बरेली हिंसा के आरोपी नदीम खान और बबलू खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने चार्जशीट दाखिल होने तक दोनों की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए पुलिस कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के बरेली हिंसा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है। अदालत ने आरोपी नदीम खान और बबलू खान की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए उन्हें राहत दी है। यह फैसला हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं करती, तब तक दोनों भाइयों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच — जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा — के समक्ष हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जांच जारी रहने के बावजूद पुलिस को चार्जशीट दाखिल होने तक दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी से बचना चाहिए।
नदीम खान और बबलू खान ने अदालत में याचिका दाखिल कर कहा था कि वे निर्दोष हैं और राजनीतिक दबाव के कारण उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। उन्होंने अपनी याचिका में गिरफ्तारी पर रोक लगाने और दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने फिलहाल एफआईआर को रद्द करने से इनकार किया, लेकिन गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत प्रदान कर दी।
बरेली हिंसा से जुड़ा मामला

यह मामला 26 सितंबर को हुई बरेली हिंसा से संबंधित है। उस दिन जुमे की नमाज के बाद “आई लव मोहम्मद” अभियान के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान भीड़ ने पुलिस से भिड़ंत की और स्थिति बेकाबू हो गई। कई इलाकों में पथराव, फायरिंग और पेट्रोल बम फेंकने जैसी घटनाएं हुईं, जिसके चलते पूरे शहर में तनाव फैल गया।
हिंसा में कई लोग घायल हुए और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया और 10 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कीं।
FIR में साजिश और दंगा भड़काने के आरोप
पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान को इस हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया है। उन पर दंगा भड़काने, साजिश रचने और उकसाने के गंभीर आरोप लगे हैं। मौलाना रजा को गिरफ्तार कर फतेहगढ़ जेल भेजा जा चुका है।
इसी मामले में कई अन्य लोगों, जिनमें मौलाना रजा के करीबी भी शामिल हैं, को नामजद किया गया था। इन्हीं में नदीम खान और बबलू खान के नाम भी सामने आए थे।
हाई कोर्ट के आदेश से जांच का नया दौर
हाई कोर्ट का यह आदेश इस मामले में नया कानूनी मोड़ लेकर आया है। अदालत ने जांच एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि निष्पक्ष जांच हो और किसी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ अनावश्यक कार्रवाई न की जाए।
अब देखना यह होगा कि पुलिस चार्जशीट दाखिल करने से पहले किन सबूतों के आधार पर इस मामले को आगे बढ़ाती है। फिलहाल नदीम और बबलू खान को राहत तो मिल गई है, लेकिन जांच की दिशा अभी भी अदालत की निगरानी में रहेगी।













