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ईरान की 'मल्टी-वॉरहेड' मिसाइल से टूटा इज़राइल का आयरन डोम, जानिए कौन सी हाईटेक तकनीक बनी विनाश का कारण

ईरान की 'मल्टी-वॉरहेड' मिसाइल से टूटा इज़राइल का आयरन डोम, जानिए कौन सी हाईटेक तकनीक बनी विनाश का कारण

ईरान की हाईटेक मल्टी-वॉरहेड मिसाइल ने इज़राइल की सुरक्षा प्रणाली को चकमा देकर गंभीर तबाही मचाई।

'मल्टी-वॉरहेड' मिसाइल: 19 जून 2025 की सुबह इतिहास में शायद एक टेक्नोलॉजिकल टर्निंग पॉइंट के रूप में दर्ज हो जाएगी, जब ईरान ने इज़राइल पर एक ऐसे मिसाइल अटैक को अंजाम दिया जिसने न केवल मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया, बल्कि दुनिया की सबसे ताकतवर वायु सुरक्षा प्रणालियों में से एक – आयरन डोम – को चुनौती दे दी। इस हमले में जिस तकनीक का उपयोग किया गया, उसने सैन्य टेक्नोलॉजी के मौजूदा समीकरणों को हिला कर रख दिया है।

ईरान की ओर से दागी गई यह 'मिस्ट्री मिसाइल' न केवल इज़राइल के साउदर्न सिटी बेर्शेबा के सोरोका मेडिकल सेंटर को भेदने में कामयाब रही, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी इन्फ्रास्ट्रक्चर को गंभीर नुकसान पहुंचाया। इस मिसाइल हमले ने दुनियाभर के डिफेंस टेक्नोलॉजिस्ट्स को हैरान कर दिया है।

किस टेक्नोलॉजी से हुआ हमला?

ईरान द्वारा इस्तेमाल की गई मिसाइल को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह एक Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle (MIRV) प्रकार की मिसाइल थी।

MIRV तकनीक में एक ही मिसाइल से कई वॉरहेड छोड़े जा सकते हैं, जो अलग-अलग लक्ष्यों पर स्वतंत्र रूप से निशाना साध सकते हैं। इससे दुश्मन की डिफेंस प्रणाली भ्रमित हो जाती है, क्योंकि यह तय करना कठिन हो जाता है कि असली हमला किस दिशा से होगा।

इज़राइल की वायु सुरक्षा प्रणाली 'Iron Dome' आमतौर पर एक बार में एक ही मिसाइल को इंटरसेप्ट करती है। लेकिन MIRV के सामने यह प्रणाली असहाय नजर आई। यही कारण रहा कि अस्पताल, गगनचुंबी इमारतें और कई व्यावसायिक स्थल सीधे तौर पर चपेट में आ गए।

तकनीकी रूप से कितना खतरनाक है MIRV सिस्टम?

MIRV एक सिंगल मिसाइल को 'mini-missile launcher' बना देता है। इस तकनीक में एक रॉकेट के जरिए ऊपर ले जाई गई वॉरहेड्स को पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करते समय अलग-अलग दिशाओं में छोड़ा जा सकता है। इससे दुश्मन के लिए यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि कौन सा वॉरहेड किस दिशा में जाएगा।

इसके मुख्य तकनीकी पहलू हैं:

  • ट्रैकिंग में कठिनाई: सभी वॉरहेड्स अलग-अलग ट्रैजेक्टरी पर चलते हैं।
  • डिफेंस सिस्टम को ओवरलोड करना: एक साथ कई टारगेट आने से सिस्टम फेल हो सकता है।
  • सटीकता: हर वॉरहेड को जीपीएस/इंफ्रारेड गाइडेंस से लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है।
  • कम लागत में अधिक नुकसान: एक ही मिसाइल से कई हमले करना संभव होता है।

इज़राइल का जवाबी हमला और बढ़ता साइबर-वार

हमले के जवाब में, इज़राइल ने उसी दिन ईरान के अराक हेवी वॉटर रिएक्टर और नटांज़ यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी पर एयरस्ट्राइक की। हालांकि ईरान ने दावा किया कि इन ठिकानों को पहले ही खाली करा लिया गया था और किसी भी प्रकार की रेडिएशन लीक नहीं हुई।

सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह संघर्ष अब पारंपरिक बमबारी तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले दिनों में साइबर युद्ध, एआई-ड्रिवन ड्रोन अटैक्स और हाइपरसोनिक वेपनरी को लेकर भी बड़ी गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।

आयरन डोम कैसे हुआ फेल?

इज़राइल का आयरन डोम सिस्टम, जो अब तक हजारों रॉकेट्स को हवा में ही नष्ट कर चुका है, इस बार चकमा खा गया। MIRV मिसाइल की खास बात ये है कि उसके कई वॉरहेड अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग समय पर रीएंट्री करते हैं, जिससे डिफेंस सिस्टम को उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आयरन डोम को एक साथ 10 से ज्यादा अलग-अलग दिशाओं से आने वाले वॉरहेड्स को पहचानना और नष्ट करना फिलहाल मुश्किल है। यही वजह रही कि इस हमले में कई टारगेट सफलतापूर्वक भेदे गए।

टेक्नोलॉजी का खतरनाक चेहरा

इस हमले ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि टेक्नोलॉजी अब केवल सुरक्षा का नहीं, बल्कि विध्वंस का भी सबसे बड़ा हथियार बन चुकी है। जिस तरह से स्मार्ट वॉरहेड्स, एआई गाइडेंस और ऑटोमैटेड टार्गेटिंग का उपयोग इस युद्ध में हो रहा है, वह भविष्य में और भी अधिक घातक युद्धों का संकेत देता है।

आने वाला समय: हाईटेक रणनीति या टोटल वॉर?

ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष में अब तक जितनी भी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल हुई है, वो आगे चलकर अन्य देशों के लिए भी उदाहरण बन सकती है। आने वाले समय में:

  • AI-बेस्ड रॉकेट लॉन्च सिस्टम्स
  • हाइपरसोनिक गाइडेड मिसाइल्स
  • साइबर जामिंग सिस्टम
  • स्पेस-बेस्ड डिटेक्शन रडार

इन सभी तकनीकों की भूमिका अहम होने वाली है।

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