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बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव: 6 दलों का गठबंधन पाँच साल में हुआ ओझल

बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव: 6 दलों का गठबंधन पाँच साल में हुआ ओझल

बिहार में राजनीतिक समीकरण लगातार बदलते जा रहे हैं। एनडीए और महागठबंधन जैसे बड़े गठबंधनों के सहयोगी दलों ने भी पाला बदलते हुए अपने समीकरण नए सिरे से तय किए हैं। वहीं, 2020 में बने छह दलों का तीसरा गठबंधन पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया है।

पटना: बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में पिछले पाँच वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। 2020 में बने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट (GDSF) नामक तीसरे गठबंधन के छह दल अब लगभग खत्म हो चुके हैं या अन्य दलों में विलय कर चुके हैं। इनमें राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) जैसे दल शामिल हैं। इनकी स्थिति इस समय इतनी कमजोर हो गई है कि कई दलों की चर्चा तक नहीं हो रही, जबकि कुछ का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।

2020 में बना तीसरा मोर्चा

2020 विधानसभा चुनाव के समय एनडीए और महागठबंधन से अलग होकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट का गठन हुआ था। इसमें कुल छह दल शामिल थे और 243 में से 238 सीटों पर इनके उम्मीदवार खड़े किए गए थे। इनमें सबसे अधिक 104 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अब अस्तित्व में नहीं है, क्योंकि उसका जनता दल यूनाइटेड (JDU) में विलय हो गया।

इसके संस्थापक उपेंद्र कुशवाहा ने बाद में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नाम से नई पार्टी बनाई और अब वह एनडीए के साथ हैं। इसके बावजूद RLSP का कोई प्रभाव नहीं दिखा और एक भी सीट जीतने में असफल रही।

अन्य दलों की स्थिति

बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 80 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन केवल चैनपुर सीट पर जीत हासिल कर सकी। उसके विधायक जमा खान ने बाद में JDU का दामन थाम लिया और वर्तमान में राज्य में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं। BSP इस बार सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, लेकिन उसका प्रभाव सीमित ही है।

AIMIM ने 2020 में 19 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 5 सीटों पर सफलता मिली। लेकिन बाद में उसके चार विधायक RJD में शामिल हो गए। वर्तमान में AIMIM की चुनावी रणनीति स्पष्ट नहीं है और उसका RJD के साथ गठबंधन प्रस्ताव भी अब तक अनिश्चित है। समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक, जिसके प्रमुख देवेंद्र प्रसाद यादव हैं, ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का RJD में विलय कराया, परंतु अब वे अलग होकर स्वतंत्र रूप से आगामी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।

गठबंधन के अन्य दो घटक सहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी पार्टी समाजवादी को पांच-पाँच सीटों पर सफलता मिली थी, लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में इनकी सक्रियता बेहद कम दिखाई दे रही है।

वोट प्रतिशत में गिरावट

इन दलों की राजनीतिक पकड़ कमजोर होने का अंदाजा उनके वोट प्रतिशत से भी लगाया जा सकता है। 2020 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, BSP और AIMIM को मिलाकर कुल 4.5 प्रतिशत वोट ही मिले थे। इनके वोटों का वितरण निम्नलिखित रहा:

  • राष्ट्रीय लोक समता पार्टी – 7,44,221 (1.77%)
  • बहुजन समाज पार्टी – 6,28,961 (1.49%)
  • AIMIM – 5,23,279 (1.24%)

अन्य दो दलों को नगण्य वोट मिले थे, जिससे स्पष्ट होता है कि तीसरा गठबंधन चुनावी राजनीति में प्रभावहीन हो गया है। ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट का धीरे-धीरे समाप्त होना बिहार की राजनीति में ध्रुवीकरण का संकेत देता है।

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