भारत सरकार खिलौनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और चीन पर निर्भरता घटाने के लिए ₹13,000 करोड़ की नई योजना पर काम कर रही है। इस योजना का उद्देश्य भारत को वैश्विक खिलौना विनिर्माण हब बनाना है, जिसमें निवेश, स्थानीय उत्पादन और रोजगार से जुड़े प्रोत्साहनों का प्रावधान होगा।
Toy Market: भारत को खिलौनों का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ₹13,000 करोड़ की नई योजना पर काम कर रहा है। यह योजना घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता घटाने और चीन व वियतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करने पर केंद्रित है। प्रस्ताव के तहत 500 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली कंपनियों को सीमा शुल्क रियायत और 5 साल तक कारोबार, स्थानीयकरण व रोजगार आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे। मंजूरी के बाद यह योजना जल्द लागू की जा सकती है।
चीन का दबदबा और भारत की चुनौती
इस समय वैश्विक खिलौना बाजार में चीन की हिस्सेदारी लगभग 58 फीसदी है। यानी दुनिया भर में बिकने वाले हर दो खिलौनों में से एक चीन में बना होता है। भारत की हिस्सेदारी अभी केवल 1.7 फीसदी के आसपास है। हालांकि, भारत के पास बड़ी जनसंख्या, सस्ते श्रम और तेजी से विकसित होते विनिर्माण क्षेत्र के कारण इसमें सुधार की अपार संभावनाएं हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत वैश्विक खिलौना बाजार का प्रमुख खिलाड़ी बने। इसके लिए न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया जाएगा, बल्कि स्थानीय उद्योगों को आधुनिक तकनीक, डिजाइन और आपूर्ति श्रृंखला से भी जोड़ा जाएगा।
योजना के प्रमुख बिंदु
जानकारी के मुताबिक, यदि इस योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है, तो खिलौना विनिर्माण इकाइयों को कई वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे। इनमें निर्दिष्ट कच्चे माल के लिए वित्तीय सहायता और बड़ी निवेश इकाइयों के लिए सीमा शुल्क में रियायत शामिल होगी।
500 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली कंपनियों को बुनियादी सीमा शुल्क में छूट दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए कंपनियों को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी जैसे कि बढ़ता हुआ निवेश, बिक्री का लक्ष्य, घरेलू मूल्य संवर्द्धन और निर्यात मानक।
तीन तरह के प्रोत्साहन

सरकार इस योजना में तीन प्रकार के आर्थिक प्रोत्साहन देने की तैयारी कर रही है। पहला होगा कारोबार से जुड़ा प्रोत्साहन, दूसरा स्थानीयकरण से जुड़ा और तीसरा रोजगार से जुड़ा प्रोत्साहन।
- कारोबार प्रोत्साहन: जिन कंपनियों की सालाना बिक्री में वृद्धि होगी और जो सरकार द्वारा तय निवेश मानदंडों को पूरा करेंगी, उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
- स्थानीयकरण प्रोत्साहन: यदि कंपनियां अपने उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल का बड़ा हिस्सा भारत में ही तैयार करेंगी, तो उन्हें वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- रोजगार प्रोत्साहन: नई नौकरियां देने वाली कंपनियों को भी सरकार की ओर से मदद मिलेगी।
ये सभी प्रोत्साहन पांच साल तक के लिए उपलब्ध रहेंगे ताकि कंपनियां स्थायी रूप से विनिर्माण इकाइयों में निवेश करें।
खिलौना उद्योग में बड़ी संभावना
उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत में खिलौना उद्योग के पास वैश्विक बाजार में बड़ा हिस्सा हासिल करने की क्षमता है। हालांकि, इसके लिए डिजाइन, गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर ध्यान देना होगा।
सरकार अगर इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू करती है, तो इससे लाखों नौकरियां पैदा होंगी। साथ ही, छोटे और मध्यम स्तर के खिलौना निर्माता जो अभी अनौपचारिक रूप से काम कर रहे हैं, वे भी संगठित ढांचे में शामिल हो पाएंगे।
भारत के खिलौना उद्योग की मौजूदा स्थिति
2024 में वैश्विक खिलौना बाजार का आकार लगभग 114 अरब डॉलर था। भारत का हिस्सा इसमें बहुत कम है, लेकिन घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है। बच्चों के खेल और सीखने से जुड़े खिलौनों की बिक्री में तेजी देखी जा रही है।
हाल के वर्षों में भारत ने खिलौनों के आयात में कमी लाई है और घरेलू उत्पादन बढ़ाया है। सरकार ने पहले ही खिलौनों के आयात पर सख्त गुणवत्ता मानक लागू किए हैं ताकि कम गुणवत्ता वाले विदेशी खिलौनों की बिक्री कम हो।













