CM सिद्धारमैया ने बी. सरोजा देवी के निधन पर पोस्ट किया। मेटा के ट्रांसलेशन टूल ने उन्हें दिवंगत बताया। इस पर नाराज होकर उन्होंने सुधार और फीचर बंद करने की मांग की।
Karnataka CM: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एक कन्नड़ भाषा में लिखे पोस्ट को मेटा के ऑटो ट्रांसलेशन टूल ने ग़लत तरीके से अंग्रेजी में अनुवाद कर दिया, जिसमें उन्हें मृत बताया गया। यह गंभीर चूक तब सामने आई जब सिद्धारमैया ने अभिनेत्री बी. सरोजा देवी के निधन पर शोक जताया था। इस गलती से नाराज़ होकर उन्होंने मेटा को टैग करते हुए इसे सुधारने की मांग की। उनके मीडिया सलाहकार ने मेटा को औपचारिक पत्र भेजकर कन्नड़ भाषा के ट्रांसलेशन फीचर को अस्थाई रूप से बंद करने की अपील की है।
मेटा के ऑटो ट्रांसलेशन की गंभीर चूक
सोशल मीडिया पर एक बड़ी गलती तब सामने आई जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एक कन्नड़ भाषा में लिखी पोस्ट को मेटा के ऑटो ट्रांसलेशन टूल ने अंग्रेजी में अनुवाद करते समय पूरी तरह से बदल डाला। यह पोस्ट प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय अभिनेत्री बी. सरोजा देवी के निधन पर संवेदना व्यक्त करने के लिए लिखा गया था। हालांकि जब इसे अंग्रेजी में अनुवादित किया गया, तो उसमें ऐसा दर्शाया गया कि मानो खुद सिद्धारमैया का निधन हो गया हो।
पोस्ट के अंग्रेजी ट्रांसलेशन में लिखा गया – "Chief Minister Siddaramaiah passed away yesterday..." यानी “मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कल निधन हो गया”। इस गलती ने सोशल मीडिया पर भ्रम और चिंता दोनों फैला दी।
मुख्यमंत्री ने मेटा को टैग कर जताई नाराजगी
सिद्धारमैया ने इस चूक पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और मेटा को सार्वजनिक रूप से टैग करते हुए इसे “गंभीर और गुमराह करने वाली गलती” बताया। उन्होंने कहा कि कन्नड़ भाषा में लिखे गए पोस्ट का गलत ऑटो ट्रांसलेशन न केवल तथ्य बिगाड़ रहा है, बल्कि यह यूजर्स को भ्रमित भी कर रहा है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि आधिकारिक और संवेदनशील संवाद में इस तरह की अनुवाद संबंधी चूक खतरनाक साबित हो सकती है। सिद्धारमैया ने मेटा से इस गलती को तुरंत सुधारने की मांग की।
मीडिया सलाहकार ने मेटा को भेजा औपचारिक पत्र
इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार केवी प्रभाकर ने 16 जुलाई को मेटा को औपचारिक रूप से ईमेल भेजा। उन्होंने ईमेल में इस घटना को गंभीर चिंता का विषय बताया और कंपनी से कन्नड़ भाषा के लिए ऑटो ट्रांसलेशन फीचर को अस्थायी रूप से बंद करने की मांग की।
प्रभाकर ने लिखा कि जब तक मेटा इस फीचर की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित नहीं करता, तब तक इसे सक्रिय रखना उचित नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की गलतियों से न केवल सोशल मीडिया पर भ्रम फैलता है, बल्कि सार्वजनिक छवि और संचार प्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।