भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और दशक के अंत तक तीसरे स्थान पर पहुंचने की राह पर है। इस बदलाव की नींव इंटीग्रेटिड इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, सरकारी योजनाओं और मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ ने रखी है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ईवी और रिन्युएबल एनर्जी जैसे सेक्टर भारत को वैश्विक औद्योगिक महाशक्ति बनने की ओर ले जा रहे हैं।
New Delhi: भारत तेजी से औद्योगिक महाशक्ति बन रहा है। मौजूदा समय में यह चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दशक खत्म होने से पहले तीसरे स्थान पर पहुंचने का अनुमान है। दिल्ली-मुंबई और विशाखापत्तनम-चेन्नई जैसे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, पीएम गति शक्ति, सागरमाला और मेक इन इंडिया जैसी सरकारी योजनाओं ने मैन्युफैक्चरिंग को नई गति दी है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में औद्योगिक विकास रोजगार और संतुलित ग्रोथ को बढ़ावा दे रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और ईवी कंपनियों का निवेश भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू चेन में अहम स्थान दिला रहा है।
इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की अहमियत
भारत की ग्रोथ स्टोरी में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर रीढ़ की हड्डी का काम कर रहे हैं। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जो वर्ल्ड क्लास एक्सप्रेसवे, माल ढुलाई के लिए खास लाइन और तैयार सुविधाओं वाले टाउनशिप के जरिए प्रोडक्शन सेंटरों को बड़े बंदरगाहों से जोड़ता है। इसी तरह बेंगलुरु-मुंबई और विशाखापत्तनम-चेन्नई कॉरिडोर ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों को केंद्रित कर रहे हैं। इन पहलों से न केवल उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि तकनीक को अपनाने और बड़े पैमाने पर काम करने की क्षमता भी बढ़ रही है।
इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार के साथ कई शहर औद्योगिक गतिविधियों के नए केंद्र बन रहे हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और बंदरगाहों के विस्तार से कोच्चि और विशाखापत्तनम जैसे शहर तेजी से ट्रेड और लॉजिस्टिक्स हब बनते जा रहे हैं। विजाग-चेन्नई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई रफ्तार मिल रही है। इन बदलावों से रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं और क्षेत्रीय विकास में संतुलन आ रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उछाल
भारत एशिया के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में सामने आ रहा है। नीतिगत सुधारों, बड़े निवेश और कुशल वर्कफोर्स के चलते टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ रही है। इससे न केवल रोजगार मिल रहा है बल्कि बड़े शहरों पर आबादी का दबाव भी कम हो रहा है। छोटे शहरों में बढ़ती खपत इंटीग्रेटिड इंफ्रा की मांग को और आगे बढ़ा रही है।
सरकारी योजनाओं का बड़ा योगदान
भारत सरकार की नीतियां और योजनाएं भी इस बदलाव को गति दे रही हैं। मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम ने इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल और ऑटो सेक्टर में उत्पादन बढ़ाने में मदद की है। नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रोग्राम, पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान, स्मार्ट सिटी मिशन, सागरमाला, उड़ान और भारतमाला जैसे कार्यक्रमों ने मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को आसान बनाया है। इन पहलों ने उद्योगों के लिए आधुनिक और सुगम माहौल तैयार किया है।
तकनीक और नई कंपनियों की भूमिका
इंटीग्रेटिड इंफ्रा केवल सड़कों और रेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्मार्ट लॉजिस्टिक्स और आधुनिक तकनीक से भी जुड़ा है। इसका असर दिख रहा है क्योंकि अब इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर और रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर की बड़ी कंपनियां भारत में उत्पादन इकाइयां स्थापित कर रही हैं। इन निवेशों से भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू चेन का अहम हिस्सा बनता जा रहा है।