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Bihar Politics: AIMIM की 6 सीट मांग के बावजूद महागठबंधन में ओवैसी को नहीं मिली जगह, आरजेडी ने किया साफ इनकार

Bihar Politics: AIMIM की 6 सीट मांग के बावजूद महागठबंधन में ओवैसी को नहीं मिली जगह, आरजेडी ने किया साफ इनकार

ओवैसी की AIMIM पार्टी बिहार में महागठबंधन में शामिल होने को बेचैन है। केवल 6 सीट मांग रहे हैं। आरजेडी और कांग्रेस ने इनकार किया। लालू यादव के घर दस्तक देने के बावजूद गठबंधन में जगह नहीं मिली।

Bihar Politics: बिहार में अगले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा गर्म है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) बिहार महागठबंधन यानी इंडिया ब्लॉक के साथ गठबंधन करने के लिए काफी बेचैन है। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने पहले ही गठबंधन में शामिल होने की गुहार लगाई थी और इसके बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पत्र भी लिखा। 

हालांकि, इस कोशिश का कोई नतीजा नहीं निकला। गुरुवार को अख्तरुल ईमान अपने समर्थकों के साथ लालू यादव के आवास तक पहुंचे और गठबंधन की मांग को जोर देकर उठाया, लेकिन न तो दरवाजा खुला और न ही कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

AIMIM केवल छह सीटों की मांग कर रही है, लेकिन इसके बावजूद महागठबंधन में किसी भी दल ने उनके शामिल होने पर सहमति नहीं दी। यह सवाल उठता है कि आखिर ओवैसी की पार्टी गठबंधन में शामिल होने के लिए इतनी बेचैन क्यों है।

ओवैसी की पार्टी का उद्देश्य 

अख्तरुल ईमान ने स्पष्ट किया कि AIMIM का मकसद है कि बिहार में सभी विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ें। उनका मानना है कि अकेली कोई भी पार्टी सांप्रदायिक ताकतों को रोक नहीं सकती। अगर AIMIM को गठबंधन में नहीं लिया गया, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा होगा और इसका फायदा भाजपा जैसी पार्टियों को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि उनका गठबंधन का प्रस्ताव कोई मुख्यमंत्री पद या मंत्रालय मांगने के लिए नहीं है, बल्कि सिर्फ छह सीटों का सवाल है। उन्होंने आरजेडी द्वारा एआईएमआईएम के चार विधायकों को अपने पाले में खींचने की बात का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार में सांप्रदायिक ताकतों को हटाने के लिए वे गंभीर हैं और नुकसान के बावजूद गठबंधन के लिए तैयार हैं।

ओवैसी के लिए आरजेडी और कांग्रेस का इनकार

बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को बंटने से रोकने का तर्क देते हुए AIMIM गठबंधन की मांग कर रही है। लेकिन कांग्रेस और आरजेडी दोनों ही इसमें तैयार नहीं हैं। कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरू ने इस मुद्दे को लालू यादव के पाले में डाल दिया है और कहा कि AIMIM ने प्रस्ताव तो भेजा है, जवाब वही देंगे।

आरजेडी सांसद मनोज झा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अगर AIMIM बिहार में बीजेपी को हराना चाहता है, तो गठबंधन में शामिल होने की बजाय इंडिया ब्लॉक का समर्थन करना चाहिए। इस तरह आरजेडी ने साफ संकेत दे दिया है कि AIMIM को महागठबंधन में जगह नहीं मिलेगी।

ओवैसी की बेचैनी के कारण

ओवैसी की पार्टी का बिहार में कोई मजबूत जमीनी आधार नहीं है। उनकी पकड़ सीमांचल के कुछ हिस्सों तक ही सीमित है। वहीं, राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा के बाद सीमांचल का माहौल महागठबंधन के पक्ष में है। एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक की सीधी जंग में मुस्लिम वोट महागठबंधन की तरफ झुकते दिखाई दे रहे हैं।

इसलिए AIMIM के लिए अपनी सियासी उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं और यही कारण है कि ओवैसी की पार्टी गठबंधन में शामिल होने के लिए बेचैन है। हैदराबाद से बाहर AIMIM ने जहां भी सियासी जगह बनाई है, वहां खुद की ताकत से नहीं बल्कि किसी न किसी पार्टी के सहारे जीत दर्ज की है।

पिछली चुनावी रणनीतियाँ 

2020 में बिहार में AIMIM ने उपेंद्र कुशवाहा और बसपा के साथ गठबंधन कर पांच सीटें जीती थीं। महाराष्ट्र में भी प्रकाश अंबेडकर के साथ गठबंधन कर जीत हासिल की थी। इसी रणनीति को बिहार में दोहराने की कोशिश की जा रही है।

ओवैसी महागठबंधन में एंट्री करके भाजपा द्वारा लगाए गए “बी-टीम” के नैरेटिव को भी तोड़ना चाहते हैं। उनका मानना है कि सिर्फ मुस्लिम वोटों के सहारे एनडीए की बढ़त को चुनौती दी जा सकती है।

ओवैसी के साथ हाथ मिलाने से आरजेडी क्यों कर रही है परहेज

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ओवैसी के साथ गठबंधन करना महागठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकता है। AIMIM की राजनीति के जरिए वोट ध्रुवीकृत हो सकते हैं, जिससे हिंदू वोट एकजुट हो सकते हैं। तेजस्वी यादव और कांग्रेस इस खतरे को देखते हुए एआईएमआईएम को गठबंधन में शामिल करने से बच रहे हैं।

अगर AIMIM के साथ हाथ मिलाया गया, तो उन्हें मुस्लिम परस्त और कट्टरपंथी पार्टी के साथ खड़ा होने का आरोप भाजपा लगाएगी। बिहार में सिर्फ मुस्लिम वोटों के सहारे सरकार बनाना संभव नहीं है। इसलिए आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही ओवैसी के साथ गठबंधन से दूरी बना रहे हैं।

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