बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड में महराजी बांध बीती रात टूट गया, जिससे कई गांव जलमग्न हो गए। घर, स्कूल और सड़कें प्रभावित हुईं, लोग छतों पर शरण लेने को मजबूर हुए। प्रशासन राहत एवं बचाव कार्य में जुटा है।
मधुबनी: बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र में बीती रात एक गंभीर जल आपदा की स्थिति उत्पन्न हो गई। स्थानीय समयानुसार देर रात, महराजी बांध पानी के अत्यधिक दबाव के कारण टूट गया, जिससे आसपास के कई गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल गया। इससे ग्रामीणों की सुरक्षा और उनकी जीविका खतरे में पड़ गई है। कई लोग अपने घरों की छतों पर शरण लिए हुए हैं, जबकि कई परिवार ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
धौंस नदी बांध टूटने से कई गांव प्रभावित
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि धौंस नदी पर पिछले कई दिनों से दबाव बढ़ रहा था, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। देर रात लगभग 30-35 फीट लंबाई का बांध टूट गया, जिससे नजरा, मेघवन, रानीपुर और पाली गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए।
गांवों में पानी इतना फैल चुका है कि कई घरों में घुटनों तक पानी भर गया है। घरों की दीवारें गिर गई हैं, और लोगों का घर, खेत और पशु बाढ़ के पानी में फंस गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल निकासी और राहत सामग्री समय रहते नहीं पहुंची, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
स्कूल और शिक्षा पर असर
बांध टूटने के कारण बाढ़ का पानी नजरा हाई स्कूल और मिडिल स्कूल तक पहुँच गया। स्कूल के कमरों में पानी भर जाने से शिक्षण कार्य पूरी तरह प्रभावित हुआ। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द उपाय नहीं किए गए तो विद्यालय भवनों को भी भारी क्षति हो सकती है।
सड़कें जलमग्न होने से नजरा–मेघवन मुख्य पथ पर आवागमन ठप हो गया है। ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर ही आवाजाही करनी पड़ रही है।
प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया
प्रशासन ने सुबह-सुबह अंचलाधिकारी अभिषेक आनंद को घटनास्थल पर भेजा। उन्होंने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बांध टूटने के कारणों की जानकारी ली और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ राहत और बचाव कार्यों पर चर्चा की।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीम तैनात की गई है। जरूरतमंदों को अस्थायी शिविरों में रखा जा रहा है और भोजन-पानी की व्यवस्था की जा रही है।
जल प्रबंधन में गंभीर खामियां उजागर
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को बांध की कमजोरी और संभावित खतरे के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इससे पहले पाली क्षेत्र में भी बांध टूटने का खतरा था, जिसे ग्रामीणों ने खुद बालू और मिट्टी डालकर समय रहते संभाल लिया।
ग्रामीणों का सवाल है: “जब हमने खतरे की चेतावनी दी थी, तब भी विभाग ने क्यों कोई कदम नहीं उठाया?” इस घटना ने साबित कर दिया है कि गांवों की सुरक्षा और जल प्रबंधन प्रणाली में गंभीर खामियां हैं।