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सुप्रीम कोर्ट का बिहार चुनाव से पहले बड़ा फैसला, नामांकन पत्र में सजा न बताने वाले होंगे अयोग्य

सुप्रीम कोर्ट का बिहार चुनाव से पहले बड़ा फैसला, नामांकन पत्र में सजा न बताने वाले होंगे अयोग्य

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार चुनाव से पहले आदेश दिया कि नामांकन पत्र में पिछली सजा का खुलासा अनिवार्य है। नियम का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवार अयोग्य माने जाएंगे। यह मतदाता अधिकार और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

New Delhi: बिहार चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने नामांकन पत्र से जुड़ा एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी उम्मीदवार ने अपने नामांकन पत्र में पिछली सजा का खुलासा नहीं किया, तो वह अयोग्य माना जाएगा। यह फैसला मतदाताओं के अधिकार और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है।

पूनम के मामले पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर शामिल थे, ने पूर्व पार्षद पूनम की अपील पर यह आदेश सुनाया। पूनम को नामांकन पत्र में पिछली सजा का खुलासा न करने के कारण उनके नगर पार्षद पद से हटा दिया गया था। अदालत ने कहा कि इस तरह की जानकारी छुपाना मतदाता के स्वतंत्र मताधिकार में बाधा उत्पन्न करता है।

चेक बाउंस मामले की पृष्ठभूमि

पूर्व पार्षद पूनम मध्य प्रदेश के भीकनगांव नगर परिषद की निर्वाचित सदस्य थीं। उन्हें एक चेक बाउंस से जुड़े मामले में दोषी ठहराया गया था। अदालत ने उन्हें एक साल की जेल की सजा सुनाई थी और संबंधित व्यक्ति को मुआवजा देने का निर्देश भी दिया गया था। इसके बावजूद उन्होंने अपने नामांकन पत्र में इस सजा की जानकारी नहीं दी, जो चुनाव प्रक्रिया के लिए गंभीर उल्लंघन माना गया।

सजा का खुलासा क्यों जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी उम्मीदवार द्वारा पिछली दोषसिद्धि का खुलासा न करना मतदाता को महत्वपूर्ण जानकारी से वंचित करना है। जब मतदाता को यह जानकारी नहीं मिलती, तो वे अपने मताधिकार का स्वतंत्र और informed प्रयोग नहीं कर पाते। अदालत ने कहा कि यह चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और न्यायसंगत निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

कानूनी आधार

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि 1881 के अधिनियम की धारा 138 के तहत दोषसिद्धि का खुलासा अनिवार्य है। इसके अलावा 1994 के नियम 24-ए(1) में भी इस जानकारी को नामांकन पत्र में शामिल करना जरूरी माना गया है। अदालत ने कहा कि पूनम ने इन अनिवार्य नियमों का पालन नहीं किया, जिससे उनके नामांकन पत्र में महत्वपूर्ण जानकारी का अभाव रहा।

चुनाव रद्द के साथ अपील खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूनम का चुनाव रद्द करना सही था। क्योंकि उनका नामांकन पत्र गलत जानकारी देने के कारण स्वीकार किया गया था, इस वजह से चुनाव पर वास्तविक प्रभाव पड़ा। याचिकाकर्ता के तर्क कि उन्हें अयोग्य नहीं माना जाना चाहिए, अदालत ने खारिज कर दिया। इस प्रकार यह स्पष्ट हो गया कि चुनावी नियमों का उल्लंघन गंभीर परिणाम ला सकता है।

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