Columbus

भारत-अमेरिका कृषि वार्ता में किसानों के हितों को प्राथमिकता, सतर्कता के साथ होगा समझौता

भारत-अमेरिका कृषि वार्ता में किसानों के हितों को प्राथमिकता, सतर्कता के साथ होगा समझौता

अमेरिका को भारत के प्रमुख कृषि निर्यात जैसे झींगा, बासमती चावल, मसाले, प्रसंस्कृत अनाज और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों में रुचि है।

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच चल रही कृषि व्यापार वार्ता में किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कहा है कि इस द्विपक्षीय व्यापार समझौते में कोई भी फैसला आंखें मूंदकर नहीं लिया जाएगा, बल्कि संभावित लाभ-हानि का गहराई से आकलन करने के बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बीच, अमेरिका भारत के कृषि बाजार में बेहतर पहुंच चाहता है, जबकि भारत अपने किसानों के हितों और घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह सतर्क है।

व्यापार वार्ता में किसानों का संरक्षण प्राथमिक

अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार बातचीत में भारत की स्थिति बेहद स्पष्ट है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक इंटरव्यू में कहा, हमारा मकसद सिर्फ व्यापार समझौता करना नहीं, बल्कि अपने किसानों की सुरक्षा करना भी है। हम बिना विचार-विमर्श के कोई फैसला नहीं करेंगे। हर पहलू का ध्यान रखकर ही हम आगे बढ़ेंगे।

चौहान ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ कृषि व्यापार के विस्तार की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है, लेकिन यह चर्चा किसानों के हितों की रक्षा के बगैर पूरी नहीं होगी। दोनों देशों के बीच व्यापार के व्यापक पहलुओं को देखते हुए ही कोई निर्णय होगा।

भारत-अमेरिका कृषि व्यापार: वर्तमान स्थिति

नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में समाप्त हुई तीन साल की अवधि में भारत ने अमेरिका को करीब 5.75 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पाद निर्यात किए। वहीं, अमेरिका से भारत को कृषि और संबद्ध उत्पादों का आयात लगभग 2.22 अरब डॉलर का रहा। भारत के मुख्य निर्यात उत्पादों में झींगा, बासमती चावल, मसाले, प्रसंस्कृत अनाज और अन्य मूल्यवर्धित वस्तुएं शामिल हैं।

दूसरी ओर, अमेरिका भारत को मक्का, सोयाबीन, और पशु आहार जैसे कृषि उत्पाद निर्यात करना चाहता है। लेकिन अमेरिका को भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए उच्च शुल्क (औसतन 39-50 प्रतिशत) का सामना करना पड़ रहा है, जो समझौते की मुख्य अड़चन बनी हुई है।

उच्च शुल्क और बाजार पहुंच पर विवाद

अमेरिका की मांग है कि भारतीय कृषि उत्पादों पर लगे उच्च शुल्क कम किए जाएं ताकि उनके उत्पाद भारत के बाजार में बेहतर पहुंच सकें। भारत में कृषि और डेयरी सेक्टर को खोलने को लेकर बड़ी सतर्कता है क्योंकि ग्रामीण समुदायों और स्थानीय किसानों को वैश्विक मूल्य अस्थिरता से बचाना जरूरी है। कृषि मंत्री चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि भारत किसी भी व्यापार समझौते में किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा। 

उन्होंने कहा, हम व्यापार की व्यापक तस्वीर देखते हैं, न कि सिर्फ एक-एक उत्पाद के संदर्भ में। हमारी प्राथमिकता यह होगी कि हमारे किसानों को किसी भी तरह का नुकसान न हो।

समझौते पर जल्दी फैसले की उम्मीद, लेकिन सतर्कता जरूरी

भारत और अमेरिका के वार्ताकार इस द्विपक्षीय कृषि समझौते के पहले चरण का मसौदा सितंबर-अक्टूबर 2025 तक तैयार करने की योजना बना रहे हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच कृषि व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों के हितों की रक्षा के बीच संतुलन बनाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए यह समझौता केवल आर्थिक फायदे तक सीमित नहीं होगा, बल्कि यह देश के कृषि क्षेत्र की आत्मनिर्भरता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए भी निर्णायक साबित होगा।

किसानों की चिंता और सरकार की भूमिका

ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय कृषि उत्पादकों को लेकर काफी संवेदनशीलता है। बाजार खुलने से यदि घरेलू उत्पादकों को नुकसान होता है, तो इसका सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर पर पड़ता है। इसीलिए सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए व्यापार वार्ता को आगे बढ़ा रही है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, हम जानते हैं कि किसानों की चिंता क्या है, और हम उनकी आवाज़ को पूरा सम्मान देते हैं। यह समझौता तभी संभव होगा जब किसानों की सुरक्षा पक्की हो।

भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार को लेकर यह द्विपक्षीय वार्ता दोनों देशों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती है। व्यापार में विस्तार से न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि तकनीकी साझेदारी और कृषि नवाचारों के क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

Leave a comment