Columbus

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: त्रिकोणीय मुकाबला, NDA के पास क्या हैं ताकतवर कार्ड?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: त्रिकोणीय मुकाबला, NDA के पास क्या हैं ताकतवर कार्ड?

बिहार विधानसभा चुनाव इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के रूप में सामने आ रहा है। एक तरफ NDA है, जो लंबे समय से राज्य की सत्ता में प्रभावी रही है, और दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन, जिसमें मुख्य विपक्षी दल शामिल हैं।

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है। एक तरफ है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन, और तीसरी चुनौती प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी पेश कर रही है। चुनावी माहौल पहले से ही गरम है और सभी पार्टियों ने अपनी रणनीतियाँ अंतिम रूप देने शुरू कर दी हैं। इस मुकाबले में NDA के पास कई मजबूत कार्ड हैं, लेकिन साथ ही उन्हें कुछ चुनौतियों से भी निपटना होगा।

NDA के पक्ष में कौन-कौन से कार्ड हैं?

1. मजबूत गठबंधन और सामाजिक आधार

NDA का गठबंधन इस बार समाज के सभी वर्गों को कवर करता है। पिछली बार जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास पासवान की विरासत) के बिना था, जिससे सीटों पर असर पड़ा था। इस बार चिराग पासवान की पार्टी और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगी NDA के लिए दलित वोटों को मजबूत कर सकते हैं। गठबंधन की विविधता और स्थानीय नेताओं की पकड़ NDA को चुनावी मजबूती देती है।

2. सरकारी योजनाओं के लाभार्थी

राज्य और केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की बड़ी संख्या NDA के पक्ष में है। बीजेपी नेताओं का मानना है कि लगभग हर घर को किसी न किसी योजना का लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को दिए गए 10-10 हजार रुपये और केंद्र की अन्य योजनाओं का प्रभाव इस बार चुनाव में NDA को फायदा पहुँचा सकता है।
साथ ही, चुनाव में लोग यह भी देखते हैं कि केंद्र में किसकी सरकार है, और केंद्र की योजनाओं के कारण बिहार में विकास का असर दिखाई देगा।

3. जंगलराज का नेरेटिव और मजबूत संगठन

BJP का बूथ स्तर तक संगठन मजबूत है और राज्य में सोशल मीडिया का असर बढ़ रहा है। NDA सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पक्ष और नेरेटिव को हर घर तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है। विधानसभा चुनाव में ‘जंगलराज’ की चिंता भी NDA के पक्ष में जाती है। लोगों को सुरक्षा और कानून व्यवस्था का महत्व है, और युवा प्रवासी भी परिवार की सुरक्षा चाहते हैं।

NDA के सामने चुनौतियाँ

  • सीट शेयरिंग और उम्मीदवार चयन: NDA को इस बार सीट शेयरिंग और उम्मीदवार चयन में सावधानी बरतनी होगी। यदि गठबंधन के भीतर मनमुटाव हुआ, तो यह भारी नुकसान करवा सकता है। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद किसी नेता का बागी बन जाना गठबंधन के लिए संकट हो सकता है।
  • नीतीश कुमार की घटती पकड़: जेडीयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घटती पकड़ NDA के लिए चिंता का विषय है। बार-बार पाला बदलने की छवि ने उनकी विश्वसनीयता पर असर डाला है। गठबंधन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस बार यह कमजोरी वोटों में नुकसान न कराए।
  • पलायन और बेरोजगारी: बिहार में युवा पलायन और बेरोजगारी बड़े मुद्दे हैं। विपक्ष इसको चुनावी मुद्दा बना रहा है। आरजेडी के तेजस्वी यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी ने बिहार अधिकार यात्रा और वोट अधिकार यात्रा के दौरान इन समस्याओं पर ध्यान दिलाया।
  • प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी: प्रशांत किशोर की नई पार्टी जनसुराज NDA के लिए अतिरिक्त चुनौती पेश कर सकती है। वह लगातार बीजेपी नेताओं और मंत्रियों पर निशाना साध रहे हैं और कई आरोप लगा रहे हैं। यह पार्टी खासकर बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।

Leave a comment