बालोतरा में सांड के हमले से 65 वर्षीय मोतीलाल अग्रवाल की मौत हो गई। तीन सेकंड में हुए इस दर्दनाक हादसे का सीसीटीवी फुटेज सामने आया। स्थानीय लोगों ने आवारा पशुओं पर नियंत्रण की मांग की है।
बालोतरा: राजस्थान के बालोतरा में भैरू बाजार से लौटते समय 65 वर्षीय मोतीलाल अग्रवाल पर सांड ने अचानक हमला कर दिया। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि सांड तीन सेकंड में मोतीलाल को 5-7 फीट ऊपर से पटक देता है, जिससे उनकी मौके पर गंभीर चोटें लगीं और अस्पताल में उनकी मौत हो गई। मृतक रोजाना उसी रास्ते से गुजरते थे। स्थानीय लोगों ने आवारा पशुओं के कारण बार-बार हो रहे हादसों पर चिंता जताई और नगरपालिका से नियंत्रण के ठोस कदम उठाने की मांग की।
सड़क पर सांड के हमले में मोतीलाल की मौत
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मोतीलाल अग्रवाल अपनी दुकान बंद कर घर लौट रहे थे। बलदेवजी की पोल इलाके में पीछे से आए एक सांड ने अचानक हमला कर दिया। सांड ने अपने तेज सींगों से मोतीलाल को जोरदार तरीके से उछाल दिया। इससे वे सड़क पर गिर पड़े और सिर तथा शरीर पर गंभीर चोटें आईं।
सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि सांड 4 बजकर 10 मिनट और 30 सेकंड तक स्थिर खड़ा था। जैसे ही मोतीलाल उसके बगल से गुजरते हैं, सांड अचानक हरकत में आता है और तीन सेकंड के भीतर उन्हें 5-7 फीट ऊपर से जमीन पर पटक देता है।
अस्पताल में भी नहीं बच पाए प्राण
हादसे के तुरंत बाद आसपास के लोग और परिजन मोतीलाल को पचपदरा अस्पताल ले गए। चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना से परिवार और क्षेत्रवासियों में शोक की लहर दौड़ गई।
मृतक के पुत्र पुनित अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता रोजाना इसी रास्ते से घर लौटते थे। रविवार को यह मार्ग उनके लिए मौत बन गया। पुनित ने कहा, "क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन आवारा पशुओं पर कोई नियंत्रण नहीं है।"
आवारा पशुओं के बढ़ते खतरे
स्थानीय लोगों का कहना है कि बालोतरा शहर के कई हिस्सों में आवारा पशु खुलेआम घूमते रहते हैं। आए दिन सांड और गायें लोगों को घायल कर देती हैं। इस घटना ने फिर एक बार आवारा पशुओं और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लोगों ने नगरपालिका और प्रशासन से मांग की है कि आवारा पशुओं के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा पशुओं की वजह से सड़क दुर्घटनाएं और हमले बढ़ते जा रहे हैं। सुरक्षा उपायों के अभाव में ऐसी घटनाएं भविष्य में और गंभीर रूप ले सकती हैं।
हादसे पर प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल
इस घटना ने नगर प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर के विभिन्न हिस्सों में आवारा पशुओं के चलते दुर्घटनाओं की लगातार रिपोर्ट आती रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय प्रशासन को आवारा पशुओं के लिए नियमित नियंत्रण अभियान चलाना चाहिए और ऐसे क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाने चाहिए।
मोतीलाल अग्रवाल की मौत न केवल परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह शहर में सुरक्षा और आवारा पशुओं के नियंत्रण के महत्व को भी उजागर करती है।