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भारत को झटका! चीन ने रेयर अर्थ उपकरणों पर लगाया एक्सपोर्ट कंट्रोल

भारत को झटका! चीन ने रेयर अर्थ उपकरणों पर लगाया एक्सपोर्ट कंट्रोल

भारत की ₹7,300 करोड़ की रेयर अर्थ मिनरल्स उत्पादन योजना चीन के नए निर्यात प्रतिबंधों से मुश्किल में पड़ गई है। चीन का रेयर अर्थ उत्पादन में 61% और प्रोसेसिंग में 92% नियंत्रण है। इन प्रतिबंधों से भारत की तकनीक और उपकरणों तक पहुंच बाधित हो सकती है, जिससे आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा झटका लग सकता है।

Rare earth: भारत सरकार की ₹7,300 करोड़ की योजना, जो देश में रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लाई गई है, चीन के नए निर्यात नियंत्रणों से प्रभावित हो सकती है। चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ उत्पादन और प्रोसेसिंग उपकरणों पर निर्यात प्रतिबंध लगाए हैं। चूंकि चीन वैश्विक स्तर पर इन खनिजों के उत्पादन में 61% और प्रोसेसिंग में 92% हिस्सेदारी रखता है, भारत को अब वैकल्पिक स्रोतों से महंगे उपकरण खरीदने पड़ सकते हैं, जिससे परियोजना की लागत और व्यवहार्यता दोनों पर असर पड़ सकता है।

चीन की पकड़ सबसे मजबूत

रेयर अर्थ मटीरियल्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, विंड टरबाइन और डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में किया जाता है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार, दुनिया में रेयर अर्थ के उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी करीब 61% है, जबकि प्रोसेसिंग में उसका दबदबा 92% तक है। इसका मतलब है कि दुनिया के अधिकांश देश, जिनमें भारत भी शामिल है, इन खनिजों की सप्लाई और प्रोसेसिंग के लिए चीन पर निर्भर हैं।

भारत की योजना का उद्देश्य यही था कि चीन पर निर्भरता कम की जाए और स्थानीय स्तर पर इन खनिजों का उत्पादन बढ़ाया जाए। लेकिन अब चीन के नए निर्यात नियमों ने इस दिशा में भारत की कोशिशों को मुश्किल बना दिया है।

चीन के नए निर्यात नियम बने चुनौती

हाल ही में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें रेयर अर्थ मटीरियल्स के उत्पादन और प्रोसेसिंग में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों, कच्चे माल और सहायक सामग्रियों पर निर्यात नियंत्रण लागू कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब इन उपकरणों को निर्यात करने से पहले कंपनियों को चीन सरकार से विशेष लाइसेंस लेना होगा।

सिर्फ इतना ही नहीं, कंपनियों को यह भी बताना होगा कि क्या उपकरणों का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के साथ-साथ सैन्य गतिविधियों में भी किया जा सकता है। इस नियम से भारत जैसे देशों के लिए इन उपकरणों को हासिल करना और भी मुश्किल हो जाएगा।

भारत की योजना पर पड़ रहा असर

भारत सरकार ने हाल ही में ₹7,300 करोड़ की योजना तैयार की है, ताकि देश में रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स का स्थानीय उत्पादन शुरू किया जा सके। इस योजना को Expenditure Finance Committee (EFC) से मंजूरी भी मिल चुकी है। इसमें से ₹6,500 करोड़ कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत खर्च के लिए रखे गए हैं, जबकि ₹800 करोड़ ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर के लिए निर्धारित किए गए हैं।

यह योजना उन भारतीय और विदेशी कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए लाई गई है, जो देश में रेयर अर्थ मैग्नेट्स की प्रोसेसिंग यूनिट्स और सप्लाई चेन विकसित करना चाहती हैं। लेकिन चीन के नए नियमों के बाद इस परियोजना की दिशा और गति दोनों पर असर पड़ सकता है।

उपकरणों की कमी बनी सबसे बड़ी दिक्कत

भारत में रेयर अर्थ मिनरल्स के प्रोसेसिंग के लिए जरूरी तकनीक और मशीनें अभी चीन से ही आती हैं। जर्मनी और जापान जैसे देशों के पास भी ऐसी तकनीक है, लेकिन उनकी कीमत बहुत ज्यादा है। अगर भारत को इन देशों से उपकरण आयात करने पड़ते हैं, तो परियोजना की लागत कई गुना बढ़ जाएगी।

एक उद्योग विशेषज्ञ के मुताबिक, भारत लंबे समय से इस दिशा में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन तकनीकी और वित्तीय दोनों ही मोर्चों पर चुनौतियां बनी हुई हैं। चीन की सख्त पॉलिसी के चलते अब इन परियोजनाओं की आर्थिक व्यवहार्यता पर सवाल उठने लगे हैं।

पहले भी लगा था चीन का प्रतिबंध

यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह का कदम उठाया है। इस साल अप्रैल में भी चीन ने मध्यम और भारी रेयर अर्थ से जुड़े उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंध लगाए थे। तब उसने यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर उठाया था।

कंपनियों को उस समय यह प्रमाणित करना पड़ता था कि निर्यात किए जाने वाले उपकरणों या सामग्रियों का इस्तेमाल किसी भी तरह के हथियार या सैन्य प्रणाली में नहीं किया जाएगा। अब चीन ने इस नियम को और सख्त बना दिया है, जिससे अन्य देशों के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

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