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Bihar Election 2025: हसनपुर से तेज प्रताप यादव के बाद कौन? RJD कर रही उम्मीदवार की तलाश

Bihar Election 2025: हसनपुर से तेज प्रताप यादव के बाद कौन? RJD कर रही उम्मीदवार की तलाश

बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाले फैसले के तहत राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने समस्तीपुर जिले की चर्चित हसनपुर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक और पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को निष्कासित कर दिया है। 

पटना: समस्तीपुर के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से तेज प्रताप यादव को राजद (RJD) ने निष्कासित कर दिया है। इसका मतलब है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें इस सीट से अपना उम्मीदवार नहीं बनाएगी। हसनपुर विधानसभा सीट पर हमेशा से यादव परिवार के उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। इससे पहले राजेंद्र यादव, गजेंद्र प्रसाद हिमांशु, और सुनील कुमार पुष्पम जैसी राजद के नेताओं ने इस सीट से जीत दर्ज की है। 

राजेंद्र यादव राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं, जबकि गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने मंत्री पद से लेकर विधानसभा उपाध्यक्ष तक का सफर तय किया। अब सवाल यह है कि यादव बाहुल्य इस सीट पर पार्टी अगला चेहरा किसे बनाएगी।

हसनपुर सीट पर यादव बाहुल्य का दबदबा

हसनपुर विधानसभा क्षेत्र, जो खगड़िया लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, हमेशा से यादव उम्मीदवारों का गढ़ माना जाता रहा है। यहां पर जीत की परंपरा मुख्य रूप से इसी समाज से आने वाले उम्मीदवारों के नाम रही है। अतीत में राजेंद्र यादव, गजेंद्र प्रसाद हिमांशु और सुनील कुमार पुष्पम जैसे नेताओं ने यहां से जीत दर्ज की है।

गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने इस सीट से कई बार विधायक रहते हुए मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष तक का सफर तय किया। सबसे ज्यादा बार जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है। 2020 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप यादव ने यहां से 21 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। उन्हें 80,991 मत मिले थे, जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी जदयू के राजकुमार राय को 59,852 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर जाप उम्मीदवार अर्जुन प्रसाद यादव और चौथे स्थान पर लोजपा प्रत्याशी मनीष कुमार सहनी रहे थे।

तेज प्रताप यादव का हसनपुर से मोहभंग

चुनाव जीतने के बाद तेज प्रताप यादव कुछ समय हसनपुर में सक्रिय रहे, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी रुचि बदल दी। एक माह पहले उन्होंने हसनपुर का दौरा किया और जनता से मुलाकात की, लेकिन उसके बाद यह खुलासा किया कि वे अगला चुनाव महुआ विधानसभा सीट से लड़ना चाहते हैं। इस ऐलान के बाद राजद नेतृत्व ने भी संकेत दे दिया कि हसनपुर सीट पर अब नए उम्मीदवार की तलाश की जाएगी।

हसनपुर सीट पर नया चेहरा चुनने को लेकर RJD में कई नाम चर्चा में हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं: सुनील कुमार पुष्पम (पूर्व विधायक और गजेंद्र प्रसाद हिमांशु के भतीजे) रामनारायण मंडल, विभा देवी, ललन यादव इन नामों में से किसी एक पर सर्वसम्मति बनाना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। हर नेता का अपना स्थानीय समर्थन और दावा है, लेकिन जातीय समीकरण और पार्टी की छवि को देखते हुए "साफ-सुथरे उम्मीदवार" पर फैसला करना जरूरी होगा।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: 1967 से अब तक का सफर

  • हसनपुर विधानसभा सीट की स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी। तब से लेकर अब तक यहां कुल 14 चुनाव हो चुके हैं।
  • गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने इस सीट से 7 बार जीत दर्ज की।
  • उनके भतीजे सुनील कुमार पुष्पम ने 3 बार जीत हासिल की।
  • जदयू के राजकुमार राय ने 2 बार जीत दर्ज की।
  • राजद के तेज प्रताप यादव और कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद यादव एक-एक बार विधायक बने।

इस सीट पर सत्ता का समीकरण हमेशा बदलाव के साथ चलता रहा है, लेकिन यादव समुदाय के प्रभाव को कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हसनपुर, बिथान और सिंघिया प्रखंड के कुछ पंचायतों को मिलाकर बना यह विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से हमेशा सक्रिय रहा है।

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