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Milky Mist IPO को SEBI की मंजूरी, 2035 करोड़ रुपये का इश्यू लाएगा कंपनी में नई ऊर्जा

Milky Mist IPO को SEBI की मंजूरी, 2035 करोड़ रुपये का इश्यू लाएगा कंपनी में नई ऊर्जा

Milky Mist Dairy Foods Ltd को ₹2,035 करोड़ के IPO के लिए SEBI से मंजूरी मिल गई है। कंपनी IPO से जुटाई गई राशि का बड़ा हिस्सा ₹750 करोड़ कर्ज चुकाने में खर्च करेगी, जबकि शेष धनराशि विस्तार, वर्किंग कैपिटल और सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों में इस्तेमाल होगी।

Milky Mist IPO: डेयरी उत्पाद बनाने वाली मिल्की मिस्ट डेयरी फूड्स लिमिटेड को अपने ₹2,035 करोड़ के इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के लिए SEBI की मंजूरी मिल गई है। इसमें ₹1,785 करोड़ के नए शेयर जारी होंगे और प्रमोटर ₹250 करोड़ के शेयरों की बिक्री करेंगे। जुटाई गई राशि से कंपनी ₹750 करोड़ का कर्ज चुकाएगी और बाकी रकम पूंजीगत व्यय व विस्तार पर खर्च करेगी। हालांकि, कंपनी के सामने एकल प्लांट पर निर्भरता, सीमित भौगोलिक उपस्थिति और दूध के दाम में उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं।

आईपीओ का आकार और संरचना

मिल्की मिस्ट का कुल आईपीओ आकार 2035 करोड़ रुपये का है। इसमें से 1785 करोड़ रुपये के नए इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। वहीं, 250 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री पेशकश (OFS) के तहत कंपनी के प्रमोटर शेयरधारक सतीशकुमार टी और अनीता एस अपने कुछ शेयर बेचेंगे। इसका मतलब है कि आईपीओ का मुख्य उद्देश्य कंपनी में नया पैसा लाना है, न कि केवल प्रमोटरों के हिस्से की बिक्री करना।

इस आईपीओ से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल कंपनी कई अहम उद्देश्यों के लिए करने वाली है। कंपनी ने अपने दस्तावेजों में स्पष्ट किया है कि जुटाई गई रकम का बड़ा हिस्सा कर्ज घटाने और विस्तार योजनाओं में लगाया जाएगा।

कर्ज घटाने और विस्तार पर रहेगा जोर

कंपनी ने बताया है कि 750 करोड़ रुपये की राशि मौजूदा कर्ज को कम करने में लगाई जाएगी। वर्तमान में 31 मई 2025 तक कंपनी पर 1463.59 करोड़ रुपये का कुल समेकित उधार है। प्रबंधन का कहना है कि कर्ज का बोझ कम होने से कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत होगी और आगामी विस्तार योजनाओं के लिए वित्तीय लचीलापन बढ़ेगा।

शेष राशि का उपयोग पूंजीगत व्यय, कार्यशील पूंजी और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इससे कंपनी को अपने उत्पादन क्षमता में सुधार और वितरण नेटवर्क को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।

दक्षिण भारत पर निर्भरता बनी चुनौती

कंपनी की बिक्री का बड़ा हिस्सा अभी भी दक्षिण भारत पर केंद्रित है। तमिलनाडु और कर्नाटक से ही कंपनी के कुल राजस्व का 71 प्रतिशत हिस्सा आता है। इस भौगोलिक एकाग्रता के कारण कंपनी उत्तर और पश्चिम भारत जैसे बड़े बाजारों में अपनी मजबूत उपस्थिति नहीं बना पाई है।

इसके अलावा, कंपनी का वितरण नेटवर्क भी सीमित है और कुछ चुनिंदा सुपर स्टॉकिस्टों पर निर्भर है। यदि इन डिस्ट्रीब्यूशन चैनलों में कोई बाधा आती है, तो कंपनी की आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

दूध के दाम में उतार-चढ़ाव से बढ़ी चिंता

डेयरी व्यवसाय में दूध की कीमतें हमेशा अस्थिर रहती हैं। यही अस्थिरता मिल्की मिस्ट के लिए सबसे बड़ा जोखिम मानी जा रही है।

दूध की कीमतों में बढ़ोतरी होने पर कंपनी के लिए दही, पनीर, बटर और अन्य उत्पादों की लागत बढ़ जाती है। लेकिन इन उत्पादों की कीमत उपभोक्ताओं तक तुरंत नहीं पहुंचाई जा सकती क्योंकि यह मूल्य-संवेदनशील श्रेणी है। ऐसे में मार्जिन पर दबाव बनता है और मुनाफे में गिरावट आ सकती है।

मिल्की मिस्ट के सामने बड़ी चुनौती

मिल्की मिस्ट को भारतीय डेयरी बाजार के बड़े खिलाड़ियों से तीखी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी का मुकाबला अमूल, नेस्ले इंडिया, ब्रिटानिया, हत्सुन एग्रो और अन्य स्थापित ब्रांडों से है।

इन कंपनियों के पास न केवल बड़ा वित्तीय संसाधन है, बल्कि उनकी ब्रांड पहचान और वितरण नेटवर्क भी कहीं अधिक व्यापक है। इस वजह से मिल्की मिस्ट को बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए लगातार नवाचार और प्रचार में निवेश करना पड़ता है।

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