बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने राजस्थान के रैवासा और सीकर में कार्यक्रमों के दौरान पाकिस्तान को चेतावनी दी और हिंदू राष्ट्र, गोमाता संरक्षण तथा राष्ट्रवाद को अपनाने की अपील की। उन्होंने 7 से 16 नवंबर तक गोमाता पदयात्रा का ऐलान किया और भक्तों से देशभक्ति एवं सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा दी।
सीकर, राजस्थान: बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने रैवासा और सीकर में अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान को चेतावनी दी और हिंदू राष्ट्र की स्थापना, गोमाता संरक्षण तथा राष्ट्रवाद अपनाने की अपील की। उन्होंने 7 से 16 नवंबर तक गोमाता पदयात्रा का ऐलान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे, जिन्होंने शास्त्री के संदेश को धार्मिक, सामाजिक और राष्ट्रभक्ति के दृष्टिकोण से अपनाया।
राजस्थान की वीरभूमि और हिंदू राष्ट्र का संकल्प
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने राजस्थान की वीरभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि यह महाराणा प्रताप की धरती है, जहां घोड़े और हाथी भी कट्टर हिंदू हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कास्टवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद को अपनाएं। शास्त्री ने कहा, 'हिंदू राष्ट्र का झंडा अगर कहीं फहराया जाएगा, तो पहला नंबर राजस्थान का ही होगा। हमें वेद और संत परंपरा पर भरोसा करना चाहिए, माथे पर तिलक लगाना चाहिए और गो-रक्षक नहीं, गो-सेवक बनना चाहिए।'
शास्त्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राजस्थान का समर्पण और वीरता ही इसे देश में विशेष बनाती है। उनके अनुसार, हिंदू समाज को धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक रहना होगा।
शास्त्री ने पाकिस्तान को दी चेतावनी
पंडित शास्त्री ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा, “तुम्हारी मिसाइलें चीन की हैं, कम चलती हैं। हमारी वाली 900 किलोमीटर तक मार करती हैं। अब छेड़ोगे तो छोड़ा नहीं जाएगा।” उन्होंने भारत की सैन्य ताकत का भी उदाहरण देते हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया और कहा कि भारतीय सेना दुश्मनों के भीतर 900 किलोमीटर तक घुसकर कार्रवाई कर सकती है।
शास्त्री के इस बयान ने न सिर्फ मंच पर मौजूद लोगों को उत्साहित किया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गया।
गोमाता के लिए राष्ट्रीय पदयात्रा का ऐलान
धीरेंद्र शास्त्री ने गोमाता को राष्ट्रमाता बनाने और हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए 7 से 16 नवंबर तक पदयात्रा निकालने की घोषणा की। उन्होंने कहा, 'भारत तभी हिंदू राष्ट्र बनेगा जब गोमाता बचेगी। हमारी संस्कृति और धर्म के लिए गाय माता का संरक्षण जरूरी है।'
शास्त्री ने युगांडा का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां कन्यादान में दहेज नहीं, बल्कि गाय दी जाती है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के पास ज्यादा गायें होती हैं, वही सबसे समृद्ध माना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज को भी यही परंपरा अपनाने की सलाह दी।
धार्मिक और सामाजिक संदेश
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भाषण में धर्म और देशभक्ति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को केवल धार्मिक परंपराओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसे राष्ट्र निर्माण और सामाजिक उत्थान के कार्यों में भी सक्रिय होना होगा।
उन्होंने गो-सेवा और गाय संरक्षण को हिंदू राष्ट्र की पहचान बताते हुए कहा, “जब तक हमारी मातृभूमि की संस्कृति और धार्मिक परंपराएं सुरक्षित नहीं होंगी, तब तक भारत पूर्ण रूप से हिंदू राष्ट्र नहीं बन सकता। इसी उद्देश्य के लिए हम पदयात्रा निकाल रहे हैं।”
कार्यक्रम में भक्तों की भारी भीड़
रैवासा धाम में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के स्वागत के लिए भारी संख्या में भक्त उपस्थित हुए। मंच तक पहुंचने के लिए जगह-जगह धक्का-मुक्की भी हुई, और इसी दौरान एक महिला कॉन्स्टेबल गिर गई। शास्त्री विशेष विमान से सीकर पहुंचे और उनका भव्य स्वागत किया गया।
भक्तों ने शास्त्री के संदेशों को राष्ट्रभक्ति और धार्मिक अनुशासन के रूप में ग्रहण किया। उनके इस कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय बना दिया।