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बॉलीवुड में टाइपकास्टिंग का अंत? भाग्यश्री, विवेक ओबेरॉय और राहुल भट्ट ने खोले कास्टिंग के राज़

बॉलीवुड में टाइपकास्टिंग का अंत? भाग्यश्री, विवेक ओबेरॉय और राहुल भट्ट ने खोले कास्टिंग के राज़

बॉलीवुड में अक्सर फॉर्मूला और परिचित चेहरों का ही दबदबा रहता है, जिससे कई एक्टर्स टाइपकास्टिंग की समस्या से जूझते हैं। यानी उन्हें हमेशा एक ही तरह के किरदारों में ही कैद कर दिया जाता है, जो उनकी प्रतिभा के लिए बड़ा चुनौती बन जाता है।

एंटरटेनमेंट: बॉलीवुड में लंबे समय से एक ऐसी बीमारी है, जो कलाकारों की प्रतिभा को सीमित कर देती है — टाइपकास्टिंग। हिंदी सिनेमा में अक्सर देखा गया है कि किसी एक्टर को किसी खास तरह के किरदार में ही फंसा दिया जाता है। चाहे वह रोमांटिक हीरो हो या विलेन, कॉमिक या गंभीर, एक बार जब कलाकार ने दर्शकों के सामने किसी छवि को स्थापित कर लिया, तो उसे उस सांचे से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। 

लेकिन अब इस परंपरा को तोड़ने की कोशिशें जोर पकड़ रही हैं। बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार भाग्यश्री, विवेक ओबेरॉय और राहुल भट्ट ने इस जटिल मुद्दे पर खुलकर अपनी राय दी है और बताया कि कैसे इस जाल से बाहर निकला जा सकता है।

टाइपकास्टिंग: बॉलीवुड की पुरानी चुनौती

टाइपकास्टिंग यानी एक अभिनेता को एक ही तरह के किरदारों तक सीमित कर देना, बॉलीवुड की वह पुरानी समस्या है जो न केवल कलाकारों के करियर को प्रभावित करती है, बल्कि दर्शकों के लिए भी सिनेमा के नए रंगों को देखने में बाधा बनती है। कई बार प्रोड्यूसर्स और निर्देशक केवल उन्हीं कलाकारों को चुनते हैं, जिनकी एक स्थापित छवि होती है, ताकि फिल्म का रिस्क कम हो। इसके कारण कलाकारों की प्रतिभा दब जाती है और उन्हें नए-नए किरदारों की खोज करने का मौका नहीं मिलता।

विवेक ओबेरॉय का साहस: विविधता से बनती पहचान

अभिनेता विवेक ओबेरॉय इस मामले में एक मिसाल हैं। उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से साबित किया है कि टाइपकास्टिंग की बेड़ियों को तोड़ा जा सकता है। फिल्म ‘साथिया’ में उन्होंने रोमांटिक हीरो का किरदार निभाया, वहीं ‘कंपनी’ में गैंगस्टर के रूप में अपनी छवि बदली। ‘मस्ती’ में कॉमिक रोल तो ‘कृष 3’ में खलनायक का किरदार निभाकर उन्होंने दर्शकों को चौंका दिया। विवेक का मानना है कि कलाकारों को जोखिम उठाना चाहिए और ऐसे रोल चुनने चाहिए जो उन्हें चुनौती दें। 

उन्होंने यह भी कहा कि आज के दर्शक पुराने समय से अधिक खुले दिमाग वाले हैं और वे कलाकारों को नई भूमिकाओं में स्वीकारने को तैयार हैं। हाल ही में विवेक ने मलयालम फिल्म ‘L2: एम्पुरान’ में भी शानदार प्रदर्शन किया, जिसे खूब सराहा गया।

भाग्यश्री की वापसी: नई पहचान के साथ

सलमान खान की ‘मैंने प्यार किया’ से प्रसिद्धि पाने वाली भाग्यश्री ने शादी और परिवार के बाद एक्टिंग से दूरी बना ली थी। लेकिन कुछ समय पहले उन्होंने धमाकेदार वापसी की और ‘राधे श्याम’, ‘थलाइवी’ जैसी फिल्मों में नए-नए किरदार निभाए। भाग्यश्री कहती हैं कि वापसी के समय उन्होंने जानबूझकर नए और चुनौतीपूर्ण रोल चुने ताकि उनकी छवि में विविधता आए। उन्होंने रणवीर सिंह जैसे कलाकारों की तारीफ की, जो हर बार अपनी भूमिका को नया रंग देते हैं और टाइपकास्टिंग से डरते नहीं।

राहुल भट्ट: नए दौर की उम्मीद

हालांकि राहुल भट्ट ने भी टाइपकास्टिंग से जुड़ी चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन वे मानते हैं कि नए दौर में सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स ने कलाकारों के लिए अवसर बढ़ा दिए हैं। ये प्लेटफॉर्म्स कलाकारों को स्वतंत्रता देते हैं कि वे अपने दम पर किरदारों की खोज करें और दर्शकों को नई छवि दिखाएं। राहुल भट्ट का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि बॉलीवुड में सिर्फ फॉर्मूला फिल्में और स्टीरियोटाइपेड किरदार नहीं चलेंगे, बल्कि नए विचारों और नायाब भूमिकाओं की जगह बनेगी।

थिएटर और इंडी फिल्मों का महत्त्व

डायरेक्टर और अभिनेता अनंत महादेवन का मानना है कि थिएटर और इंडी फिल्में टाइपकास्टिंग से बचने का सबसे अच्छा जरिया हैं। थिएटर में कलाकारों को हर तरह के किरदार निभाने का मौका मिलता है, जो उनकी प्रतिभा को नई ऊँचाइयों पर ले जाता है। अनंत ने कई ऑफबीट फिल्मों में काम करके यह साबित किया है कि कलाकार जब विविध भूमिकाओं में खुद को ढालते हैं तो दर्शकों का नजरिया भी बदलता है।

पुराने सितारों से सीख

भाग्यश्री ने अपने दौर के दिग्गज कलाकार ऋषि कपूर और संजीव कुमार का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी टाइपकास्टिंग की बेड़ियों को तोड़ा था। ऋषि कपूर ने रोमांटिक से लेकर गंभीर, सामाजिक विषयों तक विविध किरदार निभाए, तो संजीव कुमार ने ‘कोशिश’ और ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी फिल्मों में अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाई। आज रणवीर सिंह इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, जो ‘पद्मावत’, ‘83’, और ‘जयेशभाई जोरदार’ जैसी फिल्मों में एक से बढ़कर एक रोल निभा रहे हैं।

सोशल मीडिया और OTT का बढ़ता प्रभाव

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स ने बॉलीवुड के कलाकारों को नई पहचान बनाने का मौका दिया है। अब वे अपने किरदारों को फैंस तक सीधे पहुंचा सकते हैं और टाइपकास्टिंग को चुनौती दे सकते हैं। विवेक ओबेरॉय ने ‘इनसाइड एज’ और ‘धरमवीर’ जैसे वेब सीरीज में नए-नए किरदार निभाए, जिससे दर्शकों को उनका नया पक्ष देखने को मिला।

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