बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत ने भारत के बड़े शहरों, खासकर आईटी हब बेंगलुरु में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की जेब पर गहरा असर डाला है। इसी संदर्भ में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है
बेंगलुरु: देश के प्रमुख टेक हब बेंगलुरु से एक हैरान कर देने वाली बहस सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। जहां आमतौर पर 50 लाख रुपये सालाना सैलरी को आर्थिक रूप से बेहद मजबूत माना जाता है, वहीं अब इसे नया 25 लाख बताया जा रहा है। इस बयान ने इंटरनेट पर तूफान ला दिया है। कुछ लोग इसे सही ठहराते हैं, तो कुछ इसके आंकड़ों और सोच पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इस बहस का मूल विषय है – बेंगलुरु में बढ़ती महंगाई और उच्च वेतन के बावजूद घटती क्रय शक्ति।
वायरल हुआ एक साधारण लेकिन गूंजता ट्वीट
इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई एक ट्वीट से, जिसमें यूज़र सौरभ दत्ता ने लिखा
मैंने सुना है बेंगलुरु के आईटी सेक्टर में कई लोग 50 लाख सालाना कमा रहे हैं। या तो वे अपनी CTC बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं, या फिर 50 लाख सालाना अब 25 लाख के बराबर हो गया है।
इस ट्वीट ने सोशल मीडिया पर बहस की चिंगारी भड़का दी। हजारों लोगों ने इस पर अपनी राय दी कोई हां में तो कोई ना में।
महंगाई के सामने फीकी पड़ी मोटी सैलरी?
बेंगलुरु भारत की सिलिकॉन वैली कही जाती है, लेकिन यहां की महंगाई भी किसी मेट्रो शहर से कम नहीं है। खासकर रेंट, स्कूल फीस, मेडिकल खर्च, खाने-पीने और निजी वाहनों के खर्चों ने यहां रह रहे उच्च वेतनभोगी कर्मचारियों की कमर तोड़ दी है।
एक यूज़र ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा
50 लाख रुपये अब 10 लाख रुपये जैसे लगते हैं। रेंट, बच्चों की स्कूल फीस, निजी गाड़ी, लाइफस्टाइल और EMI ने सब निगल लिया है।
एक अन्य यूज़र ने कहा
अगर आप बेंगलुरु में रहकर 1 करोड़ नहीं कमा रहे हैं, तो शायद आप अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं।
टेक इंडस्ट्री की सच्चाई: CTC और टेक-होम में बड़ा अंतर
बहस का एक बड़ा हिस्सा इस बात पर केंद्रित था कि CTC (Cost To Company) और टेक-होम सैलरी में कितना अंतर होता है। टेक सेक्टर में बड़ी कंपनियां जैसे Microsoft, Amazon, Google इत्यादि अपने कर्मचारियों को भारी CTC पैकेज देती हैं, लेकिन उसमें से बड़ी रकम RSU (Restricted Stock Units), बोनस, इंश्योरेंस और PF में चली जाती है।
एक यूज़र ने बताया
Microsoft 50 लाख का पैकेज देता है, लेकिन उसमें बेस सैलरी मात्र 16 लाख होती है। बाकी रकम 3-4 साल में वेस्ट होने वाले स्टॉक्स में होती है। असल में टेक होम सैलरी कई बार 1.2 लाख महीने से ज्यादा नहीं होती।
जीवनशैली भी जिम्मेदार?
बेंगलुरु की जीवनशैली भी उच्च आय वालों पर भारी पड़ रही है। बेहतर घर, अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में पढ़ाई, गाड़ियों की किस्तें, ट्रैवल और वीकेंड पार्टीज़ – ये सब मिलकर एक आम मिड सीनियर टेक कर्मचारी की जेब पर बड़ा बोझ डालते हैं।
एक यूज़र ने लिखा
मेरे पास 50 लाख का पैकेज है, लेकिन महीने के अंत में सेविंग्स नाममात्र की होती है। कभी ट्रैफिक में फंसना, कभी बच्चों की फीस भरना सारा पैसा खर्च हो जाता है।
क्या सिर्फ बेंगलुरु का मामला है?
इस बहस को देखकर कई लोगों ने तुलना अन्य शहरों से भी की।
एक यूज़र ने कहा
यह सिर्फ बेंगलुरु की बात है। हैदराबाद में 25 लाख अभी भी 25 लाख की तरह लगता है। दिल्ली और पुणे में भी खर्च कम है।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि शहर का Cost of Living इंडेक्स कितनी बड़ी भूमिका निभाता है। बेंगलुरु में रियल एस्टेट की कीमतें, ट्रैफिक, ईंधन खर्च, और निजी सेवाएं काफी महंगी हैं। इससे उच्च वेतन भी सामान्य ज़िंदगी में निचले स्तर की संतुष्टि देता है।
2005 vs 2025: सैलरी की वैल्यू में आई गिरावट
एक यूज़र ने कमेंट में सवाल किया कि "आप तुलना किस साल की कर रहे हैं?" यह सवाल इस बात को दर्शाता है कि पिछले 15-20 वर्षों में मुद्रास्फीति के कारण रुपये की क्रय शक्ति लगातार गिर रही है। 2005 में 50 लाख रुपये का जो मूल्य था, आज उतने में एक औसत जीवनशैली भी कठिन लगती है।
यहां एक उदाहरण देना उचित होगा – 2005 में बेंगलुरु के वाइटफील्ड जैसे इलाकों में 2BHK फ्लैट 30-35 लाख में मिल जाता था, आज वही फ्लैट एक करोड़ से ऊपर का हो गया है। स्कूल की फीस जहां पहले 20-25 हजार सालाना थी, अब लाखों में है।
समाज में बनती छवि और मानसिक दबाव
एक और दिलचस्प पहलू इस बहस में सामने आया – सोशल स्टेटस और दिखावे का दबाव। हाई सैलरी कमाने वाले लोग अक्सर अपने रहन-सहन, कपड़े, गाड़ियों और बच्चों की शिक्षा के मामले में एक स्तर बनाए रखना चाहते हैं। इससे उनके ऊपर आर्थिक दबाव और बढ़ जाता है।
कई लोगों ने यह भी लिखा कि टेक कंपनियों में काम करने वालों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे एक "एलिट" जीवन जिएं, जिससे मानसिक तनाव और खर्च दोनों बढ़ते हैं।
क्या है समाधान?
- इस बहस के बीच कई लोगों ने कुछ सकारात्मक सुझाव भी दिए। जैसे कि:
- व्यक्तिगत बजटिंग: अपनी मासिक आय और खर्चों का स्पष्ट प्लान बनाना
- स्टॉक्स/RSU का गलत आकलन न करें: स्टॉक्स की वैल्यू कभी भी गिर सकती है, इसे अपनी स्थायी आय न मानें
- स्मार्ट इन्वेस्टमेंट: बेतहाशा खर्च के बजाय म्यूचुअल फंड, SIP और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित माध्यमों में निवेश
- लो-कॉस्ट एरिया में रहना: बेंगलुरु में ऐसे क्षेत्र चुनें जहां किराया कम हो और कनेक्टिविटी अच्छी हो
- वर्क फ्रॉम होम का लाभ उठाना: अगर संभव हो, तो रिमोट वर्क करके छोटे शहरों में जाकर ज्यादा सेविंग करना