी हिंदुस्तान की झलक मिलती है। जो भाषा वहां बोली जाती है, वही भाषा यहां बोली जाती है और त्योहार, रस्में और सामाजिक मूल्य (social values) लगभग एक जैसे हैं। डॉ. हसन का कहना था कि इन सांस्कृतिक समानताओं के कारण वहां जाने पर एक अपनापन महसूस होता है और लोग सहज रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं।
सांस्कृतिक विरासत और साझी पहचान
पूर्व सांसद ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप की साझी विरासत (shared heritage) साहित्य, संगीत, लोककला और भोजन से लेकर सामाजिक रीतियों तक दोनों देशों में समान रूप से मौजूद है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीति और सीमाओं ने हमें अलग कर दिया, लेकिन दिलों और तहजीब (culture) का रिश्ता कभी टूटता नहीं। उनका कहना था कि दुनिया चाहे कितनी भी बदल जाए, सांस्कृतिक रिश्ते हमेशा जीवित रहते हैं। डॉ. हसन ने यह बात दोहराई कि बंटवारा केवल राजनीतिक सीमाओं का था, न कि लोगों के बीच अपनापन और साझा तहजीब (shared culture) का।
पाकिस्तान में हिंदुस्तान की झलक
डॉ. हसन ने कहा कि पाकिस्तान में कोई भी व्यक्ति अगर वहां जाता है तो उसे वहां की गलियों, बाजारों और लोगों के व्यवहार में हिंदुस्तान की झलक दिखाई देती है। वहां की भाषा, त्यौहार, रस्में और सामाजिक आदतें भारत की तरह ही हैं। यही कारण है कि वहां भारतीय महसूस करते हैं कि वे अपने ही देश में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सांस्कृतिक और सामाजिक समानताएं लोगों के दिलों को जोड़ती हैं और इस साझा तहजीब (shared culture) को कोई राजनीतिक विभाजन नहीं तोड़ सकता।
डॉ. हसन ने यह स्पष्ट किया कि विभाजन केवल राजनीतिक सीमाओं का परिणाम था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान की दिलों और तहजीब (culture) की दूरी कभी नहीं हुई। दोनों देशों की गंगा-जमुनी संस्कृति और जीवनशैली में आज भी समानताएं कायम हैं।