एल्विश यादव केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने घंटाघर कोतवाली प्रभारी धर्मपाल को निलंबित कर दिया। सौरव गुप्ता ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें और उनके साथी को सुरक्षा नहीं दी गई। इस कार्रवाई से मामले ने नया मोड़ ले लिया है।
UP News: गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर ने घंटाघर कोतवाली प्रभारी धर्मपाल को निलंबित कर दिया है। मामला उस समय गंभीर हुआ जब पीपल फॉर एनिमल से जुड़े सौरव गुप्ता और गौरव गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और नोएडा जिला अदालत के आदेश के बावजूद उन्हें गवाह सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई। दिसंबर 2023 में उजागर हुए इस स्नेक वेनम केस में एल्विश यादव की गिरफ्तारी भी हुई थी। आरोप है कि जनवरी 2025 में उनकी सुरक्षा हटा दी गई, जिससे प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद भी सुरक्षा नहीं मिली
गाजियाबाद में एल्विश यादव केस के गवाह सौरव और गौरव गुप्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सुप्रीम कोर्ट आदेश का पालन नहीं होने पर प्रशासन ने कार्रवाई की। सोमवार, 8 सितंबर को नंदग्राम थाने के पूर्व प्रभारी धर्मपाल को सस्पेंड कर दिया गया। इससे पहले मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाइयों को सुरक्षा देने का निर्देश दिया था।
सौरव गुप्ता ने बताया कि उनके और उनके भाई के लिए सुरक्षा तैनात नहीं की गई, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस उल्लंघन की जानकारी दी। कोर्ट ने सुनवाई के तुरंत पहले कार्रवाई की और गाजियाबाद पुलिस ने दोनों भाइयों को दो-दो गनर उपलब्ध कराए।
धर्मपाल ने आदेश का पालन नहीं किया
सौरव गुप्ता का कहना है कि तत्कालीन कोतवाल धर्मपाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। गवाह सुरक्षा की कमी ने मामले की गंभीरता को बढ़ा दिया। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने धर्मपाल पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया।
इस फैसले के साथ ही प्रशासन ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त गनर तैनात किए, ताकि एल्विश यादव केस के गवाह सुरक्षित रह सकें और न्याय प्रक्रिया प्रभावित न हो।
एल्विश यादव केस
दिसंबर 2023 में पीपल फॉर एनिमल से जुड़े सौरव और गौरव गुप्ता ने एल्विश यादव के खिलाफ स्नेक वेनम केस उजागर किया था। इस मामले में एल्विश यादव की गिरफ्तारी हुई थी और गवाहों की सुरक्षा के आदेश सुप्रीम कोर्ट और नोएडा जिला अदालत द्वारा जारी किए गए थे।
गाजियाबाद में प्रशासन की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि कोर्ट आदेश के पालन में चूक की स्थिति गंभीर हो सकती है, और इसे समय पर सुधारा जाना आवश्यक है।