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एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार: रोहित पवार ने जताई आपत्ति

एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार: रोहित पवार ने जताई आपत्ति

एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। इस ऐलान की घोषणा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। 

नई दिल्ली: एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। इस ऐलान की घोषणा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की, जिसके बाद राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। 

उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन RSS और बीजेपी के बेहद करीबी माने जाते हैं और उन्हें महाराष्ट्र में एक खास रणनीति के तहत नियुक्त किया गया था। पवार ने कहा कि हम उन्हें बधाई देते हैं, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठता है कि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का क्या हुआ।

रोहित पवार का बयान: RSS और बीजेपी से करीबी संबंध

रोहित पवार ने कहा कि राधाकृष्णन आरएसएस और बीजेपी के बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें महाराष्ट्र में एक खास राजनीतिक रणनीति के तहत लाया गया था। पवार ने कहा, हम उन्हें बधाई देते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का क्या हुआ। उनकी भूमिका को नजरअंदाज किया जा रहा है।

पवार ने यह भी कहा कि राधाकृष्णन को महाराष्ट्र में इसलिए नियुक्त किया गया था ताकि वहां की उभरती असंतोष की लहर को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने जगदीप धनखड़ और विपक्ष की भूमिका का भी उल्लेख किया। पवार ने कहा, “जगदीप धनखड़ ने विरोधी प्रस्ताव को सरकार को बिना पूछे स्वीकार किया था। 

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सभी के होते हैं, लेकिन सत्ताधारी इसे अपने नियंत्रण में मानते हैं। नए सीपी राधाकृष्णन से बीजेपी को उम्मीद है कि वे उनका अनुसरण करेंगे। परंतु जब धनखड़ साहब आएंगे, तब उनका रुख देखने वाली बात होगी।”

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल

रोहित पवार ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है, लेकिन आज यह बीजेपी का विस्तारित विभाग बनकर काम कर रहा है। पवार ने आरोप लगाया कि आयोग साक्ष्य मांगने पर स्पष्ट जवाब नहीं देता, बल्कि भाषा के जटिल प्रयोग से जनता को भ्रमित करता है।

उन्होंने कहा, अगर आपके पास प्रमाण हैं तो उन्हें साफ-साफ प्रस्तुत कीजिए। यही कारण है कि चुनाव आयोग को राष्ट्रीय भाषा में नहीं, बल्कि तकनीकी भाषा में स्पष्ट उत्तर देने चाहिए।

विपक्ष और राहुल गांधी का समर्थन

रोहित पवार ने कहा कि राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता चुनाव आयोग की धमकियों से डरते नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज आम आदमी भी डरता नहीं क्योंकि जनता समझ चुकी है कि चुनाव आयोग के कामकाज में बीजेपी का बड़ा हस्तक्षेप है। पवार ने लोकतांत्रिक संस्थाओं के महत्व पर बल देते हुए कहा कि संविधान की आत्मा के खिलाफ है अगर विपक्ष की आवाज़ को दबाया जाए। 

उन्होंने लोकतंत्र और संस्थाओं के सम्मान पर जोर देते हुए कहा कि विपक्ष और आम नागरिक दोनों को स्वतंत्र रूप से अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार होना चाहिए।

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