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गाजा में हिंसा के बाद शांति की पहल, अमेरिका समर्थित 20 सूत्रीय प्रस्तावों के आधार पर युद्धविराम लागू

गाजा में हिंसा के बाद शांति की पहल, अमेरिका समर्थित 20 सूत्रीय प्रस्तावों के आधार पर युद्धविराम लागू

गाजा में दो साल से जारी हिंसा शुक्रवार दोपहर से थम गई, जब अमेरिका समर्थित युद्धविराम लागू हुआ। इजरायली सेना ने वापसी शुरू की और बंधकों की रिहाई पर दोनों पक्षों में सहमति बनी। फिलिस्तीनियों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही।

Gaza Ceasefire: गाजा में दो साल से जारी हिंसा शुक्रवार दोपहर से थम गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किए गए 20 सूत्रीय प्रस्तावों के आधार पर गाजा में युद्धविराम लागू हो गया। इजरायल रक्षा बलों (IDF) ने इस बात की पुष्टि की है और कहा है कि उनके सैनिक सहमति वाले स्थानों पर लौटने लगे हैं। यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब शुक्रवार सुबह उत्तरी गाजा में भारी गोलाबारी की खबरें आ रही थीं।

गाजा से इजरायली सेना की वापसी

7 अक्तूबर 2023 से इजरायल और हमास के बीच संघर्ष जारी था। इस हिंसा ने गाजा क्षेत्र में मानव संकट को गहरा दिया और अस्थिरता बढ़ाई। युद्धविराम के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यह शांति की दिशा में सकारात्मक कदम होगा। इजरायली सेना ने कहा कि वे गाजा से अपने सैनिक लौटाना शुरू कर चुके हैं, लेकिन युद्धविराम की शर्तों और कार्यान्वयन के विवरण अभी स्पष्ट नहीं हैं।

युद्धविराम के पहले भी जारी रही बमबारी

युद्धविराम शुक्रवार दोपहर से लागू होने के बाद भी, इससे पहले इजरायली सेना ने गाजा में हमले जारी रखे। फिलिस्तीनियों ने उत्तरी गाजा में होने वाली गोलाबारी के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। कई रिपोर्टों में कहा गया कि क्षेत्र में भारी बमबारी और हवाई हमले हो रहे थे, जिससे तनाव और बढ़ सकता था। इस संघर्ष से हजारों लोग प्रभावित हुए और नागरिकों को जानमाल का भारी नुकसान हुआ।

बंधकों और कैदियों की रिहाई पर सहमति

युद्धविराम के लागू होने के साथ ही दोनों पक्षों ने बंधकों और कैदियों की परस्पर रिहाई पर सहमति बनाई। इजरायली सेना ने कहा कि वे युद्धविराम के सभी पहलुओं का पालन करेंगे और उम्मीद जताई कि इससे स्थिति शांत होगी। हालांकि फिलहाल गाजा क्षेत्र में गोलाबारी और हिंसा की घटनाएं जारी हैं, जिससे युद्धविराम के असर को लेकर संशय बना हुआ है।

फिलिस्तीनी प्रतिक्रिया

फिलिस्तीनी नागरिकों और स्थानीय समूहों के बीच इस समझौते को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कई लोग इसे अस्थायी समझकर इजरायल द्वारा धोखा देने की कोशिश मान रहे हैं। वहीं, कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक कदम के रूप में देखा और आशा जताई कि इससे स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा और राहत में सुधार होगा।

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