2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा- सबूत नहीं हैं। प्रज्ञा ठाकुर बोलीं- भगवा की जीत है, भगवान दोषियों को सज़ा देंगे।
Malegaon Case: मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह भगवा की जीत है और जिन्होंने इसे बदनाम किया, भगवान उन्हें सजा देंगे। प्रज्ञा ठाकुर ने साफ शब्दों में कहा कि पिछले 17 वर्षों में उन्होंने जो सहा है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता।
'मैं साधु जीवन जी रही थी, फिर भी आरोप लगे'
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि वह एक संन्यासी जीवन जी रही थीं, फिर भी उन पर झूठे आरोप लगाए गए। “मुझे जांच के नाम पर बुलाया गया और गिरफ़्तार कर प्रताड़ित किया गया। मेरे खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था, फिर भी मुझे बदनाम किया गया।"
उनका कहना है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह भगवा पहनती हैं और हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश ने उस समय चुप्पी साध ली थी जब उन्हें झूठे आरोपों के चलते जेल में डाला गया।
भगवा पर हमला, हिंदुत्व पर साज़िश
साध्वी प्रज्ञा का कहना है कि मालेगांव केस एक साज़िश थी जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ भगवा और हिंदुत्व को बदनाम करना था। "भगवा आतंकवाद" शब्द गढ़ा गया, और साधुओं को कटघरे में खड़ा किया गया। अब जबकि कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, उन्होंने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है।
कोर्ट का फैसला
एनआईए की विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट केस में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित नहीं कर सका और संदेह से परे मामला सिद्ध नहीं हुआ।
जिन सात लोगों को बरी किया गया उनमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधांकर धर द्विवेदी (शंकराचार्य) और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। कोर्ट ने उनके ज़मानत बांड भी रद्द कर दिए और ज़मानतदारों को मुक्त कर दिया।
323 गवाह, फिर भी नतीजा नहीं निकला
कोर्ट ने इस केस में अभियोजन पक्ष के 323 गवाहों और बचाव पक्ष के 8 गवाहों के बयान दर्ज किए। लेकिन इतने सारे गवाहों और वर्षों की जांच के बावजूद, कोर्ट को ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला जिससे आरोपियों पर लगे आरोप साबित हो सकें। कोर्ट ने कहा कि यह साबित नहीं हो सका कि जिस मोटरसाइकिल में विस्फोटक रखा गया था, उसका संबंध सीधे इन आरोपियों से था।