केंद्र सरकार ईपीएफओ नियमों में बदलाव कर सदस्यों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। प्रस्तावित प्लान के तहत मेंबर्स भविष्य में अपना पूरा पीएफ बैलेंस कभी भी निकाल सकेंगे। फिलहाल शादी, घर और शिक्षा जैसे कारणों पर सीमित विड्रॉल की अनुमति है। बदलाव लागू होने पर करोड़ों लोगों को बिना कर्ज लिए फंड तक आसान पहुंच मिलेगी।
EPFO: केंद्र सरकार अगले एक साल में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नियमों में बड़ी ढील देने की तैयारी कर रही है। मौजूदा समय में सदस्य पूरा पैसा केवल रिटायरमेंट उम्र (58 वर्ष) या दो महीने बेरोजगारी पर ही निकाल सकते हैं। लेकिन प्रस्तावित बदलावों के बाद सदस्य घर, शादी और शिक्षा जैसे कामों के लिए कभी भी पूरा बैलेंस निकाल सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि यह सदस्यों का पैसा है और उन्हें अपनी ज़रूरत के अनुसार फंड इस्तेमाल करने की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। हालांकि टाइमलाइन और डिटेल्स अभी तय नहीं की गई हैं।
मौजूदा नियम क्या कहते हैं
फिलहाल ईपीएफओ में जमा रकम को पूरी तरह निकालने के लिए दो स्थितियां तय की गई हैं। पहली, जब कोई सदस्य 58 साल की उम्र पूरी करके रिटायर हो जाए। दूसरी, जब कोई व्यक्ति दो महीने से ज्यादा समय तक बेरोजगार रहे। इन दोनों स्थितियों के अलावा संपूर्ण बैलेंस निकालने की अनुमति नहीं है।
इसके अलावा शिक्षा, शादी और घर बनाने जैसी जरूरतों के लिए भी निकासी की सीमाएं तय हैं। उदाहरण के तौर पर, शादी या बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्मचारी अपने अंशदान और उस पर मिले ब्याज का केवल 50 फीसदी तक ही निकाल सकता है। घर खरीदने या बनाने के लिए 90 फीसदी राशि निकाली जा सकती है, लेकिन इसके लिए कम से कम तीन साल की नौकरी पूरी होना अनिवार्य है।
शादी और शिक्षा पर कितनी पाबंदियां
ईपीएफ अकाउंट से भाई, बहन या बच्चों की शादी के लिए पैसा निकालना हो तो कम से कम सात साल की नौकरी पूरी करनी पड़ती है। इसके बाद ही कर्मचारी अपने योगदान और उस पर मिले ब्याज का आधा हिस्सा निकाल सकता है।
इसी तरह बच्चों की पढ़ाई के लिए भी यही शर्त लागू है। मैट्रिक के बाद की शिक्षा के खर्च के लिए 50 फीसदी राशि मिल सकती है, लेकिन यहां भी सात साल की सर्विस जरूरी है।
घर खरीदने के लिए नियम
अगर कोई सदस्य घर खरीदना चाहता है तो उसे थोड़ी राहत जरूर है। प्रॉपर्टी सदस्य, उसके जीवनसाथी या फिर संयुक्त नाम पर होनी चाहिए। ऐसे मामलों में कर्मचारी 90 फीसदी राशि तक निकाल सकता है। हालांकि इसके लिए कम से कम तीन साल की सेवा का अनुभव होना जरूरी है।
हर दस साल में निकासी का प्रस्ताव
रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इस दिशा में भी सोच रही है कि हर दस साल में मेंबर्स को अपनी पूरी राशि या उसका कुछ हिस्सा निकालने की आजादी मिले। इससे सदस्यों को अपने फंड पर ज्यादा नियंत्रण मिल सकेगा और वे अपनी जरूरत के अनुसार इसका इस्तेमाल कर पाएंगे।
सरकार की मंशा क्या है
मीडिया रिपोर्ट्स में संगठन के अधिकारियों ने बताया कि यह पैसा पूरी तरह मेंबर्स का है और उन्हें इसका इस्तेमाल करने की पूरी आजादी होनी चाहिए। अधिकारियों ने साफ किया कि वे किसी तरह की पाबंदी नहीं रखना चाहते, बल्कि लचीले नियम बनाना चाहते हैं।
मौजूदा दिक्कतें
इस समय ईपीएफ निकासी को लेकर कई तरह की दिक्कतें सामने आती हैं। एक ओर तो न्यूनतम सेवा अवधि और निकासी की सीमा जैसी पाबंदियां हैं, वहीं दूसरी ओर हर प्रक्रिया के लिए भारी-भरकम डॉक्यूमेंटेशन करना पड़ता है। निचले और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए यह परेशानी का कारण बन जाता है। कई बार उन्हें तुरंत पैसों की जरूरत होती है, लेकिन नियमों की वजह से वे अपना पैसा समय पर नहीं निकाल पाते।