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Boeing CEO पर सवालों की बौछार, एयर इंडिया हादसे के बाद और बढ़ी चुनौतियां

Boeing CEO पर सवालों की बौछार, एयर इंडिया हादसे के बाद और बढ़ी चुनौतियां
अंतिम अपडेट: 30-11--0001

एयर इंडिया विमान हादसे के बाद अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग के सीईओ केली ऑर्टबर्ग की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। 

नई दिल्ली: अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग के मौजूदा चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) केली ऑर्टबर्ग एक बार फिर वैश्विक मीडिया और जांच एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। 8 अगस्त 2024 को कंपनी की कमान संभालने के बाद से ऑर्टबर्ग लगातार कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के क्रैश ने उन्हें एक बार फिर दबाव में ला दिया है। इस त्रासदी में 241 लोगों की जान जाने के बाद बोइंग के विमानों की सुरक्षा पर दुनिया भर में सवाल उठाए जा रहे हैं।

बोइंग के लिए कठिन दौर की शुरुआत

ऑर्टबर्ग ने जिस समय बोइंग का कार्यभार संभाला, तब कंपनी पहले से ही कई संकटों में फंसी हुई थी। कंपनी की नकदी स्थिति कमजोर थी, सप्लाई चेन में अव्यवस्था थी और कई कर्मचारियों के बीच असंतोष फैला हुआ था। इसके साथ ही अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर ने बोइंग की अंतरराष्ट्रीय सौदों पर असर डाला। इन सबके बीच, ऑर्टबर्ग ने अपने पहले नौ महीनों में कंपनी को स्थिरता देने की कोशिश की, लेकिन अभी भी चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं।

एयर इंडिया हादसे से फिर खड़े हुए सवाल

6 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भर रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, उड़ान के कुछ समय बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, जो कि तकनीक और आराम के मामले में बोइंग की एक प्रमुख पेशकश मानी जाती है। लेकिन इस हादसे में 241 यात्रियों की जान चली गई और एक बार फिर बोइंग की साख पर गहरा सवाल खड़ा हो गया।

विमान की तकनीक और सुरक्षा पर बहस

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का निर्माण उच्च तकनीकी मानकों के अनुसार किया गया है। लेकिन हालिया हादसा बताता है कि या तो कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक हुई है, या फिर मेंटेनेंस और फ्लाइट प्रबंधन में बड़ी लापरवाही हुई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने संकेत दिए हैं कि सभी बोइंग 787 विमानों की व्यापक जांच कराई जाएगी। वहीं, अभी तक उड़ानों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन जांच एजेंसियों की सक्रियता से साफ है कि सवाल गंभीर हैं।

बाजार में गिरी कंपनी की साख

एयर इंडिया हादसे की खबर के बाद बोइंग के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। एक दिन में शेयर 5 प्रतिशत तक गिर गए, जिससे निवेशकों में चिंता की लहर दौड़ गई। इसके साथ ही ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कंपनी को अपने ब्रांड पर जनता और सरकारों का भरोसा फिर से जीतना होगा।

जांच के संभावित बिंदु

घटना की जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर खास फोकस किया जा रहा है, जैसे:

  • क्या पायलट की ओर से कोई मानवीय चूक हुई
  • विमान की नियमित मेंटेनेंस रिपोर्ट में कोई कमी थी
  • उड़ान के दौरान किसी पक्षी से टकराव हुआ या नहीं
  • विमान के ईंधन की गुणवत्ता कैसी थी
  • रनवे से टेकऑफ के दौरान मौसम की स्थिति क्या थी

इन तमाम बिंदुओं पर अलग-अलग तकनीकी टीमों द्वारा जांच की जा रही है और आने वाले कुछ हफ्तों या महीनों में इसकी विस्तृत रिपोर्ट सामने आ सकती है।

केली ऑर्टबर्ग का अब तक का करियर

65 वर्षीय ऑर्टबर्ग को एयरोस्पेस इंडस्ट्री में चार दशकों का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1983 में टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स में इंजीनियर के रूप में की थी। इसके बाद वह रॉकवेल कॉलिन्स से जुड़े और वहां वरिष्ठ पदों पर कार्य करते हुए कंपनी के नेतृत्व में पहुंचे। जब रॉकवेल कॉलिन्स का यूनाइटेड टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन के साथ विलय हुआ, तो ऑर्टबर्ग को कॉलिन्स एयरोस्पेस का सीईओ नियुक्त किया गया।

मार्च 2021 में वह RTX कॉर्पोरेशन से जुड़े और वहां विशेष सलाहकार की भूमिका में रहे। वर्ष 2019 से 2024 तक वह बोइंग के बोर्ड मेंबर भी रहे, जिससे उन्हें कंपनी की आंतरिक कार्यप्रणाली की गहरी समझ थी। इस अनुभव के कारण उन्हें अगस्त 2024 में बोइंग का सीईओ नियुक्त किया गया।

क्यों हैं ऑर्टबर्ग पर सबकी नजरें

किसी भी संकट की घड़ी में नेतृत्व की भूमिका सबसे अहम होती है। आज बोइंग न सिर्फ एक कंपनी बल्कि अमेरिकी एयरोस्पेस उद्योग का चेहरा है। ऑर्टबर्ग की भूमिका अब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उन्हें न केवल दुर्घटना की पारदर्शी जांच सुनिश्चित करनी है, बल्कि अपने ग्राहकों और आम यात्रियों का भरोसा भी दोबारा जीतना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौके पर ऑर्टबर्ग का मैदान में उतरना, प्रभावित इलाकों में जाकर स्थिति का जायजा लेना और पारदर्शी संवाद बनाए रखना उनकी लीडरशिप को मजबूती देगा। यही वजह है कि ब्लूमबर्ग के एयरोस्पेस कंसल्टेंट रिचर्ड अबौलाफिया ने कहा है कि संकट में नेता की सबसे बड़ी परीक्षा होती है।

क्या आगे ड्रीमलाइनर की उड़ानें रुकेंगी

फिलहाल, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रीमलाइनर उड़ानों पर रोक की घोषणा नहीं की है। लेकिन अगर जांच में कोई बड़ी तकनीकी खामी सामने आती है तो यह संभावना बन सकती है कि ड्रीमलाइनर की कुछ सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दी जाएं। खासकर भारत, यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में यह फैसला लिया जा सकता है।

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