बंगाल में सातवीं कक्षा के छात्र पर चिप्स चोरी का झूठा आरोप लगाकर पिटाई की गई। मानसिक दबाव में आकर उसने कीटनाशक खा ली, अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
Kolkata: पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है, जिसने हर किसी का दिल झकझोर दिया है। सातवीं कक्षा का एक छात्र, कृष्णेंदु दास, जिस पर चिप्स का पैकेट चोरी करने का झूठा आरोप लगाया गया, उसने इस मानसिक दबाव और सामाजिक अपमान को सहन न करते हुए आत्महत्या कर ली। इस घटना ने न केवल परिवार को तोड़ा है बल्कि पूरे समाज में न्याय और इंसाफ के सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या हुआ था घटना के दिन?
कृष्णेंदु दास रविवार को बाजार चिप्स खरीदने गया था। वहां दुकान बंद थी और चिप्स नहीं मिल पा रहे थे। उसी वक्त उसने सड़क किनारे पड़ा चिप्स का पैकेट उठाया और घर लौटने लगा। लेकिन यह साधारण सा काम उसके लिए भारी पड़ गया।
सिविक वालंटियर शुभंकर और दुकान के मालिक ने उसे चोरी के आरोप में पकड़ लिया। आरोप है कि उन्होंने उसे सार्वजनिक रूप से पीटा और कान पकड़कर उठक-बैठक करवाई। बच्चा बार-बार अपने मासूमियत का दावा करता रहा कि उसने चोरी नहीं की, बल्कि पैकेट रास्ते से उठाया था।
बच्चे पर बेतहाशा अत्याचार और मानसिक तनाव
कृष्णेंदु ने सिविक वालंटियर को चिप्स के पैसे भी देने की कोशिश की, लेकिन शुभंकर की हिंसा नहीं रुकी। ऐसी बेइज्जती और शारीरिक प्रताड़ना ने बच्चे के दिल में गहरा आघात किया। उसकी मां जब मौके पर पहुंची, तो वह उसे लेकर घर आईं।
घर आने के बाद कृष्णेंदु अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद उसे बेहोशी की हालत में पाया गया। जब परिवार वालों ने अस्पताल पहुंचाया, तब भी बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी। कृष्णेंदु ने कीटनाशक का सेवन कर अपनी जान दे दी।
सुसाइड नोट में क्या लिखा?
कृष्णेंदु के कमरे से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है, जो पूरी घटना की कहानी बयां करता है। उसने अपनी मां को लिखा, “मां, मैंने चोरी नहीं की थी। मैंने चिप्स का पैकेट रास्ते से उठाया था।” यह नोट उसकी मासूमियत और न्याय की मांग का एक आखिरी प्रयास था।