सुप्रीम कोर्ट ने अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और DGCA को नोटिस भेजा। अदालत ने पायलट पर आरोप असंगत बताया और अगली सुनवाई 10 तारीख को निर्धारित की।
New Delhi: अहमदाबाद में जून 2025 में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार और डीजीसीए (DGCA) को नोटिस भेजा है। याचिका में कैप्टन सभरवाल की दुर्घटना की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी स्थिति में पायलट को हादसे का जिम्मेदार नहीं माना जा सकता।
हादसे का संक्षिप्त विवरण
कैप्टन सुमित सभरवाल एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के कमांडर थे। इस विमान दुर्घटना में कुल 260 लोग मारे गए थे। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में निवेदन किया कि हादसे की जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में तकनीकी रूप से सुदृढ़ और निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चार महीने बीत चुके हैं और जांच अभी तक पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिता को दिया भरोसा
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट कहा, "यह हादसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है। भारत में कोई भी यह नहीं मानता कि यह पायलट की गलती थी।" जस्टिस बागची ने भी कहा कि शुरुआती रिपोर्ट में पायलट पर किसी भी प्रकार का आरोप या इशारा नहीं है।
निष्पक्ष जांच की मांग
याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को बताया कि इस विमान दुर्घटना की जांच स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बोइंग के विमानों में तकनीकी समस्याएं सामने आ रही हैं और नियम 12 के अनुसार जांच पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए। वकील ने स्पष्ट किया कि यह मामला एक्सिडेंट है, किसी प्रकार का इंसिडेंट नहीं।
विदेशी रिपोर्टिंग को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक आर्टिकल प्रकाशित किया है जिसमें पायलट की गलती का इशारा किया गया। जस्टिस बागची ने कहा कि विदेशी मीडिया की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया जाएगा और यदि किसी को इस पर आपत्ति है तो उसका उपाय वहां के न्यायालय में किया जा सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने इसे खराब रिपोर्टिंग बताते हुए कहा कि भारत में किसी को यह विश्वास नहीं कि पायलट की गलती हुई थी।
आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 10 तारीख को तय की है। अदालत ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों से रिपोर्ट मंगाई जाएगी और जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पायलट और उनके परिवार को किसी भी प्रकार के आरोप या सामाजिक दबाव का सामना नहीं करना चाहिए।
पायलट पर आरोप नहीं
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोहराया कि कैप्टन सुमित सभरवाल के खिलाफ किसी भी तरह का दोष तय नहीं किया जा सकता। जस्टिस बागची ने कहा कि शुरुआती जांच रिपोर्ट और तकनीकी विश्लेषण में पायलट की गलती का कोई संकेत नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि हादसे के कारणों की पूरी जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है।












