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दिल्ली में SIR अभियान शुरू, 2002 की वोटर लिस्ट के आधार पर वोटर सत्यापन होगा अनिवार्य

दिल्ली में SIR अभियान शुरू, 2002 की वोटर लिस्ट के आधार पर वोटर सत्यापन होगा अनिवार्य

दिल्ली में SIR प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2002 की वोटर लिस्ट को आधार मानकर वोटरों का सत्यापन किया जाएगा। जिनका नाम सूची में नहीं है, उन्हें पहचान प्रमाण जमा करना होगा। इससे फर्जी वोटिंग पर काबू मिलेगा।

Voter List: दिल्ली में अब बिहार की तरह SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह कदम चुनाव आयोग द्वारा देशभर में फर्जी वोटरों को पहचानने और सूची से हटाने के लिए उठाया जा रहा है। दिल्ली चुनाव आयोग ने बताया कि इस वर्ष 2002 की वोटर लिस्ट को बेस ईयर के तौर पर लिया गया है। जिन वोटर्स का नाम 2002 की लिस्ट में नहीं है, उन्हें गणना फॉर्म भरते समय पहचान पत्र जमा करना होगा। वहीं, जिनका नाम पहले से लिस्ट में दर्ज है, उन्हें किसी दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी।

बिहार में SIR और दिल्ली पर असर

बिहार में SIR प्रक्रिया जून 2025 से शुरू हुई थी और इसे लेकर राजनीतिक बहस भी चल रही है। विपक्षी दलों ने वोटरों के नाम लिस्ट से हटाने पर आरोप लगाए और कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल की गईं। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रहे SIR के लिए कुछ अहम निर्देश दिए हैं, जो दिल्ली समेत पूरे देश में लागू होंगे। इनमें आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करना और प्रक्रिया में किसी भी गड़बड़ी मिलने पर रिवीजन को रद्द करने की चेतावनी शामिल है।

2002 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया गया

दिल्ली में इस प्रक्रिया के लिए 2002 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया गया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि यह राष्ट्रीय स्तर का अभियान है, जिसका उद्देश्य मृत, डुप्लीकेट या अवैध प्रवासियों के नाम वोटर लिस्ट से हटाना है। दिल्ली में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) घर-घर जाकर गणना फॉर्म बांटेंगे और लोगों को अपनी आपत्ति दर्ज कराने का अवसर मिलेगा।

वोटर फॉर्म और दस्तावेज़ की जरूरत

जिन वोटर्स के नाम 2002 और 2025 दोनों लिस्ट में मौजूद हैं, उन्हें केवल गणना फॉर्म भरना होगा। किसी भी दस्तावेज़ की जरूरत नहीं होगी। देशभर में 50 करोड़ से अधिक वोटर्स इस श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा, 1 जुलाई 1987 से पहले जन्म लेने वाले वोटर्स को भी दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।

जिन लोगों का नाम 2002 की लिस्ट में नहीं है, उन्हें पहचान प्रमाण और एड्रेस प्रूफ जैसे दस्तावेज़ जमा करने होंगे। अगर वोटर का नाम नहीं है लेकिन माता-पिता का नाम लिस्ट में है, तो उन्हें गणना फॉर्म के साथ ID प्रूफ और माता-पिता के नाम का प्रमाण पेश करना होगा।

कौन-कौन से दस्तावेज़ मान्य होंगे

दिल्ली चुनाव आयोग ने बताया कि सत्यापन के लिए कुल 12 दस्तावेज़ स्वीकार्य होंगे। इसमें 11 दस्तावेज़ पहले से थे और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार कार्ड 12वें दस्तावेज़ के रूप में शामिल किया गया।

पहचान और एड्रेस प्रूफ के दस्तावेज़:

  • आधार कार्ड
  • वोटर आईडी
  • पासपोर्ट
  • ड्राइविंग लाइसेंस
  • PAN कार्ड
  • निवास प्रमाण पत्र
  • राशन कार्ड
  • बिजली/पानी/गैस बिल
  • बैंक पासबुक
  • मनरेगा कार्ड
  • 2002 की वोटर लिस्ट
  • नागरिकता या सिटिजनशिप साबित करने के दस्तावेज़:
  • जन्म प्रमाण पत्र
  • स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट
  • 2002 की वोटर लिस्ट में माता-पिता का नाम

ध्यान रहे कि आधार कार्ड को सिर्फ पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाएगा, यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

Delhi में तैयारी और ट्रेनिंग

दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने SIR प्रक्रिया के लिए अधिकारियों और बूथ लेवल कर्मचारियों की ट्रेनिंग शुरू कर दी है। मतदान केंद्रों के पुनर्गठन और रिकॉर्ड सुधार की प्रक्रिया भी जारी है। SIR अभियान के तहत बूथ लेवल ऑफिसर्स घर-घर जाकर गणना फॉर्म वितरित करेंगे और लोगों को अपना डेटा अपडेट करने का मौका दिया जाएगा।

SIR की प्रक्रिया में सबसे पहले ड्राफ्ट लिस्ट पब्लिश की जाएगी। इसके बाद नागरिकों को आपत्ति दर्ज कराने और अपनी जानकारी सुधारने का समय मिलेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी वैध वोटर सूची से अनजाने में हट न जाए।

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