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ट्रंप टैरिफ के जवाब में भारत की नई चाल: कतर के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तैयारी, पीयूष गोयल ने दोहा में किया बड़ा ऐलान

ट्रंप टैरिफ के जवाब में भारत की नई चाल: कतर के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तैयारी, पीयूष गोयल ने दोहा में किया बड़ा ऐलान

अमेरिकी टैरिफ फैसलों के बीच भारत ने कतर के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की दिशा में कदम बढ़ाया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दोहा में घोषणा की कि दोनों देशों के बीच FTA अगले साल के मध्य या 2026 की तीसरी तिमाही तक तय हो सकता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार 14 बिलियन डॉलर से बढ़कर 30 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य है।

India and Qatar free trade: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ कदम के जवाब में भारत ने कतर के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर अपनी रणनीति तेज कर दी है। दोहा दौरे पर पहुंचे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भारत-कतर के बीच मुक्त व्यापार समझौता अगले वर्ष के मध्य या 2026 की तीसरी तिमाही तक तय हो सकता है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार 14 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 30 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। गोयल ने बताया कि कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग की बड़ी संभावनाएं हैं।

दोहा में हुआ अहम ऐलान

पीयूष गोयल अपने दो दिवसीय कतर दौरे पर हैं। सोमवार को उन्होंने दोहा में कतर के शीर्ष अधिकारियों और उद्योगपतियों के साथ कई दौर की बैठकें कीं। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। गोयल ने कहा कि भारत और कतर के बीच मौजूदा व्यापार करीब 14 बिलियन डॉलर का है और सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 30 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का है।

उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट अहम भूमिका निभाएगा। मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच बातचीत काफी सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है।

ट्रंप टैरिफ के बाद भारत की नई रणनीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत सहित कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए हैं। खासकर रूसी तेल आयात और कुछ औद्योगिक उत्पादों पर 50 फीसदी तक का शुल्क लगाने के फैसले के बाद भारत ने अपने व्यापारिक रिश्तों को नए सिरे से संतुलित करने की तैयारी शुरू कर दी है।

माना जा रहा है कि कतर के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, ट्रंप के टैरिफ के जवाब में भारत का रणनीतिक कदम है। कतर भी हाल के महीनों में अमेरिका से थोड़ी दूरी बनाते हुए एशियाई देशों, खासकर भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में दिलचस्पी दिखा रहा है।

दोनों देशों के बीच गहराता सहयोग

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत और कतर के बीच आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने के लिए कई क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं हैं। इसमें कृषि, खाद्य उत्पाद, नवीकरणीय ऊर्जा, डेटा सेंटर, फार्मा, पर्यटन, सौंदर्य प्रसाधन और कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसे सेक्टर शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि दोनों देशों के उद्यमी और निवेशक अब मिलकर नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत इस सहयोग को औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्र में नई दिशा देना चाहता है।

सीआईआई और फिक्की से बड़ी उम्मीदें

पीयूष गोयल ने कहा कि कतर भारत में अच्छे निवेश अवसरों की तलाश कर रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारतीय उद्योग जगत, खासकर सीआईआई और फिक्की जैसे संगठन, कतर को भारत में निवेश के बेहतरीन विकल्प प्रदान करेंगे।

कतर की कई कंपनियां भारत में ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं तलाश रही हैं। गोयल ने बताया कि कतर खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) का एक प्रमुख सदस्य है और भारत के लिए उसका आर्थिक महत्व लगातार बढ़ रहा है।

भारत-कतर व्यापार की मौजूदा स्थिति

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और कतर के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 14.15 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा। इसमें भारत का आयात हिस्सा अधिक है, क्योंकि भारत कतर से एलएनजी, पेट्रोलियम गैस और उर्वरक जैसी वस्तुएं आयात करता है। वहीं, भारत कतर को खाद्य उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, प्लास्टिक और वस्त्र निर्यात करता है।

गोयल ने बताया कि एफटीए लागू होने के बाद व्यापार में बाधाएं कम होंगी और दोनों देशों के उत्पाद एक-दूसरे के बाजार में आसानी से पहुंच सकेंगे।

दूसरे देशों से भी बातचीत जारी

पीयूष गोयल ने बताया कि भारत सिर्फ कतर ही नहीं बल्कि पेरू, चिली और कुछ अन्य देशों के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत कर रहा है। उनका कहना था कि भारत का उद्देश्य अपने निर्यात को वैश्विक स्तर पर बढ़ाना और नई अर्थव्यवस्थाओं के साथ साझेदारी मजबूत करना है।

उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य आने वाले वर्षों में व्यापारिक संतुलन को अपने पक्ष में लाना है। इसके लिए सरकार लगातार नए बाजारों की खोज कर रही है।

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