इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया। नागरिक प्रभावित हुए। लेबनानी सरकार ने राहत कार्य शुरू किया। गाजा में शांति के बावजूद लेबनान में तनाव बढ़ा, क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ा।
World News: गाजा में शांति के बाद इजरायल ने एक बार फिर अपने सैन्य अभियान को तेज कर दिया है। इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के कई शहरों पर हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए घातक हवाई हमले किए हैं। ये हमले उस समय हुए हैं जब हिजबुल्लाह ने लेबनान सरकार से इजरायल के साथ बातचीत नहीं करने का आग्रह किया था। इजरायली अधिकारियों ने हमले से पहले इन क्षेत्रों के निवासियों को चेतावनी दी थी कि वे सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।
हिजबुल्लाह को बनाया गया निशाना
इजरायल के अधिकारी अविचाय अद्राई ने तय किया कि सीमा के पास स्थित तैयबा, तटीय शहर तायरे के पूर्व में स्थित तायर देब्बा और ऐता अल-जबल को मुख्य रूप से निशाना बनाया जाएगा। इजरायली अधिकारियों ने कहा कि इन क्षेत्रों में बने भवनों का उपयोग हिजबुल्लाह के सैन्य ठिकानों और संचालन केंद्रों के लिए किया जाता है। इजरायली सेना ने स्पष्ट किया कि हवाई हमलों का उद्देश्य केवल हिजबुल्लाह के लड़ाकों और उनकी सैन्य बुनियादी संरचना को नुकसान पहुंचाना था।

नागरिकों को भी नुकसान
हालांकि लेबनानी सरकार का दावा है कि इन हमलों में नागरिक भी प्रभावित हुए हैं और कई सामान्य इमारतें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं जिनका हिजबुल्लाह से कोई संबंध नहीं था। लेबनानी अधिकारियों ने कहा कि इजरायल की कार्रवाई ने स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। हवाई हमलों से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों को तत्काल राहत और सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए सरकार प्रयासरत है।
लेबनान के राष्ट्रपति का बयान
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने कहा कि इजरायल की सैन्य गतिविधियों से देश में तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने 5 पहाड़ी चोटियों पर इजरायल की सैन्य उपस्थिति की आलोचना करते हुए कहा कि यह क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह तनाव को कम करने और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए इजरायल के साथ बातचीत करने को तैयार हैं।
गाजा में शांति जे साथ लेबनान में बढ़ा तनाव
इसी बीच, गाजा में इजरायल और हमास के बीच शांति समझौता जारी है। गाजा की स्थिति स्थिर है, लेकिन लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमले ने क्षेत्र में नई अस्थिरता पैदा कर दी है। विश्लेषकों का कहना है कि इजरायल इस कदम से हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत को कमजोर करना चाहता है और अपने सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है।

हिजबुल्लाह का इतिहास
हिजबुल्लाह की स्थापना 1982 में हुई थी। यह संगठन ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की मदद से लेबनान में बना था। इसका मूल उद्देश्य ईरानी इस्लामी क्रांति को फैलाना और 1982 में लेबनान पर हमला करने वाली इजरायली सेना को जवाब देना था। आज हिजबुल्लाह न केवल लेबनान की सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट में एक बड़ी मिलिट्री ताकत भी बन चुका है। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ-साथ सऊदी अरब और कई अरब देशों ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
हिजबुल्लाह की राजनीतिक
हिजबुल्लाह केवल सैन्य संगठन नहीं है, बल्कि यह लेबनान की राजनीतिक स्थिति में भी प्रभावशाली है। संगठन शिया समुदाय के व्यापक समर्थन पर निर्भर करता है और ईरानी विचारधारा को साझा करता है। इसके पास अत्याधुनिक हथियार और प्रशिक्षित फौज है, जो मिडिल ईस्ट में इसे गंभीर सैन्य शक्ति बनाती है।
इजरायली अधिकारियों ने बार-बार निवासियों को हमले वाले क्षेत्रों से दूर रहने की चेतावनी दी। स्थानीय प्रशासन ने भी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राहत शिविर और सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था की है। लेबनानी नागरिकों को आग और विस्फोट से बचने के लिए तत्काल स्थानांतरित किया जा रहा है।













