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भारत ने बदली रणनीति, पाकिस्तान को दिखाया आईना, सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में बोले CDS अनिल चौहान

भारत ने बदली रणनीति, पाकिस्तान को दिखाया आईना, सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में बोले CDS अनिल चौहान

CDS अनिल चौहान ने सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत अब रणनीति के तहत काम कर रहा है और पाकिस्तान से दूरी बनाए रखना ही बेहतर है।

Singapore: भारत अब बदल चुका है, और इसके साथ ही रणनीति भी पूरी तरह बदल गई है। सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान की ओर से सिर्फ दुश्मनी मिलेगी, तो भारत के पास दूरी बनाए रखना ही सबसे बेहतर रणनीति है। उन्होंने यह साफ कर दिया कि भारत अब बिना रणनीति के नहीं चलता और हर कदम एक सोची-समझी योजना के तहत उठाया जा रहा है।

सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में भारत का दमदार संदेश

शांग्री-ला डायलॉग एशिया का एक बड़ा रक्षा मंच है, जहां क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा होती है। इस बार का आयोजन 31 मई से 2 जून तक सिंगापुर में हुआ। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में जनरल अनिल चौहान ने 'भविष्य के युद्ध और युद्धकला' विषय पर अपना विचार साझा किया और 'भविष्य की चुनौतियों के लिए डिफेंस इनोवेशन सॉल्यूशन' सत्र में भी अपनी बात रखी।

सीडीएस चौहान ने अपने संबोधन में पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि भारत ने 2014 के बाद से अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। उन्होंने बताया कि जब भारत आजाद हुआ था, तब पाकिस्तान सामाजिक विकास, GDP और प्रति व्यक्ति आय जैसे कई मामलों में भारत से आगे था। लेकिन आज भारत हर क्षेत्र में पाकिस्तान से बहुत आगे निकल चुका है और यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि मजबूत रणनीति का नतीजा है।

पाकिस्तान को जवाब: दूरी ही बेहतर रणनीति

सीडीएस अनिल चौहान ने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर उनकी तरफ से सिर्फ शत्रुता ही मिलेगी, तो भारत के लिए दूरी बनाए रखना ही समझदारी है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था, लेकिन तालियां बजाने के लिए दोनों हाथों की जरूरत होती है। जब एक तरफ से सिर्फ दुश्मनी मिले, तो दूसरी तरफ से मैत्री की उम्मीद करना व्यर्थ है।

भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका

CDS चौहान ने अपने सिंगापुर दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण रक्षा अधिकारियों और सैन्य नेताओं से मुलाकात की। इसमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका, यूके, सिंगापुर जैसे देशों के प्रतिनिधि शामिल थे। इन बैठकों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने और साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई। अमेरिका के इंडो-पैसिफिक कमांड (INDOPACOM) के कमांडर एडमिरल सैमुअल जे. पापारो के साथ उनकी खास बातचीत हुई, जिसमें मिलिट्री-टू-मिलिट्री कोऑपरेशन को मजबूत करने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नए अवसर तलाशने पर चर्चा की गई।

चीन की रणनीति में बदलाव

शांग्री-ला डायलॉग में इस बार चीन ने अपने रक्षा मंत्री को नहीं भेजा, जो कि एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। चीन की ओर से पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी का एक प्रतिनिधिमंडल सम्मेलन में शामिल हुआ। पिछले वर्षों में चीन के रवैये में बदलाव देखने को मिला है, खासकर ताइवान और साउथ चाइना सी को लेकर अमेरिका के साथ तनाव के बीच। इस मंच पर अमेरिकी रक्षा सचिव का भाषण भी खासा चर्चा में रहा, क्योंकि इसमें ट्रंप प्रशासन की इंडो-पैसिफिक रक्षा नीति की झलक देखने को मिली।

भारत का बदलता दृष्टिकोण

जनरल चौहान ने यह भी रेखांकित किया कि भारत अब अपने रक्षा मामलों में आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। डिफेंस इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में भारत का जोर साफ दिख रहा है। सैन्य उपकरणों का स्वदेशीकरण, मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, और नए तकनीकी समाधानों को अपनाना भारत की प्राथमिकता बन चुका है।

भारत न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है, बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। इंडो-पैसिफिक में भारत की सक्रियता और रणनीतिक साझेदारियों को लेकर दुनिया भर में भारत की रणनीति की तारीफ हो रही है।

क्या है शांग्री-ला डायलॉग?

शांग्री-ला डायलॉग एक ऐसा मंच है, जहां एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियों और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा होती है। इसकी शुरुआत 2002 में हुई थी और तब से यह हर साल आयोजित होता है। इस बार के सम्मेलन में 47 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 40 से ज्यादा मंत्री-स्तरीय प्रतिनिधि शामिल थे।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इस बार उद्घाटन भाषण के लिए बुलाया गया था, जो इस मंच की बढ़ती वैश्विक महत्ता को दर्शाता है। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम भी सम्मेलन में अपनी बात रखेंगे।

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