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Defense Agreement: 80 साल पुराने रिश्तों में नई मजबूती, सऊदी और पाकिस्तान ने किया रक्षा समझौता

Defense Agreement: 80 साल पुराने रिश्तों में नई मजबूती, सऊदी और पाकिस्तान ने किया रक्षा समझौता

सऊदी अरब और पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रक्षा समझौता किया। डील के तहत किसी भी देश पर हमला, दोनों पर अटैक माना जाएगा। शहबाज शरीफ और मोहम्मद बिन सलमान की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

Defense Agreement: सऊदी अरब और परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान ने आपसी सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक बड़ी डिफेंस डील पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच दशकों से चली आ रही सुरक्षा साझेदारी को और गहरा करेगा। पाकिस्तानी सरकारी टेलीविजन ने बुधवार को इसकी पुष्टि की और कहा कि यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक शांति में दोनों की भूमिका को और अहम बनाएगा।

समझौते का उद्देश्य

यह रक्षा समझौता सिर्फ एक कागज़ी औपचारिकता नहीं है बल्कि इसका मकसद दोनों देशों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और किसी भी बाहरी खतरे के खिलाफ एकजुट होकर खड़े रहना है। समझौते में साफ कहा गया है कि किसी भी देश के खिलाफ हमला, सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों पर हमला माना जाएगा। यानी यह डील आपसी रक्षा सहयोग (mutual defense cooperation) को नई दिशा देती है।

पाकिस्तानी पीएम कार्यालय का बयान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस समझौते पर बयान जारी किया। बयान में कहा गया कि यह रक्षा समझौता द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को और गहरा करेगा। दोनों देशों ने सहमति जताई है कि किसी भी प्रकार के आक्रमण की स्थिति में वे एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे और संयुक्त प्रतिरोध करेंगे।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की यात्रा

यह ऐतिहासिक समझौता उस समय हुआ जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ रियाद की राजकीय यात्रा पर पहुंचे। उनकी यात्रा के दौरान अल-यममाह पैलेस में क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने उनका स्वागत किया। यहीं पर "रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते" (Strategic Mutual Defense Agreement) पर हस्ताक्षर किए गए।

हस्ताक्षर समारोह और संयुक्त बयान

समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि लगभग आठ दशकों से चली आ रही साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशों ने रणनीतिक रक्षा सहयोग को नए स्तर पर पहुंचाया है। यह साझेदारी भाईचारे, इस्लामी एकजुटता और साझा रणनीतिक हितों पर आधारित है।

यह समझौता केवल दो देशों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति के लिए भी अहम माना जा रहा है। इससे यह संदेश गया है कि मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में यदि किसी भी तरह का खतरा पैदा होता है तो सऊदी अरब और पाकिस्तान मिलकर उसका सामना करेंगे।

डिफेंस कोऑपरेशन का नया आयाम

दोनों देशों ने तय किया है कि इस समझौते के जरिए रक्षा सहयोग को और विकसित किया जाएगा। इसमें शामिल होगा–

  • सैन्य प्रशिक्षण (Military Training)
  • खुफिया जानकारी साझा करना (Intelligence Sharing)
  • रक्षा तकनीक और हथियारों का सहयोग
  • किसी भी आक्रमण के विरुद्ध संयुक्त कार्रवाई

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच संबंध नए नहीं हैं। लगभग आठ दशकों से दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्ते रहे हैं। पाकिस्तान को आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक मामलों में अक्सर सऊदी अरब का समर्थन मिला है। वहीं, सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान की सैन्य ताकत हमेशा एक भरोसेमंद साथी रही है।

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