गौतम अडानी का समूह गुजरात के मुंद्रा में सालाना 10 लाख टन क्षमता वाला पीवीसी प्लांट स्थापित करने की तैयारी में है। इस प्रोजेक्ट के जरिए अडानी ग्रुप पेट्रोकेमिकल सेक्टर में अपना कदम रखने जा रहा है।
गुजरात की धरती एक बार फिर दो कारोबारी दिग्गजों की टक्कर की गवाह बनने जा रही है। एक तरफ रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी हैं, जिनका दशकों से पेट्रोकैमिकल क्षेत्र पर मजबूत कब्जा रहा है, वहीं अब गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी ग्रुप इस क्षेत्र में सीधी चुनौती देने के लिए कमर कस चुका है। मुंद्रा में प्रस्तावित 10 लाख टन सालाना क्षमता वाले पीवीसी प्लांट के साथ अडानी ग्रुप एक नई प्रतिस्पर्धा की शुरुआत करने जा रहा है।
मुंद्रा में बनेगा अडानी का मेगा पीवीसी प्लांट
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड गुजरात के मुंद्रा में एक मेगाप्रोजेक्ट पर काम कर रही है। यह प्रोजेक्ट देश के पेट्रोकैमिकल सेक्टर की तस्वीर बदल सकता है। समूह यहां 10 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता वाला पीवीसी निर्माण प्लांट तैयार कर रहा है, जो 2027-28 तक चालू हो जाएगा।
इस प्रोजेक्ट में सिर्फ पीवीसी नहीं, बल्कि क्लोर-अल्कली, एसिटिलीन और कैल्शियम कार्बाइड जैसी अन्य इकाइयों का भी निर्माण शामिल रहेगा। यह प्लांट एसिटिलीन और कार्बाइड आधारित पीवीसी उत्पादन तकनीक का उपयोग करेगा, जो भारतीय उद्योगों के लिए एक नई दिशा की शुरुआत है। परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है और जमीन पर काम भी शुरू हो चुका है।
पीवीसी की बढ़ती मांग और घरेलू उत्पादन की जरूरत
भारत में पीवीसी यानी पॉलिविनाइल क्लोराइड की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। वर्तमान में देश में सालाना करीब 40 लाख टन पीवीसी की खपत होती है, जबकि घरेलू उत्पादन मात्र 15.9 लाख टन के आसपास है। इस क्षमता में करीब आधा हिस्सा रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है।
पीवीसी का उपयोग पाइप, फिटिंग, विंडो फ्रेम, केबल इंसुलेशन, फ्लोरिंग, दीवारों की सजावट, क्रेडिट कार्ड, खिलौने और मेडिकल उत्पादों तक में किया जाता है। उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में पीवीसी की मांग हर साल 8 से 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है। ऐसे में अडानी की एंट्री घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिहाज़ से अहम मानी जा रही है।
रिलायंस के दबदबे को मिलेगी चुनौती
अब तक पीवीसी क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ी कंपनी रही है। कंपनी गुजरात के हजीरा, दहेज और वडोदरा में पीवीसी प्लांट्स चला रही है, जिनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता लगभग 7.5 लाख टन सालाना है। रिलायंस 2027 तक अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुना करने की योजना भी बना रही है।
ऐसे में अडानी ग्रुप का 10 लाख टन सालाना क्षमता वाला प्लांट न सिर्फ इस सेक्टर में नई चुनौती पेश करेगा, बल्कि बाजार की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को भी कम करेगा। यही वजह है कि इसे अडानी और अंबानी के बीच सीधी टक्कर की शुरुआत माना जा रहा है।
क्लीन एनर्जी के बाद अब पेट्रोकैमिकल में मुकाबला
क्लीन एनर्जी सेक्टर में पहले ही दोनों समूह आमने-सामने आ चुके हैं। अब पेट्रोकैमिकल इंडस्ट्री एक और ऐसा क्षेत्र बनता जा रहा है, जहां इन दो दिग्गजों की सीधी भिड़ंत देखी जाएगी।
रिलायंस जहां पारंपरिक तेल और गैस कारोबार से हटकर ग्रीन एनर्जी और केमिकल्स में तेजी से कदम बढ़ा रही है, वहीं अडानी ग्रुप भी हाइड्रोजन, सोलर और अब केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त निवेश कर रहा है।
फंडिंग को लेकर भी बनी है रणनीति
इस पूरे प्रोजेक्ट की फंडिंग को लेकर भी तैयारी पूरी हो चुकी है। शुरुआत में यह परियोजना मार्च 2023 में उस वक्त रोक दी गई थी, जब अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप पर सवाल खड़े किए थे। लेकिन अब समूह ने न केवल उस दौर से उबरने में सफलता हासिल की है, बल्कि 5 अरब डॉलर से ज्यादा की पूंजी इक्विटी और लोन के ज़रिए जुटा ली है।
इस मेगा प्रोजेक्ट की फंडिंग भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में बैंकिंग कंसोर्टियम करेगा। ग्रुप को भरोसा है कि उसकी अन्य पोर्टफोलियो कंपनियों की मदद से वह कच्चे माल की सप्लाई और मार्केट लिंक को मैनेज कर लेगा।
भविष्य में बढ़ सकती है उत्पादन क्षमता
सूत्रों के मुताबिक अडानी ग्रुप की योजना है कि भविष्य में मांग के आधार पर मुंद्रा पीवीसी प्लांट की सालाना उत्पादन क्षमता को 20 लाख टन तक बढ़ाया जा सकता है। यह कदम भारत की पीवीसी जरूरतों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहद अहम साबित हो सकता है।